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UN में रखें एक प्रस्ताव से इजराइल को लगा झटका,इजरायल के खिलाफ खुलकर आया भारत


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नई दिल्ली – यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली में सीरियाई गोलान प्रस्ताव रखा गया है, जिससे इजराइल को झटका लगा है. इस प्रस्ताव में भारत के साथ रूस और चीन ने भी अपनी सहमति जताई है. UN महासभा में हुई वोटिंग के दौरान मिस्र ने इस प्रस्ताव को रखा है, और भारत ने भी इस पर चिंता जताई है. इजराइल ने सीरिया गोलान पर 1967 में कब्जा किया था और तब से पीछे नहीं हटा हैं.

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव का समर्थन किया

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव का समर्थन किया है जिसमें मांग की गई है कि इजरायल कब्जे वाले गोलान हाइट्स से हट जाए.यह वह क्षेत्र है जिसे यहूदी राष्ट्र ने 1967 के छह दिवसीय युद्ध में सीरिया से कब्जा लिया था.भारत उन 91 देशों में शामिल था, जिन्होंने मंगलवार को उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था, जिसमें क्षेत्र पर इजरायल के कब्जे को क्षेत्र में न्यायसंगत, व्यापक और स्थायी शांति के लिए एक बाधा घोषित किया गया था.फिलिस्तीन द्वारा समर्थित प्रस्ताव पर संभवतः कुछ समय के लिए अनुपस्थित रहने के बाद, प्रस्ताव के लिए नई दिल्ली के वोट ने इजरायल से जुड़े संघर्षों में अरब हितों के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की.

सीरियाई गोलान पर इजरायल का कब्जा

प्रस्ताव में गहरी चिंता व्य्क्त की गई है और कहा गया है कि प्रासंगिक सुरक्षा परिषद और महासभा के प्रस्तावों के विपरीत, इजरायल सीरियाई गोलान से पीछे नहीं हटा है, जो 1967 से कब्जे में है. प्रस्ताव में घोषित किया गया कि इजरायल सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 497 (1981) का पालन करने में विफल रहा है. इसमें निर्णय लिया गया है कि कब्जे वाले सीरियाई गोलान हाइट्स में अपने कानून, अधिकार क्षेत्र और प्रशासन को लागू करने का इजरायल का निर्णय अमान्य और अंतरराष्ट्रीय कानूनी विपरित है.’ आपको बता दें कि 4 जून, 1967 से सीरियाई गोलान पर इजरायल का कब्जा है. हालांकि इजरायल ने इस प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की.

इज़राइल पर किए गए नरसंहार की निंदा

इसने अनुपस्थित रहने का कारण 7 अक्टूबर को हमास द्वारा इज़राइल पर किए गए नरसंहार की निंदा करने में प्रस्ताव की विफलता का हवाला दिया.यूरोपीय संघ के सदस्य, कई अन्य यूरोपीय देश और जापान उन देशों में शामिल थे जो अनुपस्थित रहे। अमेरिका और उसके सहयोगियों, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और इजरायल, तथा कुछ प्रशांत द्वीप देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में भारत ने हमास आतंकवाद और इजरायल की जवाबी कार्रवाई में बड़े पैमाने पर हुईं नागरिकों की मौत की निंदा की, लेकिन सीधे तौर पर दोनों का नाम नहीं लिया.हमास के हमले में इजरायल में 1,200 से ज्यादा लोग मारे गए और करीब 240 लोगों को बंधक बना लिया गया.हमास के नियंत्रण वाले गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, मुख्य रूप से हवाई बमबारी से इजरायल की जवाबी कार्रवाई में 14,800 से ज्यादा लोगों की जान गई है.कम्बोज ने हमास-इजरायल संघर्ष में युद्धविराम और कुछ बंधकों की रिहाई का स्वागत किया और बाकि बचे लोगों की रिहाई का आह्वान किया.

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