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तिल का सेवन सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है, जानें औषधीय गुण, लाभ और नुकसान


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नई दिल्लीः तिल के बीज (Sesame Seeds) या तिल का सेवन सेहत के लिए बहुत उपयोगी होता है। इसे एक तिलहन यानि तेल के लिए बोई जाने वाली फसल माना जाता है। तिल में सेहत के लिए फायदेमंद तमाम पोषक तत्व मौजूद होते हैं। भारत में तिल का इस्तेमाल पवित्र कार्यों में भी किया जाता है इसके अलावा कई त्योहारों में तिल से बनी डिशेज का भी प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद में तिल को एक औषधि के रूप में माना जाता है। इसका इस्तेमाल शरीर की कई व्याधियों को दूर करने के लिए भी होता है। तिल में मौजूद पोषक तत्व जैसे फाइबर और इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण सेहत के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। तिल के तेल में खाना पकाने से कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में भी फायदा मिलता है। इसके साथ-साथ तिल का सेवन स्किन के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। आयुर्वेद में तिल के तेल का सेवन ब्लड शुगर कम करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा पाचन और फंगल इंफेक्शन में भी तिल का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। आयुर्वेद में तिल को औषधि के रूप में प्रयोग कर कई बीमारियों को दूर करने का काम किया जाता है। आइये जानते हैं तिल में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में और आयुर्वेद के मुताबिक इसका इस्तेमाल करने से मिलने वाले फायदे के बारे में।

तिल के फायदे

तिल अनेक फायदों वाली एक खास जड़ी-बूटी है। इससे मिलने वाले लाभों को देखते हुए इसे दुनियाभर में एक फसल के रूप में उगाया जाने लगा है। इसे अंग्रेजी भाषा में सेसमी सीड्स के नाम से जाना जाता है और इसका वैज्ञानिक नाम सेसमम इंडिकम है।तिल में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, विटामिन बी, विटामिन ई और कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक रहते हैं। तिल से प्राप्त होने वाले मुख्य स्वास्थ्य लाभों में निम्न शामिल हैं –

तिल से करें मुंह की बदबू दूर

तिल के तेल में कई बैक्टीरिया व प्लाक को दूर करने वाले कई खास तत्व पाए जाते हैं, जो आमतौर पर मुंह में बदबू का कारण बनते हैं। तिल के तेल से कुल्ला करना काफी प्राचीन तकनीक है जिसका आज भी इस्तेमाल किया जाता है।

संक्रमण से लड़ने में मदद करे तिल

तिल में कई एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होती हैं, जो अनेक प्रकार के संक्रमणों से लड़ने में मदद करते हैं। तिल को आमतौर पर गले व पैरों में होने वाले संक्रमण से लड़ने के लिए प्रभावी माना गया है।

तिल करे डायबिटीज के लक्षणों को कम करने में मदद

तिल में कई शक्तिशाली तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर की इन्सुलिन बनाने की क्षमता में सुधार करते हैं। वहीं तिलों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट रक्त में शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करते हैं, जिससे डायबिटीज के लक्षण प्रभावी रूप से कम होने लगते हैं।

हृदय को स्वस्थ रखे तिल

तिल में लिग्नांस (Lignans) और फाइटोस्टेरोल्स (Phytosterols) नामक खास यौगिक पाए जाते हैं, जो बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं। एलडीएल जैसे हानिकारक कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम रहने से हृदय को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।

तिल से मिले कैंसर से लड़ने में मदद

तिल में मौजूद फाइटोस्टेरोल्स नामक खास कंपाउंड न सिर्फ बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है साथ ही प्रतिरक्षा प्रणाली को कुछ प्रकार के कैंसरों से लड़ने के लिए उत्तेजित करता है। इस प्रकार तिलों का नियमित रूप से सेवन करने से कुछ निश्चित प्रकार के कैंसर होने के खतरे को कम किया जा सकता है।

