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लाइफस्टाइल

रेस्टॉरेंट के खाने में हो सकता है सफेद जहर,भूलकर भी न खाएं इसे हो सकता है सेहत को गंभीर नुकसान


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नई दिल्लीः पहले किसी खास मौके पर लोग बाहर खाने जाते थे। मगर लाइफस्टाइल और लीविंग स्टैंडर्ड बदल जाने पर आजकल रेस्टॉरेंट में जाकर खाना आम हो गया है। लोगों को लुभाने और खाने को फोटोजेनिक बनाने के लिए रेस्टॉरेंट भी नई-नई तरकीबें इस्तेमाल करते हैं, जिसमें ड्राई आइस का इस्तेमाल भी शामिल है। इसकी मदद से खाने और ड्रिंक्स से सफेद धुआं निकाला जाता है जो खाने को आई कैचर बना देता है।

गुरुग्राम के एक रेस्टोरेंट का मामला

बता दें कि, हाल में गुरुग्राम के एक रेस्टोरेंट से एक मामला सामने आया है. यहां माउथ फ्रेशनर की जगह ड्राई आइस सर्व कर दी गई थी. इसको खाने से 5 लोगों के मुंह से खून आने लगा और उल्टियां होने लगीं. आखिर क्यों? क्या ड्राई आइस सेहत के लिए घातक होती है? यदि हां तो कितनी? क्या होती है ड्राई आइस? इसको खाने से शरीर के किन अंगों को होता है नुकसान? इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं राजकीय मेडिकल कॉलेज कन्नौज के इंटरनल मेडिसिन हेड प्रोफेसर (डॉ.) रामबाबू

क्या होती है Dry Ice?

एक्सपर्ट के मुताबिक, Dry Ice एक प्रकार से सूखी बर्फ है जिसका तापमान -80 डिग्री तक होता है. ये केवल ठोस कार्बन डाइऑक्साइड से बना होता है. ड्राई आइस सामान्य बर्फ के मुकाबले 40 गुना से अधिक ठंडी हो सकती है. दरअसल, नॉर्मल बर्फ को मुंह में रखने से वह पिघलकर पानी बनने लगती है, लेकिन ड्राई आइस पिघलने पर सीधे कार्बन डाइऑक्साइड गैस में फैल जाती है. ड्राई आइस का उपयोग अक्सर इसके असाधारण रूप से कम तापमान के कारण किराने के सामान और मेडिकल चीजों को स्टोर करने के लिए किया जाता है. इसके अलावा इसका इस्तेमाल फोटोशूट और थियेटर में होता है.

ड्राई आइस सेहत के लिहाज से काफी खतरनाक

यह ड्राई आइस सेहत के लिहाज से काफी खतरनाक हो सकती है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर के एक रेस्टॉरेंट में 5 लोगों की माउथ फ्रेशनर खाने के बाद बुरी तरह हालत खराब हो गई। वायरल वीडियो में देखा गया कि लोग दर्द के मारे चीख रहे थे और उल्टी कर रहे थे। रिपोर्ट के मुताबिक माउथ फ्रेशनर के रूप में ड्राई आइस दी गई थी।

ड्राई आइस कैसे बनती है?

कार्बन डाइऑक्साइड को जब करीब -78.5°C (-109.3°F) के तापमान पर सॉलिड किया जाता है तो ड्राई आइस बनती है। यह एक कंप्रेस्ड और कूलिंग गैस होती है जिसे लिक्विड फेज में पहुंचाए बिना सॉलिड स्टेज में पहुंचाया जाता है। जब यह गर्म या खुले तापमान के संपर्क में आती है जो सॉलिड से सीधा गैस बनने लगती है और सफेद-गाढ़ा धुआं उठने लगता है।

इन चीजों में किया जाता है इस्तेमाल

इस कूलिंग एजेंट को शिपिंग के दौरान खराब होने वाली चीजों को बचाने, खाने या किसी चीज मे स्पेशल इफेक्ट दिखाने और लेबोरेटरी में एक्सपेरिमेंट करने के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किया जाता है।ड्राई आइस का उपयोग आइसक्रीम, माँस, डेयरी उत्पादों और अन्य खाद्य पदार्थों को ठंडा रखने के लिए किया जाता है। यह खराब होने से बचाता है और ताजगी बनाए रखता है। चिकित्सा क्षेत्र में भी इसका इस्तेमाल होता है। इसका उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में ऊतकों, रक्त और दवाओं को ठंडा रखने के लिए किया जाता है। भारत की फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI), अमेरिका की यूनाइटेड स्टेट्स फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) और सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रेवेंशन (सीडीसी) इसे बेहद खतरनाक मानती हैं।

इंसानों के लिए खतरनाक है ड्राई आइस

अगर इसका सही इस्तेमाल नहीं किया जाए तो यह इंसानों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। इसे सीधा छूने से हाथ गंभीर रूप से जल सकते हैं। सामान्य तापमान के संपर्क में इससे भारी मात्रा में खतरनाक कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है जो फेफड़ों के लिए नुकसानदायक हो सकती है। इसलिए उचित सावधानी और खुली जगह पर इस्तेमाल करना चाहिए।

बेहद खतरनाक है ड्राई आइस

इन एजेंसियों की गाइडलाइन के मुताबिक, ड्राई आइस को बिना दस्ताने के हाथ से भी नहीं छुआ जा सकता, क्योंकि ये तुरंत रिएक्शन करता है। इसे बंद कमरे में नहीं इस्तेमाल किया जाना चाहिए, क्योंकि इसके क्षरण (पिघलने) से उस कमरे में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा अचानक बढ़ सकती है, इसके चलते किसी की जान भी जा सकती है। अमेरिका में तरल नाइट्रोजन और ड्राई आइस के खाद्य पदार्थों वाली जगह तक पर इस्तेमाल करने पर रोक है। इसका इस्तेमाल वहीं किया जा सकता है, जहाँ फ्रिज जैसी मशीनें न हों और मजबूरी में इसकी मदद से सामान को ठंडा रखे जाने की जरूरत हो।

ड्राई आइस खाने से क्या होता है?

ड्राई आइस का सेवन जानलेवा और गंभीर रिजल्ट देने वाला हो सकता है। यह सॉलिड कार्बन डाइऑक्साइड होती है जिसका तापमान बहुत ज्यादा कम होता है। मुंह के अंदर जाने पर इससे जीभ, तलवा, अंदरुनी अंग जल सकते हैं। इसका धुआं डायजेस्टिव सिस्टम में इकट्ठा होने से ब्लोटिंग, पेट दर्द, उल्टी और जान का खतरा हो सकता है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टरी सहायता की जरूरत पड़ती है।

इससे बचना बेहद जरूरी

ड्राई आइस का तापमान बहुत कम होता है, इसलिए इसे सीधे त्वचा से संपर्क नहीं करवाना चाहिए। यह ठंड से जलन (frostbite) का कारण बन सकता है। ड्राई आइस CO2 गैस छोड़ता है। यदि एक छोटी सी जगह में बड़ी मात्रा में ड्राई आइस का उपयोग किया जाता है, तो यह हवा में CO2 का स्तर बढ़ा सकता है और दम घुटने का कारण बन सकता है। ऐसे में इस ड्राई आइस को खाने की वजह से गुरुग्राम में खून की उल्टियाँ होनी शुरू हो गई। अगर उन्हें तुरंत मेडिकल सहायता नहीं मिलती, तो लोगों की जान जा सकती थी। हालाँकि इस केस में दो लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है।

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