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कौन है प्रदीप शर्मा? ,जिसको फेक एनकाउंटर केस में हाईकोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा?-जानें


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नई दिल्लीः बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूर्व पुलिसकर्मी और मुंबई के विवादास्पद ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ प्रदीप शर्मा को उम्र कैद की सुनाई है. कोर्ट ने मुंबई में गैंगस्टर छोटा राजन के करीबी सहयोगी रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया की वर्ष 2006 में फर्जी मुठभेड़ में हुई मौत के मामले में प्रदीप शर्मा को दोषी ठहराया, वहीं 13 अन्य आरोपियों की दोषसिद्धि भी बरकरार रखी.

कौन हैं प्रदीप शर्मा?

प्रदीप शर्मा 1983 बैच के पुलिस अधिकारी हैं. वे मुंबई अंडरवर्ल्ड के खिलाफ अपनी मुहिम के लिए जाने जाते थे. उन्होंमें दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन, अरुण गवली और अमर नाइक जैसे गैंगस्टर के खिलाफ कई बड़े ऑपरेशंस अंजाम दिए. वर्ष 2010 में शर्मा को रामनारायण गुप्ता उर्फ ​​लखन भैया की फर्जी मुठभेड़ में उनकी कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया गया था.वर्ष 2017 में वह पुलिस फोर्स में फिर से शामिल हो गए और आगे चलकर तत्कालीन आयुक्त परमबीर सिंह के अधीन ठाणे पुलिस में एसीपी के रूप में कार्य किया. इसके दो ही साल बाद जुलाई 2019 में उन्होंने अविभाजित शिवसेना में शामिल होने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने मुंबई के नालासोपारा से विधानसभा चुनाव लड़ा, जिसमें वह हार गए.

कोर्ट ने प्रदीप शर्मा को लेकर क्या कहा?

हाईकोर्ट ने प्रदीप शर्मा को बरी करने के निचली अदालत के फैसले को ‘गलत’ और ‘नहीं टिकने लायक’ करार दिया. अदालत ने कहा, ‘निचली अदालत ने शर्मा के खिलाफ उपलब्ध पर्याप्त सबूतों को नजरअंदाज कर दिया. सबूत मामले में उनकी संलिप्तता को स्पष्ट रूप से साबित करते हैं.’11 नवंबर 2006 को एक पुलिस दल ने रामनारायण गुप्ता उर्फ ​​लखन भैया को नवी मुंबई के वाशी से इस संदेह पर पकड़ा था कि वह राजन गिरोह का सदस्य है. उसके साथ उसके दोस्त अनिल भेड़ा को भी पकड़ा गया था. गुप्ता को उसी शाम पश्चिम मुंबई के उपनगरीय वर्सोवा में नाना नानी पार्क के पास एक ‘फर्जी’ मुठभेड़ में मार डाला गया था.

12 पुलिसकर्मी और एक आम नागरिक को भी उम्रकैद

हाईकोर्ट ने मंगलवार को 13 व्यक्तियों को निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराने और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाने को भी बरकरार रखा. इसमें 12 पुलिसकर्मी और एक नागरिक शामिल है.दोषी ठहराए गए आरोपियों में पूर्व पुलिसकर्मी नितिन सरतापे, संदीप सरकार, तानाजी देसाई, प्रदीप सूर्यवंशी, रत्नाकर कांबले, विनायक शिंदे, देवीदास सपकाल, अनंत पटाडे, दिलीप पलांडे, पांडुराग कोकम, गणेश हरपुडे, प्रकाश कदम और एक नागरिक हितेश सोलंकी शामिल है.

कोर्ट ने 6 आरोपियों को किया बरी

हाईकोर्ट ने छह अन्य आरोपियों की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया और उन्हें बरी कर दिया. मनोज मोहन राज, सुनील सोलंकी, मोहम्मद शेख, सुरेश शेट्टी, ए. खान और शैलेन्द्र पांडे को बरी कर दिया गया. ये सभी नागरिक हैं.गुप्ता के सहयोगी अनिल भेडा दिसंबर 2006 में रिहा हो गया. हालांकि, जुलाई 2011 में, अदालत में गवाही देने से कुछ दिन पहले, भेडा का कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया और उसकी हत्या कर दी गई. फिलहाल राज्य सीआईडी मामले की जांच कर रही है.

प्रदीप शर्मा की बरी को किया रद्द

जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस गौरी गोडसे की बेंच ने कहा, ‘अभियोजन पक्ष ने साबित किया है कि गुप्ता को पुलिस द्वारा मार दिया गया था और इसे एक रियल एनकाउंट की तरह दिखाया गया.’ कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ‘कानून के रक्षकों/संरक्षकों को वर्दी में अपराधियों के रूप में कार्य करने की इजाजत नहीं दी जा सकती और अगर इसकी इजाजत दी गई तो इससे अराजकता फैल जाएगी.’बेंच ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने ‘विश्वसनीय, ठोस और कानूनी रूप से स्वीकार्य साक्ष्य’ के साथ फर्जी मुठभेड़ में गुप्ता के अपहरण, गलत तरीके से कैद किये जाने और हत्या को उचित संदेह से परे साबित किया है. हाईकोर्ट ने कहा, ‘हमने पाया है कि अभियोजन पक्ष ने बिना किसी संदेह के यह साबित किया है कि जब रामनारायण आरोपियों की कैद में था तो उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी और इसे छुपाने के लिए इसे वास्तविक मुठभेड़ का रंग दिया गया.’ बेंच ने सबूतों के अभाव में शर्मा को बरी करने के सत्र न्यायालय के 2013 के फैसले को रद्द कर दिया.