तिल के साइड इफेक्ट

यदि उचित मात्रा में तिल का सेवन किया जाए तो इससे स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित माना गया है। हालांकि, अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से उल्टी, जी मिचलाना, दस्त और पेट संबंधी अन्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।तिल को सबसे ज्यादा एलर्जी पैदा करने वाले आम खाद्य पदार्थों में से एक माना जाता है, इसलिए यदि आप पहली बार तिल का सेवन करने जा रहे हैं तो पहले डॉक्टर से इस बारे में बात करें। तिल के तेल को त्वचा पर लगाने से पहले भी डॉक्टर से सलाह लेनी जरूरी है।तिल में कई ऐसे तत्व हैं, जो अन्य दवाओं के साथ रिएक्शन कर सकते हैं। इसलिए यदि आपकी पहले से ही कोई दवा चल रही है, तो तिल का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से इस बारे में पूछ लें।

तिल का उपयोग कैसे करें

भारत में तिल को तिलहन की श्रेणी में रखा जाता है और इसे खाद्य पदार्थ और घरेलू उपचार दोनों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा आजकल तिल के तेल से कई प्रोडक्ट बनाए जाने लगे हैं जिसमें आमतौर पर साबुन, लुब्रीकेंट्स और कई प्रकार के कॉस्मेटिक उत्पाद शामिल हैं। तिल का सेवन कैसे करें –

एक चम्मच सीधे चबाकर
दूध में उबालकर
आटे में मिलाकर (रोटी में)
सलाद के साथ मिलाकर

हालांकि, हर व्यक्ति के स्वास्थ्य के अनुसार तिल के सेवन की उचित मात्रा भी अलग हो सकती है, इसलिए लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

मोतियाबिंद की समस्या में तिल का इस्तेमाल

आंख के जुड़ी कई बीमारियों में तिल का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद माना जाता है। आंख में दर्द, आंख का लाल पड़ना, रतौंधी और मोतियाबिंद की बीमारी में तिल के तेल का इस्तेमाल प्राचीन काल से किया जा रहा है। आप मोतियाबिंद की समस्या से छुटकारा पाने के लिए तिल के तेल का इस्तेमाल आयुर्वेदिक तरीके से कर सकते हैं। मोतियाबिंद की समस्या में काले तिल का काढ़ा बनाकर इससे रोजाना आंखों को धुलें। इसके अलावा मोतियाबिंद की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप तिल के फूल, पिप्पली और चमेली के फूल के साथ काली मिर्च को पीसकर इसका रस आंखों में लगायें। कुछ दिनों तक ऐसा करने से आपको मोतियाबिंद की समस्या और आंखों की कमजोरी में बहुत फायदा मिलेगा।

बवासीर (पाइल्स) में तिल का इस्तेमाल

आयुर्वेद के मुताबिक तिल के तेल का इस्तेमाल बवासीर समस्या में बहुत फायदेमंद होता है। असंतुलित खानपान और जीवनशैली की वजह से अक्सर लोगों में बवासीर यानि पाइल्स की समस्या देखी जाती है। आयुर्वेद में पाइल्स की समस्या को अर्श भी कहा जाता है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए तिल का इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है। पाइल्स की समस्या से छुटकारा पाने के लिए तिल को पानी के साथ सिल बट्टे पर पीस लें और इसका इस्तेमाल मक्खन के साथ भोजन से 1 घंटे पहले करें। ऐसा करने से पाइल्स की समस्या में मल के साथ खून निकलने से छुटकारा मिलेगा। इसके अलावा तिल को पीसकर गर्म कर लें और इसे पोटली में बांधकर गुदा मार्ग के पास रखकर सिंकाई करें। ऐसा करने से पाइल्स की समस्या में फायदा मिलता है। 

