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Nobel Peace Prize 2023 : ईरान की नरगिस मोहम्मदी को मिला शांति का नोबेल पुरस्कार,अभी जेल में हैं बंद


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नई दिल्लीः साल 2023 के लिए नोबेल शांति पुरस्कार के विजेता का ऐलान हो गया है. ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष करने के लिए जेल में बंद कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाएगा. नरगिस मोहम्मदी को ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ उनकी लड़ाई और मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए दिया गया है। बता दें कि नोबल पुरस्कार दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है।ईरान में महिलाओं के हक के लिए लड़ने वाली नरगिस मोहम्मदी को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है। वह 19वीं महिला हैं, जिन्हें यह पुरस्कार मिला है। बता दें, फिलहाल वे जेल में बंद हैं।दरअसल, नरगिस मोहम्मदी ने 2019 में हुए हिंसक प्रदर्शन के पीड़ितों के स्मारक पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया था जिसके बाद अधिकारियों ने उन्हें गत नवंबर में गिरफ्तार कर लिया था.

रीस-एंडरसन ने नरगिस मोहम्मदी के लिए कहा ये

नॉर्वे नोबेल समिति के अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडरसन ने शुक्रवार को ओस्लो में पुरस्कार की घोषणा की. रीस-एंडरसन ने बताया कि मोहम्मदी 13 बार जेल गईं और उन्हें पांच बार दोषी करार दिया गया, उन्हें कुल 31 साल कारावास की सजा सुनाई गई है. रीस-एंडरसन ने कहा, ‘सबसे पहले यह पुरस्कार ईरान में पूरे आंदोलन के लिए बहुत अहम कार्य और उसकी निर्विवाद नेता नरगिस मोहम्मदी को मान्यता देने के लिए है.’ उन्होंने कहा, ‘पुरस्कार के प्रभाव पर निर्णय करना नोबेल समिति का काम नहीं है. हम आशा करते हैं कि यह इस आंदोलन को चाहे जिस भी रूप में हो, जारी रखने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा.’नोबेल समिति का कहना है कि नरगिस ने महिलाओं की आजादी और उनके हक के लिए कई बार आवाज उठाई है। वो 13 बार गिरफ्तार हो चुकी हैं। समिति ने शांति पुरस्कार की घोषणा ईरान की महिलाओं के नारे जन- जिंदगी-आजादी के साथ की। 51 साल की नरगिस अब भी ईरान की एवान जेल में कैद हैं। उन्हें 31 साल की जेल और 154 कोड़ों की सजा सुनाई गई है। ईरान ने उनको सरकार के खिलाफ प्रोपेगैंडा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

2019 से ही जेल में बंद हैं नरगिस

मोहम्मदी हाल ही में 22 वर्षीय महसा अमीनी की मौत पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के लिए जेल में थीं. अमीनी की देश की नैतिकता पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद मृत्यु हो गई थी. उनकी मौत ने 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद ईरान में स्थापित धर्म आधारित शासन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक चुनौती पेश की. अमीनी की मौत के बाद देश भर में शुरू हुए आंदोलन में 500 से अधिक लोग सुरक्षा बलों की कार्रवाई में मारे गए जबकि करीब 22 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया. हालांकि, कारागार में रहने के बावजूद मोहम्मदी ने ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख में योगदान दिया. उन्होंने लिखा, ‘सरकार जो संभवत: समझ नहीं पा रही है, वह यह है कि जितना हम लोगों पर बंदिश लगाई जाएगी उतने ही हम मजबूत होंगे.’

