निपाह वायरस की वैक्सीन का शुरू हुआ ह्यूमन ट्रायल,2018 में केरल में सामने आए थे निपाह के मामले
नई दिल्लीः निपाह वायरस संक्रमण भारत समेत कई देशों में अपना कहर बरपा चुका है। बीते साल भारत में भी निपाह वायरस के मामले व उनसे संदिग्ध मौत के मामले सामने आए थे जिसने हड़कंप मचा दिया था। लेकिन हाल ही में निपाह वायरस को लेकर एक अच्छी खबर देखने को मिली है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में निपाह वायरस के लिए तैयार की गई वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो चुका है। विश्वविद्यालय की ओर से मिली जानकारी के अनुसार इस खतरनाक वायरस के संक्रमण के लिए तैयार की गई वैक्सीन का ट्रायल अब इंसानों पर शुरू किया जाएगा जिससे जल्द ही खुशखबरी सुनने को मिल सकती है।
अभी तक नहीं बनी थी वैक्सीन
भारत के केरल राज्य समेत दुनियाभर के कई हिस्सों में अपना प्रकोप फैलाने वाले इस खतरनाक वायरस के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बन पाई थी। लेकिन अब इसकी वैक्सीन तैयार हो चुकी है और इसके ह्यूमन ट्रायल की पहली डोज पिछले हफ्ते दी जा चुकी है। इस वैक्सीन का पहले ट्रायल कम इंसानों पर किया जाएगा और धीरे-धीरे हर बार इंसानों की संख्या को बढ़ा दिया जाएगा।
निपाह वायरस की ह्यूमन टेस्टिंग कैसे हो रही है
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के महामारी विज्ञान संस्थान के एक प्रवक्ता ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि 52 पार्टिसिपेंट्स के साथ ऑक्सफोर्ड में पहले फेज की टेस्टिंग 18 से 55 साल की उम्र के लोगों में सेफ्टी और इम्यूनिटी रिएक्शन का आकलन किया जाएगा. ऑक्सफोर्ड टेस्टिंग में पहले पार्टिसिपेंट्स को पिछले हफ्ते वैक्सीन की डोज मिली. यह शॉट उसी तकनीक पर बेस्ड है, जिसका इस्तेमाल एस्ट्राजेनेका (AZN.L) और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविड-19 (Covid 19) शॉट्स में किया गया था.
कोविड 19 वैक्सीन के तरीके से बनाया गया
बताते चलें कि निपाह जैसे खतरनाक वायरस के लड़ने के लिए जो वैक्सीन तैयार की है, इसका नाम ChAdOx1 NiV है। खास बात यह है कि इस वैक्सीन की भी उसी तरह से बनाया गया है, जिस तरह से एस्ट्राजेनेका ने अपनी कोवि 19 वैक्सीन AZN.L और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने अपनी कोविड 19 वैक्सीन बनाने के लिए किया था।
ऑक्सफोर्ड ने वैक्सीन टेस्टिंग को लेकर क्या कहा
डॉ. इन क्यू यून ने बताया कि निपाह में महामारी की आशंका है, इसके फ्रूट बैट उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहां की आबादी दो अरब से ज्यादा है. यानी इन क्षेत्रों में अधिक संख्या में लोग रहते हैं. यह ट्रायल इस जानलेवा वायरस से बचाव के लिए उपकरणों का एक सूट बनाने की कोशिश में एक स्टेप आगे है. ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप इस टेस्टिंग को कर रहा है, जिसके लिए सीईपीआई फंड दे रही है. यह एक ग्लोबल संस्था है जो संक्रामक बीमारियों से लड़ने के लिए वैक्सीन को बनाने में मदद करता है. 2022 में यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज की मदद से निपाह वायरस वैक्सीन की टेस्टिंग हुई थी. अब इस वायरस की चपेट में आने वाले देशों को जल्द ही वैक्सीन के आने की उम्मीद है.
निपाह वायरस के लिए जानकारी
जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है यह एक प्रकार का वायरस है। निपाह वायरस खतरनाक इसलिए है क्योंकि इससे होने वाले संक्रमण में मृत्यु दर बहुत ज्यादा है। इंसानों में निपाह वायरस इन्फेक्शन का सबसे पहला मामला 1998 में मलेशिया में और दूसरा मामला 1999 में सिंगापुर में पाया गया था। वहीं भारत की बात करें तो इसका पहला मामला 2001 में केरल में पाया गया था।
ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप की निगरानी में हो रही टेस्टिंग
संभावित वैक्सीन की टेस्टिंग ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप की निगरानी में की जा रही है। इस ग्रुप को CEPI फंड दे रहा है। CEPI एक वैश्विक गठबंधन है जो नई संक्रामक बीमारियों के खिलाफ वैक्सीन बनाने का समर्थन करता है।अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना ने भी निपाह वायरस के लिए वैक्सीन बनाने का काम शुरू किया था। 2022 में मॉडर्ना ने US नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऐलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीज के साथ मिलकर वैक्सीन बनाना शुरू किया था, हालांकि इसका ट्रायल शुरू नहीं हुआ है।
2018 में केरल में सामने आए थे निपाह के मामले
केरल के कोझिकोड और मलप्पुरम जिले में 2018 में निपाह वायरस से 17 लोगों की मौत हुई थी। इससे बाद निपाह वायरस का मामला 2019 में कोच्चि में सामने आया था। वहीं, 2021 में भी कोझिकोड में निपाह वायरस का एक केस मिला था। सितंबर 2023 में भी 6 लोग निपाह से संक्रमित पाए गए थे। इसके अलावा कोझिकोड में दो लोगों की मौत हो गई थी।6 साल में 4 बार निपाह वायरस से होने वाले संक्रमण के मामले सामने आए, इसे देखते हुए केरल में लॉकडाउन जैसे हालात हो गए थे। गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने कन्नूर, वायनाड और मलप्पुरम में अलर्ट जारी कर दिया था। यहां की 7 ग्राम पंचायतों को कंटेनमेंट जोन बनाया गया था। इन इलाकों और यहां के अस्पतालों में मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया था।
निपाह जूनोटिक वायरस है
निपाह वायरस एक तरह का जूनोटिक इन्फेक्शन है। जो जानवर से फैलता है। टोरंटो हेल्थ साइंस सेंटर की माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. समीरा मुबारेका का कहना है निपाह चमगादड़ और सुअर जैसे जानवरों से इंसानों में फैल सकता है।
कैसे करें बचाव
चमगादड़ों व जानवरों से दूरी बनाए रखें। मृत जानवर को न छुएं
निपाह वायरस से प्रभावित क्षेत्रों में यात्रा न करें
बार-बार हाथ धोएं व अन्य स्वच्छता का ध्यान रखें
खाने व पीने की चीजों को ढक कर ही रखें
घर के आसपास को साफ रखें
किसी भी प्रकार का लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें