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सर्दियों में क्यों लोग ज्यादा पड़ते हैं बीमार? ,जानें वज़ह


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नई दिल्लीः नवंबर का महीना शुरू हो चुका है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवंबर के महीने में लाखों लोग बीमार क्यों पड़ते हैं? ऐसे में मौसम में बदलाव को अक्सर बीमारियों के बढ़ने के लिए जिम्मेदार माना जाता है.ठंड के सीजन की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में प्रदूषण का स्तर भी धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। दिल्ली एनसीआर, गाजियाबाद, नोएडा और बाकी इलाकों में अक्तूबर, नवंबर और दिसंबर के महीने में प्रदूषण का खतरा काफी बढ़ जाता है। प्रदूषण बढ़ने के कारण लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा जिन लोगों को पहले से ही श्वास संबंधी समस्या होती है। उनके लिए ये वक्त काफी गंभीर हो जाता है। कई लोगों को बाहर निकलने पर आंखों में जलन भी महसूस होती है। ऐसे में जिन लोगों को प्रदूषण का काफी ज्यादा खतरा होता है। उनको काफी कम घर से बाहर निकलने की सलाह दी जाती है। वहीं क्या कभी आपने इस सवाल पर गौर किया है कि आखिर ठंड शुरू होते ही प्रदूषण का स्तर क्यों बढ़ जाता है? अगर आप इस बारे में नहीं जानते हैं, तो आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं।

विटामिन डी की कमी

अक्टूबर और नवंबर में दिन छोटा होने लगता है जिससे हम धूप के संपर्क में कम आते है, इससे विटामिन डी के उत्पादन में कमी आ जाती है, जो इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए बेहद जरूरी है. यही वजह है कि इस दौरान हमें ज्यादा वायरल इंफेक्शन का सामना करना पड़ता

ठंडी हवा शुष्क है जो आपके श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है

डॉ निश्चल कहते हैं। सबसे पहले तो ठंडी और शुष्क हवा हमारे श्वसन तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है और इसे अधिक कमजोर बना देती है। ठंडी हवा रेस्पिरेट्री ट्रैक के अंदरूनी संतुलन में दिक्कत पैदा कर सकती है। इसके अलावा, शुष्क और ठंडी हवा वायु मार्ग यानी रेस्पिरेट्री ट्रैक की प्राकृतिक सफाई को प्रभावित करती है, जिससे स्थिति और खराब हो जाती है।

इंडोर में ज्यादा लोग रहते हैं

इन दोनों महीनों में लोग बाहर से ज्यादा इंडोर में वक्त गुजारते हैं क्योंकि सर्द हवाएं त्वचा को चुभने लगती है. चूंकि कई लोग एक साथ संपर्क में आते हैं इसलिए वायरस को फैलने के लिए आइडियल कंडीशन बन जाता है.

ठंड के मौसम में वायरस लम्बे समय तक जीवित रह सकता है

यह हर वायरस की प्रकृति है – जिसमें फ्लू वायरस भी शामिल है। जब मौसम ठंडा होता है तो अधिक समय तक जीवित रहता है। यह, स्वाभाविक रूप से, सर्दियों के समय सबसे अधिक सक्रिय होते हैं।

कम नमी

सर्दियों के मौसम के दौरान एक और समस्या है कम नमी। वायरस के ऊपर आमतौर पर नमी की एक परत होती है। लेकिन जब हवा में नमी कम होती है, तो यह परत खत्म हो जाती है और वायरस का संक्रमण आसान बना देती है।

मच्छरों के लिए ब्रीडिंग ग्राउंड

चूंकि बरसात के बाद मौसम बदलने लगता है और जगह जगह पानी जमा होने लगते हैं, जो डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मच्छरों के लिए परफेक्ट ब्रीडिंग ग्राउंड तैयार कराता है. अक्टूबर-नवंबर आते आते इन मच्छरों की संख्या काफी ज्यादा हो जाती है, जिससे बीमारी फैलती है

सर्दियों के दौरान कम बारिश भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है

जब बारिश होती है तो हवा में धूल और टॉक्सिन्स जम जाते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से, सर्दियों के मौसम में बारिश बहुत कम या नहीं होती। जिसके कारण ये वायरस हवा में रहते हैं और संक्रमण का कारण बनते है।

लापरवाही

चूंकि ये मौसम न ही ज्यादा गर्म और न ही ज्यादा ठंडा होता है, ऐसे में लोग घटते और बढ़ते तापमान में लापरवाही कर बैठते हैं, जैसे भोर और देर रात के वक्त ठंडे कपड़े न पहनना, लो टेम्प्रेचर के दौरान नहाना. ऐसी गलतियां कई लोगों को भारी पड़ जाती है.

बहुत ज्यादा घर के अंदर रहना भी है एक कारण

जब मौसम ठंडा होता है, तो लोग घर मे रहना पसंद करते हैं। उनके एसी-वेंटिलेशन कार्यालयों या घर पर संक्रमण आसानी से फैल सकता है। इसलिए, अगर एक संक्रमित व्यक्ति लोगों के साथ एक कमरे में चलता है, तो संक्रमण फैलने की अधिक संभावना है।

धूप की कमी

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन के जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, सर्दियों में कुछ क्षेत्रों में सूरज की रोशनी कम या लगभग शून्य होती है। इसके कारण हमारा शरीर विटामिन डी को एकत्र करने में सक्षम नहीं होता है, जो हमारी इम्युनिटी को मजबूत बनाने में मदद करता है। इसलिए, हम आसानी से संक्रमण से ग्रस्त हो जाते है।

प्रदूषण बढ़ने कारण

प्रदूषण बढ़ने के कारण लोगों को कई तरह की श्वास समस्याएं परेशान करती हैं। प्रदूषण के कारण कई लोगों के हालात इतने गंभीर हो जाते हैं कि उन्हें मजबूरन अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। यही नहीं इस दौरान कोहरे के साथ प्रदूषण और खतरनाक गैसें मिलकर एक खतरनाक मिश्रण बना देती हैं। इसके अलावा सर्दियों के सीजन में हवा भी काफी कम चलती है। यही एक बड़ी वजह है, जिसके चलते प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता रहता है।

7 जड़ी-बूटिया सुरक्षा प्रदान करेंगी

अब आप जानते हैं कि क्यों सर्दी के महीने संक्रमण के लिए आसान होते हैं, खासकर जुकाम, सर्दी और फ्लू के लिए। इसलिए सही कपड़े पहनें और वायरस और एलर्जी से बचाव के लिए अपने विटामिन और मिनरल्स का सेवन करें।अगर आपको खांसी या सर्दी महसूस हो रही है, तो एक ओटीसी इलाज पर भरोसा करें, जैसे कि हमदर्द जोशीना जो तुलसी, मुलेठी, उन्नाब, अमलतास और सपिस्‍तान जैसी 7 जड़ी-बूटियों के साथ आपको आवश्यक सुरक्षा प्रदान करता है। यह आपको सर्दी में होने वाले संक्रमण से बचाता है।

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