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सुप्रीम कोर्ट ने वृद्ध दंपती के तलाक को मंजूरी देने से किया इनकार


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नई दिल्लीः 89 वर्षीय बुजुर्ग का अजीबोगरीब तलाक का एक मामला सामने आया। सुप्रीम कोर्ट ने बुजुर्ग को तलाक देने से इनकार कर दिया। बुजुर्ग अपनी पत्नी के साथ तकरीबन छह दशक से एकसाथ रह रहा था। निर्मल सिंह पनेसर की 1963 में परमजीत कौर पनेसर से शादी हुई थी जो अब 82 साल की हैं।बता दें कि बुजुर्ग ने 27 साल पहले पत्नी से तलाक लेने के लिए कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने बुजुर्ग को तलाक देने से इनकार कर दिया। बुजुर्ग अपनी पत्नी के साथ तकरीबन छह दशक से एकसाथ रह रहा था।

कोर्ट ने महिला के पति के फेवर में तलाक की डिक्री

तलाक के इस अनोखे मामले को सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंचने में दो दशक का समय और लगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि भारतीय समाज में विवाह को पति-पत्नी के बीच एक पवित्र, भावनात्मक और आध्यात्मिक रिश्ता माना जाता है। ऐसे में अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारतीय समाज में शादी को पवित्र माना गया है। ऐसे में टूट के कगार पर पहुंच चुकी शादी, जिसमें सुधार की गुंजाइश न हो (इरिट्रीवबल ब्रेक डाउन ऑफ मैरिज) के आधार पर हमेशा तलाक का आदेश ठीक नहीं हो सकता। 89 साल के पति ने अपनी 82 साल की पत्नी से तलाक की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट में महिला ने कहा कि वह तलाकशुदा का लेबल लगाकर मरना नहीं चाहती। कोर्ट ने महिला के पति के फेवर में तलाक की डिक्री पारित करने से मना कर दिया।

ब्रेकडाउन ऑफ मैरिज के आधार पर तलाक का आदेश पारित कर सकता

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की बेंच ने कहा कि शीर्ष अदालत अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर तलाक का आदेश पारित कर सकती है। मगर, यह आदेश बेहद सावधानी और सचेत रहकर पारित करने की जरूरत है। हाल ही में जस्टिस एस. के. कौल की अगुआई वाली बेंच ने कहा था कि अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर सुप्रीम कोर्ट कंप्लीट न्याय को पूरा करने के लिए सुधार की गुंजाइश न रहने वाले ब्रेकडाउन ऑफ मैरिज के आधार पर तलाक का आदेश पारित कर सकता है। शीर्ष अदालत ने तलाक के लिए इस ग्राउंड की व्यवस्था दी हुई है। इससे पहले तलाक का ग्राउंड यह नहीं था।

1963 में हुई थी शादी

जस्टिस बोस की अगुआई वाली बेंच ने कहा मौजूदा मामले में 89 साल के पति ने तलाक की मांग की है और उनकी पत्नी जो 82 साल की हैं उन्होंने कहा है कि वह शादी को जारी रखना चाहती हैं। ऐसे में तलाक का आदेश पारित नहीं होगा। बकौल एएफपी, निर्मल सिंह पनेसर की 1963 में परमजीत कौर पनेसर से शादी हुई थी, जो अब 82 साल की हैं। याचिका के मुताबिक, 1984 में पत्नी के साथ उनका रिश्ता टूट गया था, जब उनकी पत्नी ने चेन्नई जाने से इनकार कर दिया था। दरअसल, भारतीय वायु सेना (IAF) ने निर्मल सिंह पनेसर की चेन्नई में पोस्टिंग की थी।1963 में उनकी शादी हुई थी और महिला ने कहा कि वह लगातार एक पवित्र रिश्ते में रही हैं। इन वर्षों में वह पति की बेरुखी के बावजूद लगातार अपने तीन बच्चों की परवरिश में लगी रहींमहिला ने कहा कि वह अब भी अपने पति की केयर के लिए तैयार हैं। साथ ही उन्होंने अपनी भावना का इजहार किया कि वह तलाकशुदा होकर मरना नहीं चाहती हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में अर्जी पर बेहद सचेत और सावधानी से फैसले की जरूरत है। पति की ओर से दाखिल तलाक की अर्जी कोर्ट ने खारिज कर दी।

जिला अदालत से मिली थी मंजूरी

निर्मल सिंह पनेसर ने 1996 में पहली बार तलाक के लिए आवेदन किया था और जिला अदालत ने तलाक की मंजूरी भी दे दी थी, लेकिन परमजीत कौर पनेसर ने फैसले को चुनौती। जिसके बाद फैसला पलट दिया गया।

हिंदू मैरिज एक्ट में क्या है प्रावधान

हाई कोर्ट के वकील मुरारी तिवारी के मुताबिक, हिंदू मैरिज एक्ट-1955 में धारा-13 (बी) में प्रावधान है कि तलाक के लिए पहला मोशन जब दाखिल किया जाता है तो दोनों पक्ष कोर्ट को बताता है कि उनमें समझौते की गुंजाइश नहीं है। याचिका में दोनों समझौते की तमाम शर्तों को लिखते हैं साथ ही बताते हैं कि कितना गुजारा भत्ता तय हुआ है और बच्चे की कस्टडी किसके पास है। इसके बाद कोर्ट तमाम बातों को रेकॉर्ड पर लेता है और दोनों से छह महीने बाद आने को कहता है।उन्हें इसलिए समय दिया जाता है कि वह समझौता कर सकें। अगर, ऐसा नहीं हुआ तो 6 महीने से लेकर 18वें महीने के बीच दोनों सेकंड मोशन के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दोबारा से तलाक के लिए कहेंगे। वे कोर्ट को बताएंगे कि समझौता नहीं हुआ और तलाक चाहते हैं और तब कोर्ट तलाक की डिक्री पारित करता है।

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