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विज्ञान

माउंट एवेरेस्ट से तिगुना बड़ा धूमकेतु धरती की ओर बढ़ा,वैज्ञानिकों के लिए बढ़ी टेंशन!


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नई दिल्लीः स्पेस में होने वाली हलचल में लोगों की काफी दिलचस्पी होती है। यहां होने वाली हर घटना को लेकर स्पेस एजेंसियां अपडेट देती रहती है। ब्रिटिश एस्ट्रोनॉमिकल एसोसिएशन की ओर से बताया गया है कि पृथ्वी की ओर माउंट एवरेस्ट से 3 गुना बढ़ा धूमकेतु आ रहा है। यह एक हॉर्न्ड कॉमेट यानी ‘सींग’ के आकार वाला धूमकेतु है। जो चार महीने की अवधि के दौरान दूसरी बार फटा है। यह लगातार पृथ्वी की ओर आ रहा है। इस धूमकेतु का नाम वैज्ञानिकों ने 12पी/पोंस-ब्रूक्स बताया है। जो एक क्रायोवोल्केनिक या ठंडा ज्वालामुखी वाला धूमकेतु कहा जा सकता है।इसके आकार की बात करें तो इसका व्यास 18.6 मील है और यह 5 अक्टूबर को इसमें विस्फोट हुआ था।

दो सींगों का होने के पीछे वैज्ञानिकों के तर्क अलग

धूमकेतु का कोमा बढ़ जाने के कारण इस पर अजीबोगरीब सींग यानी हॉर्न्ड जैसी आकृति उभर गई है। कई वैज्ञानिकों ने कहा है कि ये धूमकेतू विज्ञान कथा के अंतरिक्ष यान जैसा भी दिख रहा है। जैसे स्टार वार्स से मिलेनियम फाल्कन दिखता है। सींगों जैसी आकृति क्यों बनी, इसका कारण पता नहीं लग सका है। वैज्ञानिक मानते हैं कि ये 12P के नाभिक के आकार से हो सकता है।ब्रिटिश एस्ट्रोनॉमिकल एसोसिएशन के रिचर्ड माइल्स ने एक रिपोर्ट में जानकारी दी है कि दो सींगों का कारण कहीं न कहीं क्रायोवोल्केनिक वेंट हो सकता है। ऐसा तब होता है, जब रुकावट के कारण कोई सामग्री एक अजीब प्रवाह की तरफ बाहर चली जाए। धूमकेतु 2024 तक भी अपने निकटतम बिंद तक अर्थ तक नहीं आ सकेगा। लेकिन ये नग्न आंखों से भी दिख सकता है।

कोमा से लाइट हो रही रिफ्लैक्ट

12पी/पोंस-ब्रूक्स की बारीकी से निगरानी ब्रिटिश एस्ट्रोनॉमिकल एसोसिएशन (BAA) कर रहा है. BAA को विस्फोट का पता तब लगा जब उसने 12पी के कोमा और केंद्र के आसपास धूल के बादल और गैस देखा. साथ ही परावर्तित प्रकाश के कारण दर्जनों गुना अधिक चमक देखी गई. रिपोर्ट के अनुसार अगले कुछ दिनों में, धूमकेतु का कोमा और विस्तारित हो गया और उसके ‘अजीबोगरीब सींग’ विकसित हो गए.इसका व्यास लगभग 30 किलोमीटर (18.6 मील) बताया गया है। इसमें आखिरी बार 5 अक्टूबर को ब्लास्ट हुआ था। चार महीने में ही इसमें दो ब्लास्ट हो चुके हैं। यानी आखिरी खगोलीय घटना जुलाई की बताई गई है। ब्रिटिश एस्ट्रोनॉमिकल एसोसिएशन की ओर से कहा गया है कि वे इस धूमकेतु पर बारीकी से निगाह रख रहे हैं। विस्फोट के बाद धूमकेतु के आसपास गैस के बड़े बादल बन गए हैं। इसके कोमा से लाइट रिफ्लैक्ट हो रही है, उससे यह दर्जनों गुना तक अधिक चमकता दिख रहा है।

क्या असर होगा

जैसे ही ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ उस वजह से धूमकेतु ने गैस और बर्फ का एक बड़ा बादल छोड़ा जो सींगों की एक विशाल जोड़ी की तरह दिखाई दिया। धूमकेतु का आकार बदल रहा है इस वजह से दबाव निर्माण में बाधा आ रही ही है, जिससे 22 अरब पाउंड धूल और बर्फ जो निष्कासित हो गए थे, अब सूर्य को प्रतिबिंबित कर रहे हैं, जिससे सींग दिखाई देने लगा लेकिन यह अंततः गायब हो जाएगा क्योंकि धूमकेतु का मलबा सूरज की रोशनी को पकड़ने के लिए बहुत अधिक बिखरा हुआ हो जाएगा।

कुछ विशेषज्ञों ने मजाक में कहा कि कोमा का अनियमित आकार धूमकेतु को किसी कहानी के स्टारशिप जैसा दिखाता है. यह ‘स्टार वार्स’ के मिलेनियम फाल्कन जैसा दिखता है. सींगों का कारण स्पष्ट नहीं है, हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह 12P के न्यूक्लियस के आकार के कारण हो सकता है. 20 जुलाई के बाद से यह 12P का दूसरा विस्फोट है. इस विस्फोट के दौरान, सींग जैसा उत्सर्जन धूमकेतु से 7,000 गुना अधिक बड़ा था. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह स्पष्ट नहीं है कि सबसे हालिया विस्फोट के दौरान कोमा कितना बड़ा हो गया था. लेकिन ऐसे संकेत हैं कि विस्फोट पिछले की तुलना में तीव्र था. इसमें कहा गया है कि अब तक कोमा संभवतः अपने सामान्य आकार के करीब सिकुड़ गया है.

69 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है

जिसके बाद इसको वापस सौरमंडल में ले जाया जाएगा। जो 2095 तक दोबारा ब्रह्मांडीय ट्रैवल नहीं कर सकेगा। 69 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है, जब किसी आकाशीय वस्तु में ब्लास्ट हुआ हो। 20 जुलाई के बाद दूसरी बार ब्लास्ट हो चुका है। अगर यह धूमकेतु अगले साल तक ब्लास्ट करता रहता है, तो काफी आकर्षित बन सकता है। इसकी खोज सबसे पहले जीन-लुई पोंस ने 12 जुलाई 1812 को की थी। अभी तक सक्रिय ठंडे ज्वालामुखी 20 सामने आ चुके हैं। इसे भी उनमें से एक माना जा रहा है।

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