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विज्ञान

NASA के मिशन को लीड करेगी इंडियन लेडी अक्षता कृष्णमूर्ति


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नई दिल्ली – बचपन से कई बच्चों का सपना बड़ा होकर डॉक्टर, इंजीनियर, एक्टर या एस्ट्रोनोट बनने का होता है. भारत की अक्षता कृष्णमूर्ति ने भी ऐसा ही कुछ सपना देखा था, जो साकार हो भी गया। अक्षता ने बचपन में एस्ट्रोनॉट बनने और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) में काम करने का सपना देखा था। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से नासा का सफर तय करने वाली अक्षता कृष्णमूर्ति ने खुद ही अपनी प्रेणादायक कहानी इंस्टाग्राम पर शेयर की है।

अमेरिकी स्पेस एजेंसी को लीड करने वाली पहली भारतीय महिला

भारतीय महिला अक्षता कृष्णमूर्ति देश से 13 साल पहले अमेरिका गईं। नासा में काम करना उनका सपना था, जिसे उन्होंने पूरा ही नहीं बल्कि अब अमेरिकी स्पेस एजेंसी के मिशन को लीड करने वाली वो पहली भारतीय महिला बन गई हैं। अक्षता ने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से पीएचडी की उपाधि हासिल कर चुकी हैं। वे नासा में फुल टाइम जॉब कर रही हैं। पिछले पांच वर्षों से अधिक समय से नासा में काम कर रही हैं। अक्षता नासा में एक प्रमुख अन्वेषक और मिशन विज्ञान चरण (Principal Investigator and Mission Science Phase) की प्रमुख हैं। नासा में इतनी बड़ी जिम्मेदारी संभालने वाली अक्षता पहली भारतीय महिला हैं।

भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक सुनीता विलियम्स

भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक सुनीता विलियम्स इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में 6 महीने रहकर रिकॉर्ड बनाने वाली पहली महिला थीं। 9 दिसंबर 2006 से 22 जून 2007 तक चले इस अभियान में नासा की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स ने 29 घंटे 17 मिनट की चार स्पेस वॉक करके विश्व रिकॉर्ड बनाया था। 14 जुलाई, 2012 को उन्होंने फिर से अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी और 18 नवंबर 2012 को वापस लौटीं। इस अभियान के दौरान सुनीता विलियम्स ने 50 घंटे 40 मिनट की स्पेस वॉक करने का रिकॉर्ड बनाया था। इस तरह दो अंतरिक्ष यात्राओं में वह स्पेस में करीब 322 दिन गुजार चुकी हैं।

अक्षता की इतनी मेहनत

अक्षता ने बताया कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी तक पहुंचने में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। कई बार लोगों ने उनका मनोबल भी तोड़ा, लेकिन उन्होंने अपने सपने को टूटने नहीं दिया. दोगुनी हिम्मत बटोरकर मेहनत की। अक्षता पॉजिटिव बनी रहीं और उन्होंने किसी की बात नहीं सुनी. अक्षता ने धैर्य नहीं खोया. इसी की नतीजा यह रहा कि आज वह नासा में काम कर रही हैं। अक्षता ने मंगल ग्रह रोवर पर चलाकर इतिहास रच दिया। यह उपलब्धि हासिल करने वाली वह भारत की पहली महिला हैं। दरअसल, मंगल मिशन के तहत नासा के साइंटिस्ट मंगल ग्रह पर नमूने इकट्ठा करने गए थे। अक्षता को भी मिशन के लिए चुना गया और यहां रोवर चलाकर यह कीर्तिमान रचा। इन नमूनों को पृथ्वी पर लाया जाना है।

कौन हैं अक्षता कृष्णमूर्ति?

अक्षता ने एमआईटी (Massachusetts Institute of Technology) से पीएचडी की उपाधि ली है। लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, अक्षता नासा में एक प्रमुख अन्वेषक और मिशन विज्ञान चरण की प्रमुख हैं। वह पिछले पांच वर्षों से अधिक समय से नासा में काम कर रही हैं। इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, “एमआईटी में पीएचडी करने से लेकर नासा में फुल टाइम जॉब पाने से पहले उन्होंने सैकड़ों संस्थानों में नौकरी के लिए ट्राई किया। अक्षता ने कहा, “आज, मैं कई शानदार अंतरिक्ष मिशनों पर काम कर रही हूं, जिसमें पृथ्वी पर वापस लाने के लिए नमूने इकट्ठा करने वाला पर्सिवरेंस रोवर भी शामिल है।”

कल्पना चावला ने जब भरी अंतरिक्ष की उड़ान

अंतरिक्ष में कीर्तिमान रचकर भारत का नाम रोशन करने वाली बेटियों में एक नाम कल्पना चावला का भी है। साल 1996 में नासा ने कल्पना चावला की काबिलियत देखते हुए स्पेस मिशन के लिए उन्हें विशेषज्ञ और प्राइम रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के रूप में नियुक्त कर लिया। अगले ही साल 19 नवंबर, 1997 को उन्होंने अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर से कोलंबिया स्पेस शटल में अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी. इस मिशन के दौरान कल्पना चावला ने अंतरिक्ष में 15 दिन, 16 घंटे का वक्त बिताया और 5 दिसंबर, 1997 को शटल धरती पर वापस लौट आया।

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