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भौतिक विज्ञानी पीटर हिग्स का 94 वर्ष की आयु में निधन,गॉड पार्टिकल्स की खोज


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नई दिल्ली – वैज्ञानिकों ने हमेशा ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाने की कोशिश की है। इसी कड़ी में एक महत्वपूर्ण खोज हुई है, जिसे ‘गॉड पार्टिकल’ या हिग्स बोसॉन के नाम से जाना जाता है। गॉड पार्टिकल का असली नाम ‘हिग्स बोसोन’ है। यह ब्रह्मांड के निर्माण में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला मूल कण है। इसकी खोज 2012 में स्विटजरलैंड के जिनेवा स्थित यूरोपियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (CERN) नाम की संस्था के लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) नामक विशाल मशीन में हुई थी। 1964 में सबसे पहले इस कण के अस्तित्व की भविष्यवाणी करने वाले वैज्ञानिक पीटर हिग्स का सोमवार को 94 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्हीं के नाम पर गॉड पार्टिकल को हिग्स बोसोन नाम दिया गया।

गॉड पार्टिकल इतना खास क्यों है?

दुनिया की हर चीज, चाहे वो इंसान हो या पेंसिल, किसी न किसी मात्रा में द्रव्यमान रखती है। यानी हर चीज का एक वजन होता है। लेकिन आखिर चीजों को ये वजन मिलता कहां से है? यही वो सवाल है जिसका जवाब गॉड पार्टिकल देता है। दरअसल, गॉड पार्टिकल एक खास तरह का कण है जिसे ‘बोसोन’ कहते हैं। ब्रह्मांड में हर जगह एक तरह का ऊर्जा का क्षेत्र मौजूद है, जिसे ‘हिग्स फील्ड’ कहा जाता है। गॉड पार्टिकल इसी हिग्स फील्ड के साथ मिलकर काम करता है। जब कोई दूसरा कण इस फील्ड से होकर गुजरता है, तो गॉड पार्टिकल के साथ उसकी टक्कर होती है। यही टक्कर बाकी कणों को उनका जाना-पहचाना वजन देती है। अगर इन्हें गॉड पार्टिकल से वजन न मिले तो ये कण प्रकाश की रफ्तार से चलते रहें!

गॉड पार्टिकल के लिए किए जाएंगे याद

बिग बैंग के बाद जब ब्रह्मांड धीरे-धीरे ठंडा होने लगा। उस दौरान अचानक हिग्स फील्ड अस्तित्व में आ गई। मानो कुदरत ने किसी बड़े मैकेनिज्म के एक लीवर को खींच दिया हो, जिसके चलते हिग्स फील्ड हमारे यूनिवर्स में काम करने लगी। हिग्स फील्ड आने के बाद भार रहित (Mass Less) यानी प्रकाश की गति से चलने वाले कुछ कण इस फील्ड से इंटरैक्ट करने लगे। इस इंटरेक्शन के कारण उनमें भार (Mass) आने लगा। वहीं फोटोन जैसे कुछ कण अभी भी हिग्स फील्ड के साथ इंटरैक्ट नहीं कर रहे थे। वे अभी भी ऊर्जा के बंडल ही थे।

एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी ने उनके निधन की जानकारी

एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी ने उनके निधन की जानकारी देते हुए कहा कि पीटर ने बीमारी के बाद सोमवार को अपने घर में अंतिम सांस ली। वह इसी यूनिवर्सिटी में एमिरेट्स प्रोफेसर थे। यूनिवर्सिटी ने उन्हें एक महान शिक्षक, मार्गदर्शक और युवा वैज्ञानिकों की पीढ़ियों को प्रेरित करने वाला बताया। साथ ही उनके परिवार ने मीडिया और जनता से इस समय उनकी निजता का सम्मान करने की अपील की।ब्रिटेन के पीटर हिग्स और बेल्जियम के फ्रांस्वा इंगलर्ट ने 2013 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार जीता था। दोनों वैज्ञानिकों ने परमाणु से छोटे कणों के द्रव्यमान को समझाने की प्रक्रिया की सैद्धांतिक खोज की थी। हिग्स ने 1960 में ब्रह्मांड में मूलभूत पदार्थ की संरचना को लेकर एक प्रक्रिया का सुझाव दिया था। उन्होंने इस प्रक्रिया में एक कण हिग्स बोसोन का अनुमान लगाया था।

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