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विश्व

अमेरिका में गायों के संपर्क से फैला दुर्लभ बर्ड फ्लू


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नई दिल्ली – टेक्सास में एक व्यक्ति दुर्लभ बर्ड फ्लू से संक्रमित पाया गया है। अधिकारियों का दावा है कि यह व्यक्ति संक्रमित गायों के संपर्क में था। टेक्सास के स्वास्थ्य अधिकारियों ने विस्तृत ब्यौरा दिए बिना सोमवार को बताया कि मरीज को एंटीवायरल दवा दी जा रही है। उन्होंने बताया कि इस व्यक्ति में बर्ड फ्लू का एकमात्र लक्षण उसकी आंखों का लाल होना था। संघीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि विश्व स्तर पर किसी स्तनपायी से बर्ड फ्लू के इस प्रकार के संक्रमण का यह पहला ज्ञात मामला है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के प्रधान उप निदेशक डॉ. नीरव शाह ने कहा कि व्यक्ति-से-व्यक्ति में बर्ड फ्लू फैलने या मवेशी के दूध या मांस से किसी के संक्रमित होने का कोई सबूत नहीं है।

पाश्चराइजेशन कंज्यूमर्स को वायरस से बचाएगा

इलिनोइस यूनिवर्सिटी के पशु चिकित्सक और इन्फ्लूएंजा रिसर्चर जिम लोव ने बताया कि दूषित दूध सिरप जैसा गाढ़ा दिखता है। अगर यह प्रोडक्ट लोगों तक पहुंच भी गया हो, तो भी पाश्चराइजेशन कंज्यूमर्स को वायरस से बचाएगा।कुछ किसानों ने अपने खेत पर मरे हुए प्रवासी जंगली पक्षियों को देखा है, जिससे पता चला कि ये वायरस इन्हीं से आया है। अब तक इस वायरस से बहुत कम गायों की मौत हुई है, लेकिन संक्रमण के कारण दूध उत्पादन में 40% तक गिरावट आई है।टेक्सास डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (TDA) का कहना है कि वह वायरस के फैलने की मॉनिटरिंग कर रहा है। वहीं कमिश्नर सिड मिलर ने कहा कि लोगों की जान को इससे कोई खतरा नहीं है और दूध की सप्लाई में कोई कमी नहीं होगी।

क्‍या लोगों में भी फैल रहा संक्रमण?

कृषि विभाग ने कहा, “डेयरियों को केवल स्वस्थ जानवरों के दूध की सप्‍लाई का निर्देश दिया गया है. बर्ड फ्लू से प्रभावित जानवरों के दूध को तुरंत नष्ट करने का आदेश दिया गया है ताकि यह खाद्य आपूर्ति में प्रवेश न कर सके. इसके अलावा, पाश्चुरीकरण लगातार बैक्टीरिया और वायरस को निष्क्रिय करने में सिद्ध हुआ है, जैसे दूध में इन्फ्लूएंजा. अंतरराज्यीय वाणिज्य में प्रवेश करने वाले किसी भी दूध के लिए पाश्चुरीकरण आवश्यक हैण्‍”

इंसान में यह वायरस कैसे फैलता है और पहला मामला कब आया?

बर्ड फ्लू के कई वायरस हैं, लेकिन H5N1 पहला वायरस है जिसने इंसान को संक्रमित किया। संक्रमण का पहला मामला हॉन्गकॉन्ग में 1997 में सामने आया था। यह वायरस संक्रमित मुर्गियों के जरिए इंसान तक फैला था। 2003 से यह वायरस चीन समेत एशिया, यूरोप और अफ्रीका में फैलना शुरू हुआ। 2013 में इंसान के संक्रमित होने का मामला चीन में भी सामने आया।

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