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IDBI Bank की बिक्री पर आई बड़ी खबर,2025 तक प्रकिया पूरी होगी


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नई दिल्ली – सरकार को अगले वित्त वर्ष में आईडीबीआई बैंक की रणनीतिक बिक्री पूरी होने की उम्मीद है। निवेश व सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने पीटीआई टीवी को दिए साक्षात्कार में कहा कि आईडीबीआई बैंक के निजीकरण की प्रक्रिया जारी है और नियामक की मंजूरी मिलने के बाद वित्तीय बोलियां आमंत्रित की जाएंगी।

IDBI Bank की बिक्री पर बड़ी खबर आ गई है। सरकार ने बिक्री प्रक्रिया पूरी करने की डेडलाइन तय कर दी है। आपको बता दें कि सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, अगले वित्त वर्ष 2024-25 में आईडीबीआई बैंक की रणनीतिक बिक्री पूरी हो जाएगी। निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांता पांडे ने कहा कि आईडीबीआई बैंक के निजीकरण की प्रक्रिया जारी है। नियामक की मंजूरी मिलने के बाद वित्तीय बोलियां आमंत्रित की जाएंगी। रणनीतिक बिक्री के अगले वित्त वर्ष में पूरी होने के सवाल पर पांडे ने कहा, ‘हां, बिल्कुल।’ सरकार एलआईसी के साथ आईडीबीआई बैंक में करीब 61 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है। अक्टूबर 2022 में खरीदारों से बोलियां आमंत्रित की गई थीं। ईओआई के जरिए रुचि दिखाने वाले बोलीदाताओं को गृह मंत्रालय से सुरक्षा मंजूरी और ‘उपयुक्त एवं उचित’ मानदंडों को पूरा करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मंजूरी हासिल करनी होगी।

क्या रणनीतिक बिक्री अगले वित्त वर्ष में पूरी हो जाएगी, पांडेय ने कहा, हां बिल्कुल। एलआईसी के साथ सरकार आईडीबीआई बैंक में लगभग 61 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है और इस संबंध में अक्टूबर 2022 में खरीदारों से बोलियां आमंत्रित की गई थीं।
जनवरी 2023 में, दीपम ने कहा कि उसे आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी खरीदने के लिए कई एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) प्राप्त हुए हैं। ईओआई के जरिये बोली लगाने वाली कंपनियों को दो तरह की मंजूरी लेनी होगी- एक गृह मंत्रालय से सुरक्षा मंजूरी और दूसरा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से ‘उपयुक्त और उचित’ मानदंडों को पूरा करने की मंजूरी।

सड़क तथा बिजली क्षेत्र में बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट (इनविट्स), टोल ऑपरेट ट्रांसफर (टीओटी) के जरिए मुद्रीकरण जारी है और पेट्रोलियम क्षेत्र में भी ऐसा होने लगा है। पांडे ने कहा, संपत्ति मुद्रीकरण की आय बजट में स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर मामलों में आय उद्यम को मिलती है, सरकार को नहीं। परिसंपत्ति मुद्रीकरण का मकसद नए बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए निजी क्षेत्र के निवेश का दोहन करना है। यह रोजगार के अवसर भी उत्पन्न करता है, जिससे उच्च आर्थिक वृद्धि संभव होती है। समग्र सार्वजनिक कल्याण के लिए ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों को एकीकृत किया जाता है।

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