‘यह न्याय का मखौल’

भेडा के मामले पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि आज तक सीआईडी ने जांच पूरी करने और अपराधियों का पता लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है. हाईकोर्ट ने कहा, ‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस मामले में एक प्रमुख प्रत्यक्षदर्शी की जान चली गई. यह न्याय का मखौल है. पुलिस के लिए जांच करना और मामले को तार्किक अंत तक ले जाना महत्वपूर्ण है, ऐसा न हो कि लोगों का व्यवस्था पर से विश्वास खत्म हो जाए.’

शुरुआत में 13 पुलिसकर्मियों सहित 22 लोगों पर हत्या का आरोप

शुरुआत में 13 पुलिसकर्मियों सहित 22 लोगों पर हत्या का आरोप लगाया गया था. सुनवाई के बाद 2013 में सत्र अदालत ने 21 आरोपियों को दोषी पाया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई. वर्ष 2013 में सत्र अदालत ने सबूतों के अभाव में शर्मा को बरी कर दिया था जबकि दो व्यक्तियों की हिरासत में मौत हो गई थी. दोषी ठहराये गए व्यक्तियों ने अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की, वहीं अभियोजन पक्ष और मृतक के भाई रामप्रसाद गुप्ता ने शर्मा को बरी करने के फैसले के खिलाफ अपील दायर की.विशेष लोक अभियोजक राजीव चव्हाण ने दलील दी कि वर्तमान मामले, वे स्वयं एक निर्मम हत्या में लिप्त थे. मामले में शर्मा को दोषी ठहराने का अनुरोध करने वाले अभियोजन पक्ष ने दलील दी थी कि पूर्व पुलिसकर्मी अपहरण और हत्या के पूरे अभियान का मुख्य साजिशकर्ता था.

आगरा के निवासी हैं प्रदीप शर्मा

मूलतः उत्तर प्रदेश में आगरा के निवासी प्रदीप शर्मा महाराष्ट्र पुलिस बल के 1983 बैच के अधिकारी हैं। मुठभेड़ के रूप में 113 हत्याओं में शामिल होने के कारण उनकी ख्याति एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में हो गई थी। अंडरवर्ल्ड से संबंध रखने के मामले में अगस्त 2008 में उन्हें पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। बताया जाता है कि फिल्मकार राम गोपाल वर्मा द्वारा बनाई गई फिल्म ‘अब तक छप्पन’ उनके चरित्र पर ही आधारित है।2019 में उन्होंने पुलिस सेवा से त्यागपत्र देकर शिवसेना के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा। लेकिन जीत नहीं सके। फिर 2021 में एंटीलिया बम कांड एवं ठाणे के कारोबारी मनसुख हिरेन की हत्या के मामले में भी उनकी गिरफ्तारी हुई। अब उन्हें लखन भैया फर्जी एनकाउंटर मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चकी है। इस प्रकार उनका पूरा कैरियर विवादों से भरा रहा है।

रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया

वर्सोवा में रहने वाले रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया को पुलिस अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन का करीबी मानती थी। हालांकि, उसके भाई रामप्रसाद ने दावा किया था कि लखन एक सुनार के यहां काम करता था। रामप्रसाद ने कहा कि लखन को 1989 में इसलिए गिरफ्तार किया गया था, क्योंकि वो अपने एक ऐसे दोस्त के साथ था, जिसके पास एक बंदूक थी। रामप्रसाद ने ये भी बताया कि 1997 तक पुलिस लखन को लूट के कुछ मामलों में पकड़ती रही, और उसी साल उसके ऊपर आखिरी केस दर्ज किया गया। लेकिन, 1997 के बाद वो रियल एस्टेट सेक्टर में काम करने लगा।

रामनारायण के भाई ने भेजा अधिकारियों को टेलीग्राम

रामनारायण के भाई रामप्रसाद गुप्ता पेशे से एक वकील थे और 1999 तक कोर्ट में प्रैक्टिस करते थे। सुबह जैसे ही उन्हें पता चला कि लखन को पुलिस लेकर गई है, राम प्रसाद ने फौरन वरिष्ठ अधिकारियों को टेलीग्राम भेज दिया। राम प्रसाद ने कहा कि उसके भाई का अपहरण किया गया है और उसे डर है कि पुलिस लखन का एनकाउंटर कर सकती है। शाम को अपने भाई के एनकाउंटर की खबर मिलने के बाद रामप्रसाद ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर इस मामले की जांच की मांग उठाई, जिसके बाद एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों के ऊपर एफआईआर दर्ज हो गई। सेशन कोर्ट में मामला चला और 2013 में प्रदीप शर्मा को बरी कर दिया गया। हालांकि, मामले में 13 पुलिसकर्मियों को दोषी माना गया।

सेशन कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में दी गई चुनौती

सेशन कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ रामप्रसाद गुप्ता हाईकोर्ट पहुंच गए। हाईकोर्ट में अपील दायर करते हुए रामप्रसाद ने कहा कि इस मामले में ऐसे सबूत मौजूद हैं, जो इशारा करते हैं कि एनकाउंटर में प्रदीप शर्मा भी शामिल थे। इसके बाद करीब 10 साल तक मामले की सुनवाई चली और आखिरकार कोर्ट ने प्रदीप शर्मा को दोषी मानते हुए सजा सुनाई।

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