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नवरात्रि प्रथम दिन करें कलश स्थापना , जानें विधि, मुहूर्त और पूजा सामग्री


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नई दिल्लीः शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ 15 अक्टूबर दिन रविवार से हो रहा है. इस दिन मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर धरती पर आ रही हैं. यह शुभता और उन्नति का संकेत है. शारदीय नवरात्रि आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तिथि तक होती है. महानवमी को हवन और पारण के साथ नवरात्रि का समापन होता है. दशमी को दशहरा मनाते हैं. कई स्थानों पर दशमी के दिन पारण करने का विधान है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी का कहना है कि इस साल दुर्गा अष्टमी 22 अक्टूबर को और महानवमी 23 अक्टूबर को है. 24 अक्टूबर को दशहरा या विजयादशमी मनाई जाएगी. आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि के कलश स्थापना मुहूर्त और पूजा सामग्री के बारे में, ताकि आप पहले से ही व्रत और पूजा की तैयारी कर लें.

माता की पहली शक्ति मां शैलपुत्री की पूजा होगी

माता की पहली शक्ति मां शैलपुत्री की पूजा होगी. 9 दिन की अखंड ज्योत प्रजवल्ति की जाएगी. इसके बाद अगले नौ दिन तक मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना होगी. श्रद्धालु व्रत रखेंगे.

शारदीय नवरात्रि 2023: पहले दिन का शुभारंभ
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा का प्रारंभ: 14 अक्टूबर, शनिवार, रात 11:24 बजे से
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा का समापन: 15 अक्टूबर, रविवार, देर रात 12:32 बजे पर

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है?

ज्योतिषाचार्य तिवारी के अनुसार, इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की कलश स्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त 11:44 एएम से 12:30 पीएम तक है. कलश स्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. हालांकि इस वर्ष प्रतिपदा तिथि सूर्योदय से लेकर रात तक है, इसलिए आप सूर्योदय के बाद से अभिजित मुहूर्त के समापन समय तक कभी भी कलश स्थापना कर सकते हैं. कलश स्थापना के लिए दिन का चौघड़िया मुहूर्त मान्य नहीं होता है, इसलिए आप चौघड़िया मुहूर्त का त्याग करें.

शारदीय नवरात्रि 2023: कलश स्थापना और पूजा सामग्री

  1. मां दुर्गा की मूर्ति
  2. मिट्टी का एक कलश
  3. लाल चुनरी और एक लाल रंग की साड़ी
  4. लकड़ी की माता की चौकी, एक पीला वस्त्र, कुशवाला आसन
  5. लाल-पीले सिंदूर और श्रृंगार सामग्री
  6. जटावाला नारियल, सूखा नारियल, अक्षत्, गंगाजल
  7. पान का पत्ता, सुपारी, लौंग, इलायची
  8. धूप, दीप, कपूर, बत्ती के लिए रुई, गाय का घी
  9. रोली, शहद, रक्षासूत्र, चंदन, नैवेद्य, गुग्गल, लोबान, फल
  10. आम की हरी पत्तियां, जौ, गुड़हल, फूलों की माला
  11. मिठाई, पंचमेवा, माचिस, मातरानी का ध्वज आदि.

नवरात्रि 2023 घटस्थापना विधि

पूर्व या उत्तर दिशा या फिर ईशान कोण में कलश की स्थापना करें.
पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं अक्षत अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की तस्वीर स्थापित करें.
कलश में पानी, गंगाजल, सिक्का, रोली, हल्दी गांठ, दूर्वा, सुपारी डालें
कलश में 5 आम के पत्ते रखकर उसे ढक दें. ऊपर से नारियल रखें.
मिट्‌टी के पात्र में स्वच्छ मिटि्टी डालकर 7 तरह के अनाज बोएं. इसे चौकी पर रखें.
दीप जलाकर गणपति, माता जी, नवग्रहों का आव्हान करें. फिर विधिवत देवी का पूजन करें.

नवरात्रि 2023 मां शैलपुत्री की पूजा विधि

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा से पहले शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करें. अखंड ज्योति प्रज्वलित करें और भगवान गणेश का अव्हान करें. देवी शैलपुत्री को सफेद रंग प्रिय है, हालांकि नारंगी और लाल भी देवी को अति प्रिय है. घटस्थापना के बाद षोडोपचार विधि से देवी शैलुपत्री की पूजा करें. मां शैलपुत्री को कुमकुम, सफेद चंदन, हल्दी, अक्षत, सिंदूर, पान, सुपारी, लौंग, नारियल 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करें. देवी को सफेद रंग की पुष्प, सफेद मिठाई जैसे रसगुल्ला भोग लगाएं. मां शैलपुत्री के बीज मंत्रों का जाप करें और फिर आरती कर दें. शाम को भी माता की आरती करें.

नवरात्रि के व्रत-उपवास में इन बातों का ध्यान रखें

नवरात्रि में वैसे तो नौ दिनों तक बिना अन्न खाए सिर्फ फल खाकर उपवास करने का विधान है, लेकिन इतने कठिन नियम पालन नहीं हो सकते तो दूध और फलों का रस पीकर भी व्रत किया जा सकता है। इतना भी न किया जा सके तो एक वक्त खाना खाकर व्रत कर सकते हैं या पूरे नौ दिनों तक बिना नमक का भोजन करने का भी नियम ले सकते हैं।नवरात्रि में व्रत-उपवास के दौरान लहसुन, प्याज, तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला और किसी भी तरह का नशा नहीं करना चाहिए। इन दिनों गुस्सा करने और झूठ बोलने से भी बचना चाहिए। इन नियमों को ध्यान में रखकर व्रत किया जाना चाहिए। बीमार, बच्चे और बूढ़े लोगों को व्रत नहीं करना चाहिए। साथ ही जिन लोगों को देर रात तक जागना पड़ता है या डिस्टर्ब रूटीन वालों को भी व्रत करने से बचना चाहिए।

ऐसे जलाएं अखंड ज्योत…

  1. नवरात्रि में नौ दिन तक अखंड ज्योत जलाई जाती है। घी का दीपक देवी के दाहिनी ओर, तेल वाला देवी के बाईं ओर रखना चाहिए।
  2. अखंड ज्योत नौ दिनों तक जलती रहनी चाहिए। जब ज्योत में घी डालना हो या बत्ती ठीक करनी हो तो अखंड दीपक की लौ से एक छोटा दीपक जलाकर अलग रख लें।
  3. दीपक ठीक करते हुए अखंड ज्योत बुझ भी जाए तो छोटे दीपक की लौ से फिर जलाई जा सकती है। छोटे दीपक की लौ को घी में डुबोकर ही बुझाएं।

मां शैलपुत्री के मंत्र

ओम देवी शैलपुत्र्यै नमः
ह्रीं शिवायै नम:
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

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