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न्यूयॉर्क दौरे पर पहुंचे ताइवान के उपराष्ट्रपति तो बौखलाया चीन,जिनपिंग ने कहा कुछ ऐसा


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नई दिल्लीः चीन ताइवान पर फिर हमले की तैयारी कर रहा है. इस बार चीनी सेना हवा और समुद्री युद्धाभ्यास में जुटी है. हाल ही में ताइवान के संभावित राष्ट्रपति लाइ चिंग-ते अमेरिका गए थे. यहां उन्होंने ताइवान की स्वतंत्रता, शांति और समृद्धी की बात की. शी जिनपिंग को मिर्ची लग गई. धमकी दी कि स्वतंत्रता का मतलब सिर्फ युद्ध होगा. उन्होंने पहले ही इसकी संभावना जताई थी कि चीन ताइवान के आसपास फिर से सेना भेज सकता है. हुआ भी ऐसा ही. उनके ताइवान लौटते ही चीन ने पूरी तैयारी के साथ सेना भेज दी, जो यहां युद्धाभ्यास कर रही है.चीन और ताइवान के बीच की लड़ाई किसी से छुपी नहीं है। भारत और अमेरिका भी ताइवान का ही पक्ष लेते हैं। वहीं अब ताइवान के उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार विलियम लाई की अमेरिका यात्रा से ड्रैगन भड़क गया है उसने इस कदम की निंदा की।

चीन की वायु और समुद्री सेना संयुक्त रूप से ताइवानी सीमा के आसपास अभ्यास कर रही है. इस बीच ताइवान ने कहा कि यह चीन की ‘सैन्यवादी मानसिकता’ को दर्शाता है. चीनी सेना ने ताइवानी सीमा के पास लड़ाकू विमान, नौसैनिक जहाज और सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम तैनात की है. इस क्षेत्र की रखवाली के लिए चीन सेना की ईस्टर्न थियेटर कमांड जिम्मेदार है. एक बयान में कहा गया है कि अभ्यास का फोकस हवाई और समुद्री क्षेत्र पर कब्ज़ा करने और युद्धक क्षमताओं की टेस्टिंग करने पर रहेगा. चीनी सेना ने कहा कि अभ्यास शिप्स-विमान में को-ऑर्डिनेशन स्थापित करने को लेकर है, ताकि युद्ध की स्थिति में दोनों एक-दूसरे की मदद कर सकें.


चीन ताइवानी उपराष्ट्रति की यात्रा से उत्पन्न होने वाली हर स्थिति के विकास पर बारीकी से नजर रख रहा है और राष्ट्रीय संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए दृढ़ और सशक्त कदम उठाएगा। लाई स्वतंत्रता के बारे में ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन की तुलना में कहीं अधिक मुखर रही हैं, जिनसे बीजिंग पहले से ही शत्रुतापूर्ण है, क्योंकि वह ताइवान को चीन का हिस्सा मानने के उसके विचार को मानने से इनकार करती हैं।ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की इसके जरिए ताइवान को खुली चेतावनी देने की कोशिश है. ताइवान की डेमोक्रेटिक पार्टी को चीन एक अलगावादी के रूप में देखता है, जो ‘बाहरी तत्वों’ के साथ मिलकर स्वतंत्रता हासिल करने की मंशा रखता है. ताइवान को घेरने के लिए चीनी सेना मिसाइलों से लैस पोतों और फाइटर जेट्स के साथ मैदान में उतरी है.

ड्रैगन ने रविवार को विलियम लाई की अमेरिका की सप्ताहांत यात्रा पर दृढ़ और सशक्त कदम उठाने की बात कही है। चीन ने कहा कि वह उपराष्ट्रपति की यात्रा की बारीकी से निगरानी कर रहा है। लाई पराग्वे के रास्ते में अमेरिका पहुंचे हैं। यहां वह 15 अगस्त को राष्ट्रपति के रूप में सैंटियागो पेना के उद्घाटन का गवाह बनेंगे, लाई शनिवार को न्यूयॉर्क पहुंचे थे। दक्षिण अमेरिका में ताइवान का एकमात्र सहयोगी पराग्वे है।

रिपोर्ट के अनुसार, चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ताइवान पर कभी भी नियंत्रण नहीं होने के बावजूद उसे अपने क्षेत्र का हिस्सा होने का दावा करती है और उसने स्व-शासित द्वीप पर कब्जा करने के लिए बल का प्रयोग नहीं छोड़ा है। लाई के अमेरिका यात्रा के तुरंत बाद, चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह अमेरिका और ताइवान के बीच किसी भी आधिकारिक बातचीत का दृढ़ता से विरोध करता है।रिपोर्ट के अनुसार, ताइवान के अधिकारियों द्वारा अमेरिका की यात्राओं को यात्राओं के बजाय “पारगमन” के रूप में संदर्भित किया जाता है क्योंकि अमेरिका के ताइवान सरकार के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं और किसी अन्य गंतव्य के रास्ते में एक अनौपचारिक यात्रा के हिस्से के रूप में आते हैं।

चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक 30 सेकेंड का वीडियो भी जारी किया है, जिसमें देखा जा सकता है कि वायु और समुद्री सेना एक-दूसरे की मदद करते हुए अभ्यास में जुटी है. वे साथ में डिस्ट्रॉयर, मिसाइल, फाइटर जेट, अर्ली वार्निंग विमान, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और लंबी दूरी वाली मिसाइल लेकर पहुंचे हैं. ताइवानी रक्षा मंत्रालय का दावा है कि चीन के 42 लड़ाकू विमान, आठ युद्ध पोत सैन्य अभ्यास में शामिल हुए हैं. दावा है कि 26 फाइटर जेट ने उस क्षेत्र को क्रॉस किया जो दोनों देशों को अलग करता है. इस क्षेत्र को अनाधिकारिक सीमा भी माना जाता है.

अगले साल जनवरी में ताइवान में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं. डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की नेता और राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन अपने पद से रिटायर कर रही हैं. नियमों के मुताबिक, कोई भी नेता सिर्फ दो बार ही राष्ट्रपति बन सकता है. उनके उत्तराधिकारी के तौर पर उपराष्ट्रपति लाइ चिंग-ते राष्ट्रपति की रेस में सबसे आगे हैं. वह पराग्वे दौरे के दरमियान अमेरिका भी गए. उनकी कोशिश अमेरिका को यह जताने की थी कि ताइवान उनके हाथ में सुरक्षित रह सकता है. सीधे तौर पर चीन को निशाना बनाते हुए उन्होंने अमेरिका को यह संदेश देने की कोशिश की कि चीन के साथ संबंध उसी तरह रहेंगे जैसा अमेरिका चाहे.

ताइवान की बड़ी आबादी चीन के साथ यूनिफिकेशन के पक्ष में तो नहीं है लेकिन चीन के साथ किसी तरह का टकराव नहीं चाहते. मुख्य विपक्षी पार्टी भी चीन से टकराव के पक्ष में नहीं है और ना ही यूनिफिकेशन चाहते हैं लेकिन चीन के साथ दोस्ती वाले संबंध बनाए रखने के पक्ष में है. अमेरिका भी मानता है कि चीन-ताइवान में यथास्थिति बनी रहे. युद्ध जैसे हालात पैदा न हों लेकिन ताइवान में अमेरिका का हस्तक्षेप लगातार बढ़ रहा है, जो चीन के लिए नागवार है.

अमेरिकी नेताओं के ताइवान विजिट के बाद चीन और ज्यादा उग्र हो गया है. मसलन, पिछले साल अगस्त में अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव रहीं नेन्सी पेलोसी अचानक ताइवान पहुंची थीं. इसके बाद से ही चीन ताइवानी सीमा के आसपास अपना उग्र रूप दिखाने लगा है. पेलोसी की यात्रा के बाद भी कई अमेरिकी नेता ताइवान पहुंचे. चीन आगबबूला हो गया. चीनी सेना ने तब भी भारी हथियारों के साथ कई दिनों तक युद्धाभ्यास किया था. इनके अलावा आए दिन चीनी फाइटर जेट ताइवानी एयरस्पेस में घुस आता है. ऐसे तो शी जिनपिंग की सेना की जोर पर ताइवान को चीन में शामिल करने के पक्ष में नहीं है लेकिन अमेरिका की हस्तक्षेप पर चीन सैन्य कार्रवाई से इनकार नहीं करता.

उन्होंने ‘ताइवान की स्वतंत्रता’ अलगाववादियों और उनकी अलगाववादी गतिविधियों के लिए अमेरिकी ‘मिलीभगत’ और समर्थन के किसी भी रूप पर कड़ा विरोध व्यक्त किया। झू ने खुद को ‘एक व्यावहारिक ‘ताइवान स्वतंत्रता’ कार्यकर्ता’ बताते हुए कहा, ‘लाई ‘ताइवान की स्वतंत्रता’ के लिए अलगाववादी रुख पर अड़े हुए हैं।’ झू ने कहा कि ‘स्टॉपओवर’ के बहाने, लाई अपने चुनाव के लिए स्वार्थी लाभ हासिल करने के लिए ताइवान को ‘बेच’ रहे हैं, जो अंततः ताइवान के लोगों के हितों को नुकसान पहुंचाएगा और ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता को कमजोर करेगा।

झू ने कहा, ‘क्रॉस-स्ट्रेट शांति और स्थिरता और ‘ताइवान स्वतंत्रता’ पानी और आग की तरह असंगत हैं।’ ‘ताइवान स्वतंत्रता’ अलगाववादी ताकतों की ओर से उठाए गए ये कदम शांति, विकास, आदान-प्रदान और सहयोग के लिए ताइवान के लोगों की प्रबल इच्छा के विपरीत हैं। झू ने कहा, ‘अंत में, वे ताइवान को केवल युद्ध के विश्वासघाती क्षेत्र में खींचेंगे और ताइवान के लोगों के लिए आपदा लाएंगे।’

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