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निपाह वायरस इंसानो में कैसे फैलता है ?,जानिए क्या हैं लक्षण और बचाव के उपाय


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नई दिल्लीः केरल के कोझिकोड में सोमवार रात को निपाह वायरस का अलर्ट जारी हुआ है. यह अलर्ट हेल्थ डिपार्टमेंट ने जारी किया है. कोझिकोड के एक प्राइवेट अस्पताल में दो लोगों की बुखार से मौत होने के बाद स्वास्थ्य विभाग की तरफ से यह अलर्ट जारी हुआ है. मृतक व्यक्तियों के निपाह वायरस से संक्रमित होने का संदेह है. समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज का कहना है कि मृतकों में से एक के रिश्तेदार को भी आईसीयू में भर्ती कराया गया है. इससे पहले सोमवार को सूबे के स्वास्थ्य मंत्री ने उच्चस्तरीय बैठक कर जिले की स्थिति की समीक्षा की थी.बता दें कि ये इस साल का पहला पहला या दूसरा मामला नहीं है बल्कि, इस साल अलग-अलग समय में इस बीमारी से कई मौतें हो चुकी हैं। ऐसे में हम हर बार इस बीमारी का नाम तो सुनते हैं लेकिन इसके सही कारणों को नहीं जान पाते या इस समझ नहीं पाते। जबकि इस बीमारी से बचने के लिए उन कारणों के बारे में जानना बेहद जरूरी है जो कि इसके जनक हैं।

केरल के कोझीकोड में दो लोगों की बुखार से मौत हो गई है. दोनों लोगों की अननैचुरल डेथ की वजह निपाह वायरस बताया जा रहा है. जिसके बाद ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि निपाह वायरस जानवरों से इंसानों में फैलता है. यह इंसानों से इंसानों में फैल सकने वाला जूनोटिक वायरस (Zoonotic Virus) है. फ़्रूट बैट, फ़्रूट चमगादड़, जिन्हें ‘उड़ती लोमड़ियां’ भी कहा जाता है कि यह निपाह वायरस के कारण बताए जा रहे हैं.आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस बीमारी का नाम मलेशिया के एक गांव में रखा गया था. यहां पर इसका पहला केस मिला था.

निपाह वायरस क्या है

निपाह वायरस (NiV) एक ऐसा वायरस है जो जानवरों से इंसान में फैलता है. यह बीमारी जूनोटिक वायरस है. जूनोटिक वायरस एक ऐसा संक्रमण होता है जो इंसान और जानवरों के बीच फैलता है. यह वायरस मुख्य रूप से चमकादड़ों से इंसानों में फैलता है. Nipah Virus सुअरों से भी इंसानों में फैल सकता है. यह जानलेवा संक्रमण है जिसके लिए अभी तक कोई दवा या टीका नहीं है. Nipah Virus एशिया में सबसे ज्यादा फैलता है जिनमें बांग्लादेश और भारत देश में इसके मरीज आम हैं. यह वायरस इंसानों में बकरी, घोड़े, कुत्ते या बिल्लियों के जरिए भी फैल सकता है. यह वायरस आम तौर पर इंसानों के बीच संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से फैलता है. अगर कोई इंसान निपाह वायरस से संक्रमित किसी जानवर के रक्त, मल, पेशाब या लार के संपर्क में आता है, तो यह वायरस उससे इंसानों में फैल जाता है.

निपाह वायरस एक जूनोटिक बीमारी है जो जानवरों से इंसानों में फैलता है. यह खासकर बैट यानि चमगादड़ के जरिए फैलता है. लेकिन इसके अलावा ये सूअर, बकरी, घोड़े, कुत्ते, बिल्लियों से भी फैल सकता है. सबसे खास बात यह है कि यह हवा के जरिए नहीं फैलता है लेकिन किसी सामान या फ्यूल्ड ड्रोपलेट्स के जरिए फैल सकता है.इस वायरस से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है कि जानवरों के संपर्क में आने से बचा जाए. इसके साथ ही निपाह वायरस से संक्रमित किसी मरीज के संपर्क में आने से भी बचना चाहिए. इस खतरनाक वायरस का प्रकोप हर साल भारत और बांग्लादेश को अपनी गिरफ्त में लेता है.निपाह वायरस दरअसल इंफेक्टेड फल को खाने के कारण जानवर से इंसान में फैलते हैं. अगर किसी जानवर को यह बीमारी हुई है और उसने कोई फल खा लिया है. फिर उस इंफेक्टेड फल खाने से इंसान में वह बीमारी फैलता है. यह इंसान में तेजी से फैलने वाली बीमारी है. निपाह वायरस का इंफेक्शन एक इंसान से दूसरे इंसान में आसानी से फैल सकता है.

