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लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने जारी किया घोषणापत्र,क्या योगी सरकार की बढ़ जाएगी टेंशन ?


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नई दिल्लीः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने शुक्रवार को घोषणा पत्र जारी किया. इस घोषणा पत्र में एक ऐसा मुद्दा उठाया गया है जो यूपी में भारतीय जनता पार्टी नीत योगी सरकार की टेंशन बढ़ा सकती है. कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र को न्याय पत्र का नाम देते हुए पांच न्याय और 25 गांरटियों का ऐलान किया है.

घोषणा पत्र में पेपर लीक का मुद्दा प्रमुखता से उठाया है

कांग्रेस ने अपने 48 पन्ने के घोषणा पत्र में पेपर लीक का मुद्दा प्रमुखता से उठाया है. बीते कुछ महीनों में यूपी में पेपर लीक को लेकर योगी सरकार घिर चुकी है. RO/ARO पेपर से लेकर पुलिस भर्ती तक की परीक्षाएं लीक हो गईं थीं. उसके बाद कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने योगी सरकार को घेरा था.अब इसी मुद्दे का कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में जिक्र किया है. कांग्रेस ने कहा है कि पेपर लीक के मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया जाएगा और पीड़ितों को मुआवजा मिलेगा.

राहुल ने किया था पोस्ट

इससे पहले 5 मार्च को राहुल गांधी ने यह मुद्दा उठाया था. राहुल ने लिखा था- पेपर लीक उत्तर प्रदेश ही नहीं, देश भर के युवाओं के लिए अभिशाप बन गया है. पिछले 7 वर्षों में ही 70 से अधिक पेपर लीक के मामलों ने 2 करोड़ से अधिक छात्रों का सपना तोड़ा है. इससे न सिर्फ भविष्य निर्माण के कीमती वर्ष बर्बाद हो रहे हैं बल्कि उनके परिवारों पर भी आर्थिक और मानसिक बोझ पड़ रहा है. लापरवाह सरकार, भ्रष्ट अधिकारी, नकल माफिया और निजी प्रिंटिंग प्रेसों के आपराधिक गठजोड़ को खत्म कर हर स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करने की ज़रूरत है.

मायावती ने किया था ये दावा

इसके अलावा बसपा चीफ मायावती ने भी यह मुद्दा उठाया था. उन्होंने लिखा था- यूपी में पुलिस भर्ती परीक्षा के पेपर लीक होने से सम्बन्धित परीक्षा का रद्द होना अति-गंभीर एवं चिन्तनीय. इससे राज्य व सरकार की बड़ी बदनामी के साथ ही युवाओं व बेरोजगारों का भविष्य खराब होकर उनका जीवन दाव पर लग जाता है. यूपी आखिर कब पेपर लीक मुक्त प्रदेश होगा? सरकार इस ओर ध्यान दे.

अखिलेश ने लगाए थे गंभीर आरोप

इसी मुद्दे पर सपा नेता अखिलेश यादव ने सरकार से सवाल किए थे. सपा नेता ने लिखा था- भाजपा सरकार के शासनकाल में जिस तरह से प्रतियोगी परीक्षाओं से लेकर यूपी बोर्ड तक के पेपर लगातार लीक हो रहे हैं, उससे उप्र के युवाओं और बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया है. अब युवा ही नहीं बल्कि जो बच्चे पहली बार वोट डालेंगे उनके बीच भी भाजपा की छवि पूरी तरह धूमिल हो चुकी है और उनके माता-पिता के बीच भी.

क्या हैं कांग्रेस के 5 न्याय?

श्रमिक न्याय 
युवा न्याय
नारी न्याय
किसान न्याय
हिस्सेदारी न्याय

घोषणापत्र में किन गारंटियों की बात?

कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में जाति जनगणना, OPS, नौकरी में 50 फीसदी महिला आरक्षण, किसानों के लिए स्वामीनाथन फॉर्मूले के साथ MSP की कानूनी गारंटी, गरीब परिवार की एक महिला को हर साल 1 लाख रुपये, मुफ्त इलाज, अस्पताल, श्रमिकों के लिए 25 लाख का हेल्थ कवर, डॉक्टर, टेस्ट, दवा, सर्जरी और बिना जमीन वालों को जमीन देने का वादा किया है।

युवा न्याय गारंटी

  1. 30 लाख युवाओं को नौकरी 
  2. पेपर लीक से मुक्ति 
  3. हर शिक्षित युवा को एक लाख की अप्रेंटिसशिप
  4. 5 हजार करोड़ का नया स्टार्टअप फंड 
  5. अग्निवीर योजना बंद, पुरानी भर्ती योजना चालू

नारी न्याय ‘गारंटी’

  1. केंद्र सरकार की नई नौकरी में 50 फीसदी महिला आरक्षण मिलेगा
  2. गरीब परिवार की एक महिला को हर साल 1 लाख रुपये दिया जाएगा
  3. कामकाजी महिलाओं के लिए दोगुने हॉस्टल की सुविधा
  4. हर पंचायत में एक अधिकार सहेली होगी
  5. आशा, मिड डे मिल, आंगनवाड़ी वर्कर्स को ज्यादा सैलरी मिलेगी

किसान न्याय ‘गारंटी’

  1. किसानी के लिए जरूरी हर चीज से GST हटाई जाएगी
  2. कर्ज माफी प्लान लागू करने के लिए आयोग बनाया जाएगा
  3. किसानों की सलाह से नई इंपोर्ट-एक्सपोर्ट पॉलिसी होगी
  4. फसल नुकसान पर 30 दिन के अंदर पैसा ट्रांसफर होगा
  5. स्वामीनाथन फॉर्मूले के साथ MSP का कानूनी गारंटी होगी

श्रमिक न्याय ‘गारंटी’

  1. 25 लाख का हेल्थ कवर, मुफ्त इलाज, अस्पताल, डॉक्टर,दवा, टेस्ट, सर्जरी मिलेगी
  2. मुख्य सरकारी कार्यों में कॉन्ट्रैक्ट मजदूरी बंद होगी
  3. शहरों के लिए भी मनरेगा जैसी नई पॉलिसी होगी 
  4. दैनिक मजूरी 400 रुपये, मनरेगा में भी लागू होगा 
  5. असंगठित मजदूरों के लिए जीवन और दुर्घटना बीमा होगा

हिस्सेदारी न्याय ‘गारंटी’

  1. SC/ST/OBC को पूरा हक दिया जाएगा
  2. जितनी SC/ST की जनसंख्या उतना बजट होगा
  3. वन अधिकार कानून वाले पट्टों का 1 साल में फैसला होगा
  4. संवैधानिक संशोधनों से 50 फीसदी की सीमा खत्म करेंगे होगा
  5. समानता के लिए हर व्यक्ति और हर वर्ग की गिनती होगी

कांग्रेस ने लिया 10 करोड़ वोटों का जोखिम

पुरानी पेंशन बहाली के लिए गठित, नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के संयोजक शिव गोपाल मिश्रा ने पहले ही कहा था कि जो भी दल पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे को अपने घोषणापत्र में शामिल करेगा, उसे कर्मचारी और उनसे जुड़े 10 करोड़ वोट मिलेंगे। जानकारों का कहना है कि अब कांग्रेस पार्टी ने ओपीएस को अपने घोषणापत्र में शामिल न कर, 10 करोड़ वोटों का जोखिम ले लिया है। दूसरी तरफ कहा जा रहा है कि इन वोटरों का फायदा अब भाजपा को पहुंच सकता है।

ओपीएस पर विपक्षी दलों से बातचीत की गई

सी. श्रीकुमार के मुताबिक, पुरानी पेंशन को लेकर विपक्षी दलों से बातचीत की गई थी। उस वक्त कहा गया था कि जो भी पार्टी अपने घोषणापत्र में पुरानी पेंशन बहाली का वादा करेगी, उसे कर्मचारियों का समर्थन मिलेगा। हालांकि लोकसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले विभिन्न मंचों से कांग्रेस नेता ओपीएस का समर्थन कर रहे थे। कांग्रेस ने छत्तीसगढ़, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में ओपीएस लागू की थी। कर्नाटक में भी ओपीएस लागू करने का भरोसा दिया था। दूसरे विपक्षी दल भी ओपीएस लागू करने के पक्ष में थे।अब कांग्रेस के घोषणापत्र में ओपीएस को शामिल नहीं किया गया है। इससे कर्मचारी संगठनों को बड़ा झटका लगा है। श्रीकुमार कहते हैं, अब कर्मचारी संगठन, इस बात पर दोबारा से विचार करेंगे कि उनके वोट किस पार्टी के पक्ष में जाएंगे।