पेशे से इंजीनियर हैं नरगिस मोहम्मदी

मोहम्मदी को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा पर ईरान के सरकारी टेलीविजन और सरकार नियंत्रित मीडिया ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. कुछ अर्द्ध-आधिकारिक समाचार एजेंसियों ने ऑनलाइन संदेश में विदेशी मीडिया की खबरों के हवाले से, मोहम्मदी को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा का पता चलने की बात स्वीकार की है. कारागार में डालने से पहले मोहम्मदी ईरान में प्रतिबंधित ‘डिफेंडर ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर’ की उपाध्यक्ष थीं. वह संस्था के संस्थापक इबादी की करीबी हैं. पेशे से इंजीनियर मोहम्मदी को 2018 में एंद्रेई साखारोव पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

किन-किन को मिल चुका है नोबेल का शांति पुरस्कार

नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित लोगों में दक्षिण अफ्रीका के रंगभेदी विरोधी नेता नेल्सन मंडेला, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, रूस के पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव और म्यांमा की लोकतंत्र समर्थक नेता आन सू ची शामिल हैं. स्टॉकहोम में चुने और घोषित किए जाने वाले अन्य नोबेल पुरस्कारों के विपरीत, पुरस्कार के संस्थापक अल्फ्रेड नोबेल ने वसीयत की है कि शांति पुरस्कार का निर्णय ओस्लो में पांच सदस्यीय नॉर्वे की नोबेल समिति करेगी जिसका गठन नार्वे की संसद द्वारा किया जाता है.

नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाली 19वीं महिला

नरगिस मोहम्मदी ने मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई को लेकर नोबेल शांति पुरस्कार 2023 जीता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने कहा कि इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार उन सैकड़ों-हजारों लोगों को भी पहचान देता है, जिन्होंने महिलाओं को निशाना बनाने वाली भेदभाव और धार्मिक शासन की उत्पीड़क नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई हैबता दें कि साल 2003 में मानवाधिकार कार्यकर्ता शिरीन एबादी के पुरस्कार जीतने के बाद वह नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाली 19वीं महिला और दूसरी ईरानी महिला हैं।

महसा अमिनी की मौत के बाद जेल गईं मोहम्मदी

नरगिस मोहम्मदी 22 वर्षीय महसा अमिनी की मौत के बाद हुए देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन के लिए जेल गईं। महसा अमिनी पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद मौत हो गई थी। इस आंदोलन ने ईरान में साल 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से देश के कट्टरपंथियों के लिए अब तक की सबसे तीव्र चुनौतियों में से एक को जन्म दिया। आंदोलन मे सरकार की कार्रवाई में 500 से ज्यादा लोग मारे गए जबकि 22,000 से अधिक को गिरफ्तार किया गया।नरगिस मोहम्मदी को जब शांति का पुरस्कार दिया जा रहा है, उस समय भी वह अभी जेल में हैं। ईरान में सितंबर 2022 में एक युवा कुर्दिश महिला महसा जिना अमीनी की ईरान की पुलिस की हिरासत के दौरान मौत हो गई थी। उनकी मौत के बाद पूरे ईरान में जोरदार विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। लोगों ने ईरान की सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया था।उन्होंने महिलाओं को स्वतंत्रता देने की मांग की। इस प्रदर्शन में लाखों की तादाद में ईरानी लोगों ने हिस्सा लिया था। इस पूरे प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने महिलाओं की आजादी का समर्थन किया और नरगिस मोहम्मदी के अभियान को अपना पूरा समर्थन दिया। नरगिस मोहम्मदी पर ईरानी पुलिस ने ईरान सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार करने का भी आरोप लगाया है।वह डिफेंडर ऑफ ह्यूमन राइट सेंटर की उप प्रमुख हैं। यह एक गैर सरकारी संगठन है जिसे शिरिन एबादी ने बनाया था। शिरिन को भी साल 2003 में नोबेल शांति पुरस्कार मिल चुका है।

कितने का नकद पुरस्कार दिया जाता है?

नोबेल पुरस्कार में 1.1 करोड़ स्वीडिश क्रोनर (लगभग 10 लाख अमेरिकी डॉलर) का नकद पुरस्कार दिया जाता है. दिसंबर में पुरस्कार समारोह में विजेताओं को 18 कैरेट का स्वर्ण पदक और डिप्लोमा भी प्रदान किया जाता है. प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुस्कार के विजेता का चुनाव नार्वे की विशेषज्ञ समिति ने 350 नामांकितों में से किया. पिछले साल का पुरस्कार यूक्रेन, बेलारूस और रूस के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने जीता था, जिसे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके बेलारूसी समकक्ष और सहयोगियों के लिए कड़े संदेश के रूप में देखा गया.

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