x
भारत

Assembly Election 2023: चुनाव के बाद ईवीएम से कैसे गिने जाते हैं वोट-,जानिए इससे जुडी हर बात


सरकारी योजना के लिए जुड़े Join Now
खबरें Telegram पर पाने के लिए जुड़े Join Now

नई दिल्लीः पांच राज्यों में चुनावों के लिए वोटिंग हो चुकी है. सियासी दलों और प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम यानि इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में कैद हो चुका है. जिन राज्यों में नवंबर महीने में अलग अलग चरणों में वोटिंग हुई, उसमें राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और मिजोरम शामिल हैं.इन राज्यों में वोटिंग का आखिरी चरण 30 नवंबर को तेलंगाना में हुआ. इसके बाद अब 03 दिसंबर को वोट काउंटिंग का काम शुरू होगा. वोट काउंटिंग का काम सुबह 08 बजे से शुरू होगा. हालांकि मतगणना केंद्रों में काउंटिंग से बहुत पहले ही व्यवस्था का काम शुरू हो जाता है. सारी व्यवस्थाएं इस तरह से मुकम्मल कर दी जाती हैं कि वोट काउटिंग का काम सुचारु तौर पर चल सके.

सुबह 05 बजे

जब आमतौर पर लोग जाड़े के दिनों में बिस्तर में सोए ही होंगे, तब तड़के सभी 05 चुनाव वाले राज्यों के हर जिले में मतगणना केंद्रों पर चहल-पहल शुरू हो चुकी होगी. तैनाती के लिए मतगणना पर्यवेक्षकों और सहायकों का आना सुबह 5 बजे शुरू होगा. उन्हें इस समय तक वहां पहुंचकर अपने रिपोर्टिंग अफसर के सामने हाजिर होना होगा.
– ये सभी लोग मतगणना केंद्रों पर अपनी अपनी व्यवस्था को देखकर सुनिश्चित कर लेंगे कि सबकुछ वोट काउंटिंग के लिए तैयार हो चुका है. ईवीएम को अलग अलग टेबल के अनुसार वितरित कर दिया जाएगा.

वोटों की गिनती कहां होती है?

चुनाव के बाद ईवीएम निर्वाचन क्षेत्र के लिए बनाए गए स्ट्रॉन्ग रूम में जमा होता है. जिस दिन मतगणना होती है, उस दिन वोटों की गिनती भी उसी स्ट्रॉन्ग रूम में होती है. हर स्ट्रॉन्ग रूम में एक रिटर्निंग ऑफिसर तैनात रहता है. काउंटिंग शुरू करने से पहले ईवीएम की सील प्रत्याशी या उनके प्रतिनिधि की मौजूदगी में घोलते हैं. मतगणना की प्रक्रिया पूरी होने तक हॉल में उम्मीदवार अपने काउंटिंग एजेंट और इलेक्शन एजेंट के साथ मौजूद रहता है.

काउंटिंग के बाद संभालकर रखा जाता है डेटा

वोटों की गिनती के बाद उसे कंट्रोल यूनिट मेमोरी सिस्टम में सेव करके रखा जाता है. कंट्रोल यूनिट में यह डेटा तब तक रहता है जब तक इसे डिलीट न किया जाए. वोटों की गिनती की जिम्मेदारी चुनाव पदाधिकारी यानी रिटर्निंग ऑफिसर (RO) की होती है. रिटर्निंग ऑफिसर सरकारी अफसर को या फिर स्थानीय निकाय के अधिकारी को बनाया जाता है.

सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू

– रिटर्निंग अधिकारियों की देखरेख में सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू होगी.
– मतगणना हॉल में प्रत्येक टेबल पर एक गणना पर्यवेक्षक और उम्मीदवारों या उनके चुनाव एजेंटों द्वारा चुने गए एजेंट होंगे.
– मतगणना से पहले प्राधिकृत अधिकारियों की मौजूदगी में ईवीएम का निरीक्षण किया जाएगा.
– गणना पर्यवेक्षक/सहायक द्वारा की जायेगी. डाक मतपत्रों की गणना एक साथ की जायेगी.
– प्रत्येक दौर की गिनती के बाद पर्यवेक्षक, गणना एजेंटों या उम्मीदवारों के साथ इस पर हस्ताक्षर करेंगे. रिटर्निंग अधिकारी काउंटर सिग्नेचर करेगा. फिर इसकी घोषणा की जाएगी.
– पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाएगी
– इसके बाद अनिवार्य वीवीपैट सत्यापन किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच या तय ईवीएम के लिए वीवीपैट पर्चियों की गिनती होगी.
– पर्चियों की गिनती और ईवीएम परिणामों के बीच बेमेल होने की स्थिति में, विशेष वीवीपैट की पर्चियों की दोबारा गिनती की जाएगी. फिर पर्चियों के चुनाव चिन्हों की जांच की जाएगी.
– यदि निर्धारित प्रक्रिया को लागू करने के बाद परिणाम मेल नहीं खाते हैं, तो वीवीपैट पर्ची की गिनती मान्य होगी.

ईवीएम मशीनों की होती है जांच


– वोटिंग शुरू होने से पहले सारी EVM मशीनों की जांच की जाएगी. यह जांच भी रिटर्निंग ऑफिसर की उपस्थिति में ही की जाएगी.
– मतों की गिनती के दौरान ईवीएम के क्षतिग्रस्त होने या वीवीपैट पर्चियों में किसी गड़बड़ी के पाए जाने पर चुनाव की देखरेख कर रहा रिटर्निंग अफसर, तुरंत इस बात की सूचना चुनाव आयोग को देगा.

कैसे की जाती है मतों की गिनती?