चिदंबरम और खरगे ने कही ये बात

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि देश में आज महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है। सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कहा कि सरकार बनी तो आरक्षण की 50 फीसदी सीमा खत्म करेंगे। जातीय जनगणना करवाएंगे। युवाओं को नौकरी की गारंटी मिलेगी। खरगे ने कहा कि देश के लोकतंत्र और संविधान को बचाना है। हमारी पार्टी पर जुल्म किया गया है।

कर्मचारियों से जुड़े 10 करोड़ वोटों का यह है समीकरण

स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद ‘जेसीएम’ के सचिव शिवगोपाल मिश्रा ने कहा था, लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन लागू नहीं होती है, तो भाजपा को उसका नुकसान उठाना पड़ेगा। दस करोड़ वोटों को हल्के में नहीं लिया जा सकता। केंद्र सरकार के सभी मंत्रालय/विभाग, रक्षा कर्मी (सिविल), रेलवे, बैंक, डाक, प्राइमरी, सेकेंडरी, कालेज एवं यूनिवर्सिटी टीचर, दूसरे विभागों एवं विभिन्न निगमों और स्वायत्तशासी संगठनों के कर्मचारियों ने, ओपीएस पर एक साथ आंदोलन किया है। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के अध्यक्ष विजय बंधु ने भी पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात कर उनसे अपील की थी कि वे पुरानी पेंशन बहाली एवं निजीकरण की समाप्र में शामिल करें। देश में करीब एक करोड़ सरकारी कर्मचारी, एनपीएस में शामिल हैं। वे खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

डस्टबीन है एनपीएस, मंजूर नहीं संशोधन

नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु का कहना है, केंद्र सरकार एनपीएस में संशोधन करने जा रही है। हम ऐसे किसी भी संशोधन के लिए आंदोलन नहीं कर रहे हैं। कर्मियों को गारंटीकृत पुरानी पेंशन ही चाहिए। अगर कोई भी कर्मचारी नेता या संगठन, सरकार के एनपीएस में संशोधन प्रस्ताव पर सहमत होते हैं, तो ‘2004’ वाली गलतियां, ‘2024’ में भी दोहराई जाएंगी। एनपीएस एक डस्टबीन है। करोड़ों कर्मियों का दस फीसदी पैसा और सरकार का 14 फीसदी पैसा, डस्टबीन में जा रहा है। यह स्वीकार्य नहीं है। पुरानी पेंशन बहाली तक, कर्मियों का आंदोलन जारी रहेगा। वित्त मंत्रालय की कमेटी की रिपोर्ट का कोई मतलब नहीं है। यह रिपोर्ट पेश हो या न हो। इससे कर्मियों को कोई मतलब नहीं है। वजह, यह कमेटी ओपीएस लागू करने के लिए नहीं, बल्कि एनपीएस में सुधार के लिए गठित की गई थी।

एनपीएस में सुधार करने के लिए कमेटी गठित

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में पुरानी पेंशन के मुद्दे पर एक कमेटी गठित करने की घोषणा की थी। वित्त मंत्रालय ने गत वर्ष छह अप्रैल को वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दिया था। इस कमेटी में कार्मिक, लोक शिकायत व पेंशन मंत्रालय के सचिव, व्यय विभाग के विशेष सचिव और पेंशन फंड नियमन व विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के अध्यक्ष को बतौर सदस्य, शामिल किया गया। कमेटी से कहा गया है कि वह नई पेंशन स्कीम ‘एनपीएस’ के मौजूदा फ्रेमवर्क और ढांचे के संदर्भ में बदलावों की सिफारिश करे। किस तरह से नई पेंशन स्कीम के तहत ‘पेंशन लाभ’ को और ज्यादा आकर्षक बनाया जाए, इस बाबत सुझाव दें।

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