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27 की उम्र में खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी जबर्दस्त है ये शख़्स की कहानी -जानें


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नई दिल्लीः  भारत में दिग्गज कारोबारियों के संघर्ष और सफलता की कहानी के वर्षों पुराने कई किस्से हैं. जिन्हें सुनकर लगता है कि आज के जमाने में यह सब मुमकिन नहीं है लेकिन युवा उद्यमियों ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया है. महज कुछ साल पहले तक दिल्ली की सड़कों पर सिम कार्ड बेचने वाला एक लड़का आज दुनिया के सबसे यंग बिलेनियर की लिस्ट में शामिल है. कभी दिल्ली की सड़कों पर सिम कार्ड बेचते आज उनका नाम दुनिया के सबसे कम उम्र के अरबपतियों की लिस्ट में शामिल है. हम बात कर रहे हैं ओयो रूम्स के फाउंडर रितेश अग्रवाल की। कहा जाता है कि अगर आप किसी चीज को पूरे दिल से चाहते हैं तो पूरी कायनात उसे पाने की कोशिश करती है। ऐसा ही कुछ हुआ रितेश अग्रवाल के साथ। आज उनका कारोबार दुनिया के 80 देशों के 800 शहरों में फैला हुआ है। वह हजारों करोड़ रुपए की कंपनी के मालिक बन गए हैं।

013 में शुरू किया रितेश का स्टार्टअप OYO रूम्स महज 8 साल में 75 हजार करोड़ की कंपनी बन चुका है. ये 80 देशों के 800 शहरों तक फैल चुका है. सस्ते में स्टैंडर्ड रूम्स और कपल फ्रेंडली होने की वजह से OYO रूम्स अक्सर चर्चा में रहता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके सीईओ रितेश अग्रवाल ने ग्रेजुएशन भी पूरा नहीं किया है. 18 साल के रितेश अग्रवाल ने जब बिजनेस शुरू करने का सोचा तब उनकी जेब में मात्र 30 रुपये थे. रितेश की शुरुआती पढ़ाई अपने ही जिले में एक स्कूल से हुई और उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे दिल्ली चले गए. दिल्ली में रितेश ने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस अकादमी में एडमिशन लिया लेकिन उनके दिमाग में कुछ और ही चल रहा था और उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी. रितेश छोटी उम्र से ही वेदांता के अनिल अग्रवाल, स्टीव जॉब्स, मार्क जुकरबर्ग और बिल गेट्स को अपना आदर्श मानते रहे हैं. बता दें कि रितेश मौजूदा समय में IIT और IIM जैसे संस्थानों से पढ़े लोगों की टीम का नेतृत्व कर रहे हैं.

 बता दें कि चीन में ओयो को सबसे बड़ी होटल कंपनी के रूप में स्थापित करने वाले 27 साल के रितेश ने इसके लिए दुनिया की सबसे कठिन समझी जाने वाली चीनी भाषा मंदारिन को कुछ ही महीनों में सीख लिया था. जानकारी के मुताबिक 2018 में ओयो रूम्स ने 1 अरब डॉलर का निवेश जुटाया है. मीडिया में आई खबरों की मानें तो रितेश ने जुलाई 2019 में ओयो रूम्स में अपनी हिस्सेदारी को तीन गुना बढ़ा लिया है. रितेश को घूमने का बहुत शौक है और इसी शौक ने उन्हें एक अनोखा बिजनेस आइडिया दिया। दरअसल बात 2009 की है जब उन्हें पहाड़ियों में घूमने का मौका मिला। भ्रमण के दौरान उन्हें महसूस हुआ कि कमरों की व्यवस्था करने में काफी दिक्कत हो रही है। कभी आप अधिक रुपये देते हैं और एक खराब कमरा पाते हैं, कभी आप कम रुपये देते हैं और एक बेहतर कमरा प्राप्त करते हैं।

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