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हर देश में टॉयलेट पेपर सफेद ही क्यों होता है?जाने


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नई दिल्ली – पश्चिमी देशों की तुलना में भले ही हमारे देश में टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल कम हो, लेकिन टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल धीरे-धीरे बढ़ रहा है। पहले पेपर टिश्यू टॉयलेट वॉशरूम में पाए जाते थे लेकिन अब ये ऑफिस और कुछ घरों में भी इस्तेमाल होने लगे हैं। हालांकि टिशू पेपर प्रिंटेड और रंगीन रंगों में आता है, लेकिन टॉयलेट पेपर हमेशा सफेद होता है।

टॉयलेट पेपर को सफेद रखने के पीछे ऐसे महत्वपूर्ण कारण हैं, कुछ कंपनियों ने रंगीन या प्रिंटेड टॉयलेट पेपर बनाने की कोशिश की है, लेकिन इस तरह के पेपर काम नहीं आए। दुनिया के लगभग हर देश में सफेद टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल किया जा रहा है।

पर्यावरण की दृष्टि से सफेद टॉयलेट पेपर रंगीन पेपर की तुलना में तेजी से सड़ता है, इसलिए बेहतर है कि टॉयलेट पेपर का रंग सफेद ही रखा जाए। रंगीन कागज के प्रयोग से स्वास्थ्य सम्बन्धी रोग होने की सम्भावना रहती है जो श्वेत पत्र में नहीं होते। डॉक्टर केवल सफेद टॉयलेट पेपर को ही अच्छा और सुरक्षित मानते हैं।

ज्ञानिक और वाणिज्यिक कारण है कि टॉयलेट पेपर हमेशा सफेद होता है। पर्यावरण संरक्षण के कारण टॉयलेट पेपर का रंग भी सफेद रखा जाता है। बिना ब्लीच किया हुआ कागज भूरे रंग का होता है। विरंजन द्वारा इसे सफेद बनाया जाता है। ब्लीचिंग की लागत भूरे रंग की तुलना में कम होती है, इसलिए लागत को नियंत्रण में रखने के लिए कंपनियां टॉयलेट पेपर को सफेद रखती हैं।

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