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Diwali 2023 : इस बार कब है दिवाली,जानें सही तारीख और लक्ष्मी पूजा मुहूर्त


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नई दिल्लीः दिवाली का त्योहार कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है. लेकिन इस साल दिवाली की तारीख को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति है. इसका कारण है अमावस्या की तिथि का समय. यह तिथि दोपहर में शुरू होकर दोपहर में खत्म हो रही है. उदयाति​थि की गणना करते हैं तो कार्तिक अमावस्या 13 नवंबर को है. ऐसे में इस साल दिवाली 12 नवंबर को है या 13 नवंबर को? लक्ष्मी पूजा किस दिन की जाएगी? दिवाली पूजा का मुहूर्त क्या है? केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से इस बारे में जानते हैं विस्तार से

कब है दिवाली 12 नवंबर या 13 को?

कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि 11 नवंबर को दोपहर 01:57 बजे से लेकर 12 नवंबर को दोपहर 02:44 बजे तक है. उदयातिथि के आधार पर चतुर्दशी तिथि 12 नवंबर को है. उदयातिथि को माना जाए तो 12 को चतुर्दशी तिथि और 13 को कार्तिक अमावस्या है. इस वजह से दिवाली की सही तारीख को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति बन गई है.

दिवाली का इतिहास

पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि इसी दिन प्रभु श्रीराम की लंका विजय कर वापिस अयोध्या लौटे थे. इसी खुशी में अयोध्यावासियों ने राम और सीता जी के स्वागत में दीपक जलाकर प्रसन्नता व्यक्त की थी.तभी से दिवाली मनाने की शुरूआत मानी जाती है. इसके साथ ही इस पर्व के बारे में पद्म पुराण और स्कंद पुराण में भी बताया गया है. वैज्ञानिक मत ये है कि हिंदु कैलेंडर के कार्तिक मास में सूर्य अपनी स्थिति में बदलाव करता है और इसी के चलते दिन छोटे और रातें बड़ी होने लगती हैं.

11 नवंबर को नरक चतुर्दशी

इस पर ज्योतिषाचार्य मिश्र का कहना है कि दिवाली और नरक चतुर्दशी के लिए प्रदोष व्यापिनी मुहूर्त का महत्व है. इस बार दिवाली के लिए अमावस्या तिथि में प्रदोष व्यापिनी मुहूर्त 12 नवंबर को प्राप्त हो रहा है क्योंकि 13 नवंबर को दोपहर में ही अमावस्या तिथि खत्म हो जा रही है और उस दिन प्रदोष काल प्रतिपदा तिथि में प्राप्त हो रही है, इसलिए दिवाली 12 नवंबर को मनाई जाएगी और नरक चतुर्दशी 11 नवंबर को मनाई जाएगी.

दिवाली का पर्व 12 नवंबर को मनाया जाएगा

दिवाली का पर्व 12 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा.इस साल दिवाली 12 नवंबर रविवार को है. उस शाम को माता लक्ष्मी की पूजा की जाएगी और दीप जलाए जाएंगे.
दिवाली पर मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है. मान्यता है कि दिवाली की रात निशिता काल में की जाती है. इस वर्ष दिवाली पर निशिता काल का समय-

रात 11:39- 13 नवंबर 2023 से प्रात: 12:32 तक रहेगा.
अवधि- 52 मिनट
महानिशीथ काल- 11:39  से 12:31 तक
सिंह काल- 12:12 से 02:30 तक

दिवाली का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, दिवाली का त्योहार हर साल कार्तिक मास के 15वें दिन अमावस्या को मनाई जाएगी। इस साल दिवाली का पर्व देशभर में 12 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा का भी विशेष महत्व है। 12 नवंबर को अमावस्या तिथि का आरंभ 12 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से प्रारंभ होगी और 13 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी।

दिवाली 2023 पर लक्ष्मी पूजा का समय क्या है?

12 नवंबर को माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 07 मिनट से प्रारंभ है. उसका समापन शाम 06 बजकर 57 मिनट पर होगा. ऐसे में आपको दिवाली की पूजा के लिए आपको 1 घंटा 50 मिनट का मुहूर्त प्राप्त होगा.

लक्ष्मी पूजा विधि

दिवाली की पूजा के लिए लक्ष्मी जी की चौकी स्थापित करें. इस पर एक लाल वस्त्र बिछाएं. फिर कुछ चावल चौकी के मध्य में रखें. इसके बाद कलशा स्थापित करें. चावलों के बीचों-बीच तांबा या पीतल या फिर चांदी का कलश भी रख सकते हैं. इसके बाद कलश में जल भरें और उसमे फूल, चावल के कुछ दाने, एक धातु का सिक्का और एक सुपारी रखें. कलश का मुख पांच आम के पत्तों से ढक दें. अब लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति चौकी के मध्य रखें. मूर्ति को कलश के दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना अच्छा माना गया है. इसके बाद पूजा प्रारंभ करनी चाहिए. भोग लगाने के लिए फल, मिष्ठान आदि रखें. पूजा के लिए नोट या सिक्के आदि भी रख सकते हैं.

दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का महत्व

दिवाली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है।। मान्यताओं के अनुसार, जब मुहूर्त में लक्ष्मी जी का पूजन किया जाता है तो लक्ष्मी जी वहां ठहर जाती हैं। इसलिए लक्ष्मी पूजा के लिए यह सबसे उत्तम समय माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिस व्यक्ति के पास ज्ञान होता है इसके पास धन भी रहता है। इसलिए भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही ऐसा कहा जाता है कि अमावस्या तिथि के दिन अगर माता लक्ष्मी किसी पर प्रसन्न हो जाती है तो उसे आरोग्य की प्राप्ति होती है।

दीपावली पर 5 राजयोग

इस साल दिवाली पर एक साथ 5 राजयोग देखने को मिलेगा। ये 5 राजयोग गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल और दुर्धरा नाम के होंगे। इन राजयोगों का निर्माण शुक्र, बुध, चंद्रमा और गुरु ग्रह स्थितियों के कारण बनेंगे। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गजकेसरी योग को बहुत ही शुभ माना जाता है। यह योग मान-सम्मान और लाभ देने वाला साबित होता है। वहीं हर्ष योग धन में वृद्धि और यश दिलाता है। जबकि बाकी काहल ,उभयचरी और दुर्धरा योग शुभता और शांति दिलाता है। वहीं कई सालों बाद दिवाली पर दुर्लभ संयोग भी देखने को मिलेगा जब शनि अपनी स्वयं की राशि कुंभ में विराजमान होकर शश महापुरुष राजयोग का निर्माण करेंगे। इसके अलावा दिवाली पर आयुष्मान और सौभाग्य योग का निर्माण भी होगा।

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