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आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उद्धव ठाकरे ने कही ये बात


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नई दिल्लीः शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आर्टिकल 370 पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। नागपुर में विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भाग लेने पहुंचे ठाकरे ने इसके साथ ही केंद्र सरकार पर निशाना भी साधा। ठाकरने ने कहा कि हम फैसले का स्वागत करते हैं। हमने पहले भी इसका धारा 370 हटाने का समर्थन किया था। ठाकरे ने हम उम्मीद करते हैं कि अब राज्य में जल्द से जल्द चुनाव कराए जाने चाहिए। ठाकरे ने कहा कि लोकसभा चुनावों से पहले अगर पीओके भी आज जाता है तो वहां भी चुनाव हो जाएगा।जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को निरस्त करने को सुप्रीम कोर्ट द्वारा वैध ठहराए जाने पर शिवसेना (UBT) नेता उद्धव ठाकरे ने कहा, “हम इस फैसले का स्वागत करते हैं. धारा 370 खत्म करने के समय हमने इसका समर्थन किया था. उम्मीद करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का जो दूसरा आदेश है कि अगले सितंबर तक वहां चुनाव होने चाहिए, वह जल्द से जल्द हो जाएगा. वहां की जनता है उनको खुली हवा में मतदान करने का अवसर मिलेगा. चुनाव के पहले अगर PoK भी आ जाता है तो पूरे कश्मीर में चुनाव हो जाएगा और देश का एक हिस्सा बरकरार रहेगा.”

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर ने भारत संघ में शामिल होने पर आंतरिक संप्रभुता का कोई तत्व बरकरार नहीं रखा, इसलिए अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला संवैधानिक रूप से वैध है. सोंमवार को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने ये फैसला सुनाया. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “हमने माना है कि जम्मू और कश्मीर ने भारत संघ में शामिल होने पर संप्रभुता या आंतरिक संप्रभुता का कोई तत्व बरकरार नहीं रखा.” उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर ने अपनी संप्रभुता पूरी तरह से भारत संघ को सौंप दी है और जम्मू-कश्मीर का संविधान भारत संघ और जम्मू-कश्मीर के बीच संबंधों को आगे परिभाषित करने के लिए है. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “जम्मू-कश्मीर के संविधान में ‘संप्रभुता’ के संदर्भ का स्पष्ट अभाव है और इसके विपरीत,उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 1 और 370 से संकेत मिलता है कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. भारत का संविधान अपनी प्रस्तावना में जोर देता है कि भारत के लोग खुद को ‘संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य’ बनाने का संकल्प लेते हैं.” उन्होंने कहा, “जम्मू और कश्मीर राज्य के पास आंतरिक संप्रभुता नहीं है जो देश के अन्य राज्यों द्वारा प्राप्त शक्तियों और विशेषाधिकारों से अलग हो.”

उद्धव ठाकरे की प्रतिक्रिया -कश्मीरी पंडितों की वापसी हो

ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अब वहां पर कश्मीरी पंडितों की वापसी होनी चाहिए। उन्होंने पूछा इसकी गारंटी कौन देगा? फिर उन्होंने पीएम मोदी का जिक्र करते हुए कहा कि वि मोदी गारंटी देते हैं। ऐसे में इस फैसले के साथ कश्मीर में फिर से कश्मीरी पंडितों की वापसी होगी। यह गारंटी देनी चाहिए। उद्धव ठाकरे ने यह भी कि वे अपने नाम से गारंटी देते हैं तो उन्हें गारंटी देना चाहिए। केंद्र सरकार ने चार साल, चार महीने और छह दिन पहले जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा 370 को खत्म कर दिया था। सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद 11 दिसंबर को अपना फैसला सुनाया और सरकार के फैसले को सही करार दिया।

पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने सुनाया फैसला

इससे पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने फैसला सुनाया। CJI चंद्रचूड़ ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि उद्घोषणा के तहत किसी राज्य की ओर से केंद्र द्वारा लिए गए हर फैसले को कानूनी चुनौती नहीं दी जा सकती है और इससे राज्य का प्रशासन ठप हो जाएगा।बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा और कहा कि किसी राज्य की ओर से केंद्र द्वारा लिया गया हर फैसला किसी कानूनी दायरे में नहीं आ सकता।

उमर अब्दुल्ला की प्रतिक्रिया

नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला(Omar Abdullah) ने संविधान के अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि वह इससे निराश हैं। लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं खोई है और संघर्ष जारी रहेगा।अब्दुल्ला ने एक्स पर पोस्ट किया, “निराश हूं लेकिन हतोत्साहित नहीं। संघर्ष जारी रहेगा। भाजपा को यहां तक ​​पहुंचने में दशकों लग गए। हम लंबी लड़ाई के लिए भी तैयार हैं। #WeShallOvercome #Article370।”

उद्धव ठाकरे ने भी दिया बड़ा बयान

“हम स्वागत करते हैं क्योंकि हमने अनुच्छेद 370 को हटाने का समर्थन किया था। यही उम्मीद है कि SC ने दूसरा आदेश दिया है कि सितंबर तक वहां चुनाव कराए जाएं, अगर PoK पहले आता है तो वहां के लोगों को खुली हवा में वोट करने का मौका मिलना चाहिए।” चुनाव, फिर पूरे कश्मीर में चुनाव होंगे” उद्धव ठाकरे(Uddhav Thackeray) ने एक बयान में कहा।

सज्जाद लोन ने भी फैसले के बाद जताया अफसोस

जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस(Jammu and Kashmir People’s Conference) के प्रमुख सज्जाद लोन(Sajjad Loan) ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निराशा व्यक्त की और एक्स पर पोस्ट किया, “अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला निराशाजनक है। न्याय एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के लोगों से दूर है। अनुच्छेद 370 कानूनी तौर पर हो सकता है।” ख़त्म हो गया लेकिन हमेशा हमारी राजनीतिक आकांक्षाओं का हिस्सा बना रहेगा।पोस्ट में आगे लिखा है, “राज्य के दर्जे के मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करने से भी परहेज किया। इस प्रकार पूर्वता का हवाला देकर पूरे देश को भविष्य में किसी भी दुरुपयोग से बचाया। फिर भी उसी दुरुपयोग को जम्मू-कश्मीर में सूक्ष्मता से समर्थन दिया गया। आइए आशा करते हैं भविष्य की तारीख में न्याय दिखावे की नींद से जागेगा।”

अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान-सुप्रीम कोर्ट

न्यायालय ने कहा कि महाराजा की उद्घोषणा में कहा गया कि भारत का संविधान समाप्त हो जाएगा। इसके साथ ही विलय पत्र के पैरा का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। राज्य में युद्ध की स्थिति के कारण अनुच्छेद 370 एक अंतरिम व्यवस्था थी। पाठ्य वाचन से यह भी संकेत मिलता है कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान है। न्यायालय ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर के संघ के साथ संवैधानिक एकीकरण के लिए था न कि विघटन के लिए और राष्ट्रपति यह घोषणा कर सकते हैं कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त हो जाता है।

30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश

कोर्ट ने आगे कहा कि “अनुच्छेद 370(1)(डी) का उपयोग करके संविधान के सभी प्रावधानों को लागू करने के लिए राज्य सरकार की सहमति की आवश्यकता नहीं थी। इसलिए, भारत के राष्ट्रपति द्वारा केंद्र सरकार की सहमति लेना दुर्भावनापूर्ण नहीं था।” सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव कराने का भी निर्देश दिया।

राज्य का दर्जा जल्द हो बहाल-सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने पर केंद्र की दलील के मद्देनजर वह निर्देश देता है कि राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। जल्द से जल्द। 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत दिए गए जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने की घोषणा की और क्षेत्र को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया।

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