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राजनीति

मिजोरम एग्जिट पोल रिजल्ट 2023: मिजोरम में MNF और ZPM के बीच कड़ी हैं टक्कर


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नई दिल्लीः मिजोरम में विधानसभा चुनाव के 7 नवंबर को हुए मतदान के बाद गुरुवार को एग्जिट पोल सामने आए हैं। प्रमुख एग्जिट पोल में शामिल सी वोटर सर्वे के अनुसार, मिजोरम में एमएनएफ और जेडपीएम के बीच कांटे की टक्कर है। इस सर्वे के अुनुसार, एमएनएफ को 15-21 सीट मिलने का अनुमान है। जेडपीएम को 12-18, कांग्रेस को 2-8 और बीजेपी को शून्य सीट मिलने का अनुमान है। वहीं सीएनएक्स के एग्जिट पोल सर्वे के मुताबिक, मिजोरम में एमएनएफ को 14-18 सीट मिलने का अनुमान, जेडपीएम को 12-16 सीट, कांग्रेस को 9-10 सीट और बीजेपी को 0-2 सीट मिलने का अनुमान है।

मिजोराम चुनाव के उम्मीदवार

बता दें कि मिजोरम चुनाव में 18 महिलाओं समेत कुल 174 उम्मीदवार मैदान में थे। सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ), मुख्य विपक्षी दल जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) और कांग्रेस ने सभी 40 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं। भाजपा और नवोदित आम आदमी पार्टी (आप) क्रमशः 23 और 4 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। इस चुनाव में 27 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं। कुल मिलाकर, 4,39,026 महिला मतदाताओं समेत 8,57,063 मतदाता मिजोरम विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार के इस्तेमाल के पात्र हैं।

मिजोरम में MNF सबसे बड़ा दल

इंडिया टीवी-CNX के एग्जिट पोल के अनुमानों के मुताबिक मिजोरम में एमएनएफ सबसे बड़े दल के तौर पर उभर सकता है। राज्य की 40 सीटों में से एमएनएफ को 14-18 सीटें मिल सकती हैं। वहीं ZPM को कुल 12-16 सीटें मिल सकती हैं। वहीं कांग्रेस को 8 से 10 सीटें मिलने का अनुमान है। बीजेपी को 0-2 सीटें मिल सकती हैं।

मिजोरम में ZPM बना सकती है सरकार

मिजोरम में लालदुहोमा के नेतृत्व वाली पार्टी ZPM यानी जोरम पीपल्स मूवमेंट को एग्जिट पोल में भारी बहुमत मिलता दिखाई दे रहा है. इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल की मानें तो ZPM मिजोरम की 40 विधानसभा सीटों में से 28-35 सीटों पर कब्जा जमा सकती है. वहीं मुख्यमंत्री जोरमथांगा की मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) का सूपड़ा लगभग साफ होता दिखाई दे रहा है. MNF के खाते में 40 में से महज 3 से 7 सीटें आती दिखाई दे रही हैं.

मिजोरम में कुल 8.57 लाख मतदाता

मिजोरम में कुल 8.57 लाख मतदाताओं में से इस बार 77 प्रतिशत से अधिक ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। राज्य में 2018 में हुए चुनाव में कुल मतदान 81.61 प्रतिशत हुआ था। मिजोरम के 11 जिलों में सेरछिप में सबसे ज्यादा 84.49 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। आंकड़ों के अनुसार आइजोल जिले में सबसे कम 73.09 प्रतिशत मतदान हुआ था। दक्षिण मिजोरम के सियाहा (76.41 प्रतिशत) और सैतुल (75.12 प्रतिशत) में भी अन्यों की तुलना में कम मतदान हुआ था।

जानें कैसा रहा है ZPM का इतिहास

बात अगर ZPM के इतिहास की करें, तो यह कोई बहुत पुरानी पार्टी नहीं है, बल्कि इस पार्टी का जन्म भी दिल्ली की आम आदमी पार्टी की तरह एक आंदोलन के तहत हुआ था. रिपोर्ट्स की मानें, तो इस पार्टी के अधिकांश उम्मीदवार युवा हैं. इस पार्टी के अध्यक्ष और फाउंडर लालदुहोमा एक समय में भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सिक्योरिटी चीफ रह चुके हैं. साल 1984 में कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने लोकसभा चुनाव जीता था.

बीजेपी के दिग्गज भी नहीं दिला पाए वोट

ये भी गौर करने वाली बात है कि मिजोरम विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने तमाम बड़े नेता और केंद्रीय मंत्रियों को झोंक दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल और किरेन रिजिजू ने भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार किया था। लेकिन एग्जिट पोल के आंकड़ों के मुताबिक बीजेपी 0 से 2 सीटों पर ही सिमटती दिख रही है। हालांकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वन्लालहमुआका ने कहा कि पार्टी मिजोरम चुनाव में 6 से 8 सीट जीतेगी, लेकिन एग्जिट पोल में ऐसा नहीं दिख रहा है।

आधिकारिक पार्टी के रूप में नहीं मिली थी मान्यता

साल 2018 के विधानसभा चुनाव में लालदुहोमा और उनकी पार्टी जोरम पीपुल्स मूवमेंट एक गठबंधन पार्टी में शामिल हो गई थी. इस दौरान पार्टी ने उन्हें आधिकारिक तौर पर मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था. हालांकि, चुनाव आयोग की ओर से इस गठबंधन दल को उस समय आधिकारिक पार्टी के रूप में मान्यता नहीं मिली थी.

2018 एग्जिट पोल के नतीजे

2018 के विधानसभा चुनाव में ज्यादातर एग्जिट पोल के कांटे की टक्कर बताई गई थी। किसी ने कांग्रेस की सत्ता में वापसी की बात कही थी तो किसी ने मिजोरम नेशनल फ्रंट की सरकार बनने का दावा किया था। राज्य में किसकी सरकार बनेगी इसे लेकर किसी भी एग्जिट पोल ने स्पष्ट नहीं किया था।

ऐसा था फाइनल रिजल्ट

2018 के विधानसभा चुनाव का रिजल्ट 11 दिसंबर को जारी किया गया था। मिजोरम नेशनल फ्रंट ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। एमएनएफ ने 26, कांग्रेस ने 5, बीजेपी ने 1 और निर्दलीय प्रत्याशियों ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की थी। हालांकि, इस चुनाव में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पी. ललथनहवला चंफाई साउथ और सेरछिप दोनों सीटों से चुनाव हार गए थे। मिजोरम में 10 साल के बाद एमएनएफ फिर से राज्य की सत्ता पर काबिज हुई थी।

17 दिसंबर को खत्म होगा कार्यकाल

मिजोरम विधानसभा का कार्यकाल 17 दिसंबर को खत्म होने वाला है। पिछले विधानसभा चुनाव में मिजो नेशनल फ्रंट ने सरकार बनाई थी और जोरमथांगा राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। इस बार के चुनाव में सभी 40 सीटों पर 174 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमाने मैदान में उतरे थे, जिसमें 16 महिलाएं भी थीं।

मिजोरम में कांग्रेस को वोट बैंक दोगुना!

कांग्रेस ने भी राज्य में साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि बाद में कांग्रेस का एक विधायक इस्तीफा देकर सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट में शामिल हो गया था। एग्जिट पोल के मुताबिक इस चुनाव में भी कांग्रेस को 8 से 10 सीट मिल सकती हैं, यानी पिछले चुनाव से कांग्रेस का परफॉर्मेंस इस बार डबल हो सकता है। बता दें कि मिजोरम चुनाव में कांग्रेस के बड़े नेता – राहुल गांधी, जयराम रमेश और शशि थरूर ने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन में प्रचार किया था।

सत्ता दोहराते दिख रहे MNF के जोरामथांगा

मिजोरम में फिलहाल MNF (मिजो नेशनल फ्रंट) की सरकार है। यहां सीएम की कुर्सी पर जोरामथांगा बैठे हैं। इंडिया टीवी-CNX के एग्जिट पोल के अनुमान से ये साफ हो रहा है कि MNF एक बार फिर मिजोरम में सरकार बनाने के करीब दिख रही है, लेकिन बहुमत के आंकड़े से दर है। वहीं जोराम पीपल्स मूवमेंट 2018 के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनकर उभरी थी और इस चुनाव में भी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनती दिख रही है।

पहले क्यों नहीं आया एग्जिट पोल

बता दें कि मिजोरम में इतने लंबे समय तक एक्जिट पोल न आने का कारण चुनाव आयोग की पाबंदी है. दरअसल चुनाव शुरू होने से पहले ही आयोग ने सभी राज्यों में मतदान खत्म होने के बाद ही एग्जिट पोल दिखाने का आदेश जारी किया था. ऐसे में अब तेलंगाना में आज शाम 6 बजे तक मतदान खत्म होने के बाद एग्जिट पोल को दिखाया जाएगा.

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