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बैड कोलेस्ट्रॉल से बढ़ सकता है ASCVD का खतरा,वरना हार्ट डिजीज का बढ़ेगा खतरा


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नई दिल्ली – कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या इन दिनों काफी कॉमन हो गई है. कम उम्र में भी यह समस्या लोगों को मुसीबत में डाल रही है. शरीर में गुड और बैड कोलेस्ट्रॉल होता है. लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL) को बैड कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है. जैसा कि नाम से पता चल रहा है कि गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ना शरीर के लिए अच्छा माना जाता है, जबकि बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए, तो यह हार्ट डिजीज पैदा कर सकता है. एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करना बहुत जरूरी होता है. सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि ब्लड में बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कितनी होती है और इसे किस तरह कंट्रोल करें.

क्या है ASCVD?

एथेरोस्केलोरेटिक कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (एएससीवीडी) एक गंभीर और लंबे समय तक चलने वाली समस्या है. इसमें धमनियों में प्लाक बनने लगता है.जिससे शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन प्रभावित होने लगता है.इसके चलते हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.धमनियों में प्लाक जमने से हार्ट के अलावा किडनी पर भी बुरा असर पड़ता है.इस समस्या की जो सबसे बड़ी वजह है वो है शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना.

कितना होना चाहिए गुड और टोटल कोलेस्ट्रॉल

डॉक्टर वनीता अरोरा के मुताबिक हमारे शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL) की मात्रा 50 mg/dL या इससे अधिक होनी चाहिए. जितना ज्यादा गुड कोलेस्ट्रॉल होगा, उतना हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद होगा. अगर टोटल कोलेस्ट्रॉल की बात करें, तो यह 200 mg/dL से कम होना चाहिए. टेस्टिंग की बात की जाए, तो 25 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को समय-समय पर कोलेस्ट्रॉल की जांच जरूर करानी चाहिए. कोलेस्ट्रॉल लेवल का पता ब्लड टेस्ट के जरिए लगाया जा सकता है. कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करना जानलेवा साबित हो सकता है.

सेहत की नियमित जांच

कोलेस्ट्रॉल की समय-समय पर जांच करवाते रहना सबसे जरूरी उपाय है हृदय रोगों को जोखिम को कम करने में.डॉक्टर द्वारा सुझाए गए उपायों का पालन करें और समय-समय पर दवाइयां भी लें. अपने हार्ट को हेल्दी रखने के लिए डॉक्टर के पास जाने के साथ-साथ अपनी सेहत का भी ध्यान रखें. इसके लिए हेल्दी डाइट लें, रोजाना एक्सरसाइज करें और पर्याप्त नींद भी लें. इससे वजन, ब्लड प्रेशर जैसी कई चीज़ें कंट्रोल में रहती हैं.

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