वोटों की गिनती इलेक्‍ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्‍टल बैलट पेपर्स (ETPBs) और पोस्‍टल बैलट्स (PBs) से शुरू की जाती है। जिसके आधे घंटे बाद ईवीएम की काउंटिंग शुरू होती है। ETPBs और PBs की गिनती आरओ के टेबल पर होती है। आधे घंटे के अंदर ये काउंटिंग पूरी नहीं भी हो तब भी ईवीएम की काउंटिंग शुरू की जा सकती है। 14 ईवीएम में पड़े वोट हर राउंड में गिने जाते हैं। ECI ऑब्‍जर्वर उस राउंड में किसी भी दो ईवीएम की पैरलल काउंटिंग करने के बाद नतीजों की टेबल तैयार करते हैं। हर राउंड के नतीजों पर सुपरवाइजर, काउंटिंग एजेंट्स या कैंडिडेट्स के हस्ताक्षर होने के बाद रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा साइन किया जाता है। जिसके बाद बाहर आ कर कौन कितने वोट से आगे है इसकी घोषणा की जाती है। हर राउंड पूरा होने के बाद आरओ स्ट्रांग रूम से ईवीएम काउंटिंग रूम में मंगवाते हैं और ये पूरी प्रक्रिया वापस दोहराई जाती है। काउंटिंग के बाद VVPAT वेरिफिकेशन अनिवार्य होता है। आपको बता दें, पूरी काउंटिंग प्रोसेस CCTV की निगरानी में की जाती है।

कोई गंभीर बात या गड़बड़ी पर क्या होता है?


फिर परिस्थिति की गंभीरता पर यह निर्भर करेगा कि चुनाव आयोग क्या फैसला करेगा? चुनाव आयोग मामले का अध्ययन करने पर अगर कोई बड़ी गलती या कमी नहीं पाएगा तो इस प्रक्रिया को जारी रखने को कहेगा और अगर कोई गंभीर कमी या गलती पाई जाएगी तो चुनाव आयोग, चुनावों को खारिज कर देगा है और फिर से चुनावों के आदेश देग

फिर कैसे होता है नतीजा घोषित

अगर मतों की गिनती बिना किसी गड़बड़ी की शिकायत और बिना चुनाव आयोग के किसी निर्देश के समाप्त हो जाएगी तो रिटर्निंग ऑफिसर ही मतों की गिनती के पूरा होने पर नतीजे घोषित कर देगा.

VVPAT मशीनें क्या हैं?


जब कोई मतदाता ईवीएम में बटन दबाता है तो वीवीपैट के माध्यम से एक कागज की पर्ची छपती है. पर्ची में उम्मीदवार का चुनाव चिन्ह और नाम होता है. यह मतदाता को अपनी पसंद सत्यापित करने की अनुमति देता है. वीवीपैट में कांच के केस से मतदाता को 07 सेकेंड तक दिखाई देने के बाद मतपत्र पर्ची कटकर वीवीपैट मशीन में बने ड्रॉप बॉक्स में डाल दी जाती है. तब एक बीप सुनाई देती है. वीवीपैट मशीनों तक केवल मतदान अधिकारी ही पहुंच सकते हैं.

स्ट्रांग रूम क्या है और इसकी निगरानी कौन करता है?

स्ट्रांग रूम एक लॉकर की तरह बेहद सुरक्षित स्थान होता है जो हर मतगणना केंद पर बनाया जाता है। इसमें चुनाव से पहले और चुनाव के बाद EVM और VVPAT मशीनों को स्टोर किया जाता है। स्ट्रांग रूम्स के अंदर CCTV कैमरे लगे होते हैं। इसके अलावा यहां डबल लॉकिंग सिस्टम के साथ-साथ चौबीसों घंटे सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की जाती है। यहां हाई सिक्यॉरिटी सुरक्षा व्यवस्था में लगाई जाती है ताकि कोई भी अनधिकृत व्यक्ति ईवीएम या वीवीपीएटी को हाथ नहीं लगा सके या उसमें किसी तरह की छेड़छाड़ ना की जा सके।

काउंटिंग के दौरान कितने काउंटिंग एजेंट मौजूद रहते हैं?

वोट की गिनती के दौरान चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अपने-अपने काउंटिंग एजेंट या इलेक्शन एजेंट के साथ काउंटिंग सेंटर पर रहने की इजाजत होती है। ये वोटों की गिनती पर नजर रखते हैं ताकि काउंटिंग की प्रक्रिया पारदर्शी रहे।

क्या मतगणना दोबारा हो सकती है?

अगर कोई उम्मीदवार चुनाव के नतीजों से संतुष्ट नहीं है तो वो काउंटिंग के 45 दिनों के भीतर दोबारा मतगणना की मांग कर सकता है। रिकाउंटिंग की मांग उठाने वाले उम्मीदवार के पास जमानत जब्त होने से छह गुना ज्यादा वोट होना अनिवार्य है। दोबारा मतगणना कराने की अनुमति उस क्षेत्र के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (डीएम) दे सकते हैं। दरअसल, चुनाव के समय किसी भी जिले के डीएम उस क्षेत्र के निर्वाचन पदाधिकारी होते हैं। उनके पास ही वोटों की गिनती दोबारा करवाने के लिए आदेश पारित करने का अधिकार होता है।

नतीजे आने के बाद कहां जाती है EVM?

नतीजों की घोषणा होने और विजेता उम्‍मीदवार को रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा जीत का सर्टिफिकेट देने के बाद EVM को फिर से स्ट्रांग रूम में शिफ्ट कर दिया जाता है। EVM काउंटिंग के 45 दिनों बाद तक उसी स्टोर रूम में रखी रहती हैं। जिसके बाद उसे वहां से बड़े स्टोर रूम में शिफ्ट कर दिया जाता है।

Back to top button