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लाइफस्टाइल

अंतरिक्ष यात्री की मौत हो जाए तो शव का क्या होगा?


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दिल्ली – अब तक ऐसे 21 अंतरिक्ष यात्री हैं जो मिशन के दौरान अपनी जान गंवा चुके हैं, दुनिया भर में अंतरिक्ष मिशनों की होड़ के बाद एक नई बहस छिड़ गई है, विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरिक्ष में मानव मिशनों की संख्या बढ़ने से अंतरिक्ष यात्रियों की मौत के मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है, ईश्वर न करे कि कभी ऐसा हुआ तो क्या होगा? क्या आपने कभी सोचा है कि बीच मिशन में अंतरिक्ष यात्री की मौत होने पर उनका अंतिम संस्कार कैसे किया जाएगा?

अंतरिक्ष यात्रा के दौरान अबतक 20 लोग मारे गए हैं. 1986 और 2003 की नासा स्‍पेस शटल हादसे में 14 लोगों की मौत हो गई थी. इसी तरह साल 1971 के सोयुज 11 मिशन के दौरान तीन अंतरिक्ष यात्री, और 1967 में अपोलो 1 लॉन्च पैड की आग में तीन अंतरिक्ष यात्री मारे गए थे. यह देखते हुए कि मानव अंतरिक्ष उड़ान कितनी जटिल है, यह वास्तव में उल्लेखनीय है कि अब तक इसमें बहुत कम लोगों ने अपनी जान गंवाई है. लेकिन नासा की योजना 2025 में चंद्रमा पर एक दल और अगले दशक में मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की है. वाणिज्यिक अंतरिक्ष उड़ान नियमित होती जा रही है. जैसे-जैसे अंतरिक्ष यात्रा आम होती जा रही है, वैसे-वैसे यह संभावना भी बढ़ती जा रही है कि रास्ते में किसी की मृत्यु हो सकती है.

यदि किसी स्पेस मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्री की मौत हो जाए तो शव को वापस नहीं लाया जा सकता, दरअसल स्पेसक्राफ्ट में बहुत कम जगह होती है, ऐसे में शव को ज्यादा दिन तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता, ऐसे में शव को एयरलॉक सूट में पैक करके अंतरिक्ष में रिलीज कर दिया जाता है. ब्रह्मांड के अधेरे में अंतरिक्ष यात्री का शव सदियों तक घूमता रहता है, आसमान में ठंड होने की वजह से न ये कभी सड़ता है न ही इसमें दुर्गंध आती है. यह एक तरह से आइसममी बन जाता है.

यदि कोई निचले-पृथ्वी-कक्षा मिशन पर मर जाता है – जैसे कि अंतराष्‍ट्रीय स्‍पेस स्टेशन पर तो चालक दल कुछ घंटों के भीतर एक कैप्सूल में शरीर को पृथ्वी पर वापस ला सकता है. यदि यह चंद्रमा पर हुआ, तो दल कुछ ही दिनों में शव के साथ पृथ्वी पर वापस लौट सकता है. नासा के पास ऐसे हालात के लिए पहले से ही विस्तृत प्रोटोकॉल मौजूद हैं. उस त्वरित वापसी के कारण, यह संभावना है कि शरीर का संरक्षण नासा की प्रमुख चिंता नहीं होगी. इसके बजाय, नंबर एक प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना होगी कि शेष दल सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लौट आए.

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