निपाह वायरस के शुरुआती लक्षणों में बुखार शामिल है. इसके साथ ही तेज सिर दर्द होता है. इस खतरनाक वायरस के अन्य लक्षण भी हैं.

बुखार
सिर दर्द
सांस लेने में कठिनाई
खांसी और खराब गला
दस्त और उल्टी
मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी

निपाह वायरस इंफेक्शन के बाद शरीर में इस तरह की तकलीफ दिखाई दे सकती है. जैसे- दिमाग में सूजन, एन्सिफ़ेलाइटिस जैसी खतरनाक बीमारी भी हो सकती है. इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. साथ ही साथ गंभीर उल्टियां भी हो सकती है. इसके गंभीर लक्षणों में शामिल है पेट में दर्द होना, दौरे पड़ना और कोमा में चले जाना. ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन’ के मुताबिक निपाह से मरने वालों लोगों की संख्या 40 से 75 प्रतिशत तक रहती है.

इस जानलेवा वायरस के लक्षण आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के चार से 14 दिनों के भीतर शुरू होते हैं. पहले बुखार या सिरदर्द होता है और उसके बाद खांसी के साथ ही अन्य लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं. सबसे पहले भारत में निपाह वायरस साल 2001 में आया था. उस वक्त पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में इस वायरस ने कहर मचाया था. उसके बाद 2018 में केरल में इस वायरस से 15 लोगों की मौत हुई थी. इस वायरस की खोज पहली बार 1999 में हुई थी. यह वायरस मलेशिया और सिंगापुर में खोजा गया था. उस दौरान मलेशिया और सिंगापुर में इस वायरस के कारण 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी

‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन’ के मुताबिक अगर निपाह वायरस को खत्म करना या इसके बढ़ते केसेस को कंट्रोल में करना है तो इसके एकमात्र उपाय है. वह यह कि इसे लेकर ज्यादा से ज्यादा इंसानों को जागरूक करना. जनता को इस बीमारी को लेकर ज्यादा से ज्यादा जागरूक करना बेहद जरूरी है ताकि इस बीमारी के लक्षणों को मामूली बुखार या फ्लू समझकर अनदेखा न करें. बल्कि समय पर हॉस्पिटल और डॉक्टर की सलाह लें. साथ ही इस बीमारी से संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाकर रखें.

ताड़ के फल, अमरूद और फिर खजूर में निपाह वायरस का खतरा ज्यादा हो सकता है। क्यों निपाह वायरस को फैलाने वाले चमगादड़ अक्सर इन्हीं पेड़ों पर रहते हैं और इनके फलों को खाते हैं। ऐसे में गलती से भी इनके जूठे किए हुए फलों को खाना आपको बीमार कर सकता है। इसलिए इस बात का ख्याल रखना बेहद जरूरी है और पेड़ के पके हुए जूठे या फिर खराब फलों को खाने से बचें जो कि ऊपर से थोड़ा सा भी कटा या खाया हुआ सा दिखे।

निपाह वायरस से कैसे बचें

‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन’ के मुताबिक निपाह वायरस से बचने के लिए किसी भी तरह की दवा-वैक्सीन अभी मार्केट में मौजूद नहीं है. निपाह वायरस से राहत चाहिए तो जैसे ही इसके शुरुआती लक्षण दिखाई दें तो तुरंत बिना समय गवाएं डॉक्टर से सलाह लें.निपाह वायरस के इलाज का एकमात्र तरीका लक्षणों का प्रबंधन और बचाव है। ऐसे में इन बातों का ख्याल रखना जरूरी है। जैसे कि
-चमगादड़ों या सूअरों के संपर्क से बचें।
-उन क्षेत्रों से बचें जहां चमगादड़ों का बसेरा माना जाता है।
-उन उत्पादों को खाने या पीने से बचें जो चमगादड़ द्वारा दूषित हो सकते हैं, जैसे कच्चे खजूर का रस,कच्चे फल या जमीन पर पाए जाने वाले पेड़ के पके हुए फल।
-नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोने धोते रहें।
-संक्रमित व्यक्ति के खून या शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क से बचें।

इन सबके अलावा निपाह वायरस की रोकथाम में सतहों को कीटाणुरहित करने जैसे संक्रमण नियंत्रण उपाय भी मददगार हो सकते हैं। साथ ही बीमार जानवरों या निपाह वायरस के प्रकोप वाले क्षेत्रों से बचें क्योंकि यहां खतरा ज्यादा होता है।

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