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कोलन कैंसर का पता लगाने में मददगार होगा नया ब्लड टेस्ट


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नई दिल्ली – बड़े आंत यानी कोलोन कैंसर का पता अब आसानी से खून की जांच से लगाया जा सकता है। ये नई तकनीक कैंसर से होने वाली मौतों को कम करने में काफी मददगार साबित हो सकती है। कैंसर दुनियाभर में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक रहा है। समय के साथ कैंसर की जांच के लिए आधुनिक उपकरण और कारगर उपचार विधियां तो आई हैं, लेकिन इसपर होने वाले खर्च के कारण आम लोगों के लिए अब भी इन तक पहुंच मुश्किल बनी हुई है। रिपोर्ट्स से पता चलता है कि दुनियाभर में पिछले कुछ वर्षों में कोलन (कोलेरेक्टल) कैंसर और इसके कारण होने वाले मौत के मामले काफी बढ़ गए हैं।

नई आसान जांच

अब खून की एक नई जांच “शील्ड टेस्ट” से कैंसर का पता लगाया जा सकता है।यह टेस्ट ब्लड में मौजूद ट्यूमर के छोटे टुकड़ों का पता लगाकर कैंसर की पहचान करता है।

टेस्ट के फायदे

  • यह पूरी तरह से दर्द रहित जांच है।
  • यह टेस्ट कोलोनोस्कोपी और मल जांच से कहीं ज्यादा आसान है।
  • अध्ययन के अनुसार यह टेस्ट शुरुआती स्टेज के कैंसर का 87% सटीकता से पता लगा सकता है।
  • इस टेस्ट से कैंसर से होने वाली 73% तक मौतों को रोका जा सकता है।

क्यों जरूरी है?

यह नया टेस्ट कोलोन कैंसर की जांच को आसान बनाकर ज्यादा लोगों को प्रोत्साहित करेगा।इससे कैंसर का पता जल्दी लग पाएगा और इलाज भी जल्दी शुरू हो सकेगा।इससे भविष्य में कोलोन कैंसर से होने वाली मौतों को काफी कम किया जा सकता है।

ब्लड टेस्ट से चलेगा कैंसर का पता

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित इस अध्ययन के परिणाम में बताया गया है कि कोलन कैंसर के अब तक के स्क्रीनिंग के लिए स्टूल सैंपल लिए जाते रहे हैं, जिसमें घर पर शौच का सैंपल एकत्र करना, उसे जांच के लिए भेजना और कोलोनोस्कोपी के लिए बेहोशी जैसी प्रक्रिया इसके निदान को कठिन बना देती है। जिसके कारण बड़ी संख्या में लोगों में इस कैंसर का पता ही नहीं चल पाता था, हालांकि अब सिर्फ ब्लड सैंपल से ही काम चल जाएगा। शोधकर्ताओं ने अध्ययन में लिखा है कि अगर अमेरिका में हर किसी की नियमित रूप से जांच की जाए, तो कोलोरेक्टल कैंसर से जुड़ी 90% मौतों को टाला जा सकता है। यह टेस्ट इस दिशा में काफी मददगार साबित हो सकती है।

दूसरे टेस्टों की तुलना में आसान और कारगर

शोधकर्ताओं ने बताया, अब तक स्टूल टेस्ट से कोलन कैंसर का जल्दी पता लगाने की दर लगभग 42% जबकि और कोलोनोस्कोपी की दर 93% तक सटीक रही है। ब्लड टेस्ट इन सभी प्रक्रियाओं से आसान और कारगर साबित हो सकता है।हालांकि अमेरिकन गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिकल एसोसिएशन का कहना है कि ब्लड टेस्टिंग से कैंसर का पता लगाना एक अतिरिक्त तरीका हो सकता है, लेकिन इसे कोलोनोस्कोपी का विकल्प नहीं माना जा सकता है।

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