खांसी में तिल का इस्तेमाल

तिल के तेल और तिल के बीज में स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद अनेकों गुण पाए जाते हैं। इसीलिए आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है। मौसम में बदलाव और सर्द-गर्म आदि के कारण अक्सर लोगों को खांसी-जुकाम की समस्या का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी यह समस्या गंभीर रूप ले लेती हैं। मौसम में बदलाव की वजह से होने वाली खांसी की समस्या में तिल का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। आप इस समस्या से बचने के लिए तिल के काढ़े का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा तिल में मिश्री डालकर इसे अच्छी तरह से उबलने के पीने से सूखी खांसी की समस्या में फायदा मिलता है।

ओवरी के सूजन में तिल का इस्तेमाल

महिलाओं में गर्भाशय यानि ओवरी में सूजन की समस्या कई कारणों से हो सकती हैं। इस समस्या में तिल का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। आयुर्वेद के मुताबिक गर्भाशय के सूजन की समस्या खत्म नहीं हो रही हो तो ऐसे में तिल का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। ओवरी के सूजन में तिल का कम से कम 3 से 4 बार रोजाना सेवन करें। इसके अलावा तिल के काढ़े का रोजाना सेवन करने से इस समस्या में फायदा मिलता है।

पेचिश की समस्या में तिल का इस्तेमाल

पेचिश की समस्या में तिल का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद माना जाता है। खानपान में असंतुलन और पाचन तंत्र की कमजोरी की वजह से लोगों को पेचिश की समस्या होती है। इस समस्या में तिल का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद माना जाता है। पेचिश की समस्या में आप तिल के पौधों के पत्ते का इस्तेमाल कर सकते हैं। आयुर्वेद के मुताबिक पेचिश में तिल के पत्तों को पानी में भिगोकर उसमें निकलने वाले झाग को पिलायें। ऐसा दो से तीन बार करने से पेचिश की समस्या में फायदा मिलेगा।

तिल में पाए जाने वाले अन्य विटामिन और खनिजों में शामिल हैं:

 फ़ास्फ़रोस
 मैग्नीशियम
 आयरन 
 जिंक 
 मोलिब्डेनम
 सेलेनियम
 विटामिन बी1

कोलेस्ट्रॉल कम करता है

तिल के बीज में लिग्नान (lygnan) और फाइटोस्टेरॉल (phytosterol) होते हैं। यह प्लांट बेस्ड कम्पाउन्ड कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) को कम करने में मदद कर सकते हैं। फाइटोस्टेरॉल (phytosterol) को आपकी इम्युनिटी को बढ़ाने और कुछ कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए भी जाना जाता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि आम तौर पर खाए जाने वाले सभी नट और सीड्स (nuts and seeds in winter) में से तिल के बीज में 400 से 413 mg प्रति 100 ग्राम के साथ उच्चतम फाइटोस्टेरॉल मौजूद था। तिल में ये और अन्य पदार्थ उच्च रक्तचाप को रोकने के लिए भी जाने जाते हैं।

ओरल हेल्थ के लिए फायदेमंद 

सर्दियों में तिल के बीज आपके दांतों पर प्लाक पैदा करने वाले बैक्टीरिया से भी छुटकारा दिला सकते हैं। ऑयल पुलिंग (oil pulling) को नियमित रूप से और सही तरीके से अभ्यास करने पर आपकी मौखिक स्वच्छता और स्वास्थ्य में सुधार आएगा। तिल का तेल (sesame oil for oral health)  इस अभ्यास में उपयोग किए जाने वाले सबसे आम तेलों में से एक है। सुबह उठने पर अपने मुंह में एक बड़ा चम्मच तिल का तेल लेकर घुमाएं। 

कितनी मात्रा में तिल खाना है हेल्दी? 

गर्म प्रकृति का होने के कारण आपको तिल के सेवन को नियंत्रित रखना पड़ेगा। स्वस्थ शरीर के लिए आप प्रतिदिन 50-70 ग्राम तिल का सेवन कर सकते हैं। महिलाओं और बच्चों के लिए इससे कम खुराक होनी चाहिए। 

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