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World Autism Day 2024 : क्या है ऑटिज्म और किन लक्षणों से कर सकते हैं पहचान?


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नई दिल्ली – ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। भारत में भी इससे पीड़ित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। 2021 में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, भारत में ऑटिज्म की अनुमानित संख्या 68 बच्चों में से लगभग 1 हो सकती है। ऑटिज्म क्या है, और इसका इलाज क्या है आइए जानते हैं।

विकासात्मक समस्याओं का खतरा

कुछ बच्चों में विकासात्मक समस्याओं का खतरा हो सकता है, जो न सिर्फ उनके शारीरिक विकास को प्रभावित करती है, साथ ही इसके कारण मस्तिष्क पर भी नकारात्मक असर हो सकता है। मेडिकल में इस तरह की समस्याओं को ऑटिज्म या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर कहा जाता है। ये मस्तिष्क के विकास से संबंधित समस्याओं का समूह है। लगभग 100 में से एक बच्चे को ऑटिज्म की दिक्कत हो सकती है। वैश्विक स्तर पर बच्चों में देखी जा रही इस समस्या को लेकर लोगों को जागरूक करने, समय पर उपचार को लेकर प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल दो अप्रैल को ‘विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस’ मनाया जाता है।कहीं आपके बच्चे को भी इस प्रकार की कोई दिक्कत तो नहीं है? बच्चों में इस समस्या की पहचान कैसे की जा सकती है, आइए ऑटिज्म के बारे में विस्तार से समझते हैं।

क्या हैं इसके लक्षण?

एक ही एक्शन बार-बार दोहराना, जैसे बैठे-बैठे हिलते रहना, हाथ हिलाना, एक ही शब्द को बार-बार दोहरानासेंस ऑर्गन्स का ज्यादा सेंसिटिव होना, जैसे ज्यादा तेज आवाज से परेशान होना या चिढ़नालोगों से बात करते समय उनकी तरफ न देखना या नजरें न मिलानालोगों की बातों को अनसुना करनाफिजिकल टच पसंद न करनारोबोटिक या फ्लैट आवाज में बात करनाचुनिंदा चीजों में दिलचस्पी लेना,लोगों की बात न समझ पाना या उनके इशारे समझने में परेशानी होना।

कैसे जानें कहीं आपके बच्चे को भी तो नहीं है दिक्कत?

कुछ बच्चों में शैशवावस्था में ही ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जैसे आंखों का ठीक से संपर्क न हो पाना, अपना नाम सुनने पर भी प्रतिक्रिया न देना आदि। ये बच्चों में भाषा कौशल, बोलने-चीजों को समझने में भी कठिनाई का कारण बन सकती है। आमतौर पर 2 वर्ष की उम्र तक बच्चों में इससे संबंधित समस्याएं दिखाई देने लगती हैं। ऑटिज्म विकार वाले कुछ बच्चों की बौद्धिक क्षमता भी कमजोर हो जाती है, जिसका उनकी क्वालिटी ऑफ लाइफ पर भी नकारात्मक असर होने का जोखिम रहता है।

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