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विज्ञान

चंद्रमा में खुला उल्कापिंडों की बारिश का इतिहास


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मुंबई – पृथ्वी और सौरमंडल के इतिहास की पड़ताल में चंद्रमा का इतिहास भी एक अहम हिस्सा है. चंद्रमा की आज की सतह के अवलोकन भी कई अहम संकेत देते हैं. इसमें एक संकेत है की चंद्रमा पर हुई उल्कापिंडों, क्षुद्रग्रहों आदि की बारिश (Bombardment on Moon) जिसके बारे में माना जाता है कि यह बहुत लंबे समय तक चली प्रक्रिया रही होगी. नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि चंद्रमा की पर्पटी की सरंध्रता (Porosity of Moon Crust) इस इतिहास के बारे में काफी कुछ बता सकती है.

नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने सिम्यूलेशन के जरिए पता लगाया है कि उल्कापिंडों की बारिश के उस दौर में चंद्रमा की पर्पटी में सरंध्रता या छिद्रता बहुत ही ज्यादा थी और इसकी वजह यही थी की पर्पटी विशाल टकरावों की वजह से टुकड़े टुकड़े हो कर बिखर गई थी. वैज्ञानिकों ने पहले यह माना था कि लगातार हो रहे टकरावों ने धीरे धीरे इस सरंध्रता को बनाने में योगदान दिया था. लेकिन इस अध्ययन में इस बारे में कुछ और पता चला है.

4.4 अरब साल पहले से 3.8 अरब साल पहले तक चंद्रमा पर क्षुद्रग्रह, उल्कापिंड आदि की बारिश होती रही थी. जिससे चंद्रमा की सतह पर क्रेटर, दरारें और छिद्रित पर्पटी का निर्माण हुआ था. अब एमआईटी के वैज्ञानिकों ने पाया है कि चंद्रमा की पर्पटी की सरंध्रता चंद्रमा का इतिहास के उस हिस्से के बारे में काफी कुछ जानकारी दे सकती है.

सिम्यूलेशन्स के जरिए शोधकर्ताओं ने यह भी आंकलन किया कि आज जो चंद्रमा की सतह को देखकर लगता है, वहां उससे दोगुनी मात्रा में टकराव की घटनाएं हुई होंगी. फिर भी यह अनुमान अन्य अध्ययनों के अनुमान से कम ही है. शोधकर्ताओं ने बताया कि पिछले आंकलनों ने चंद्रमा के क्रेटरों की संख्या का अनुमान आज के क्रेटरों की संख्या की तुलना में 10 गुना ज्यादा लगाया था. जबकि इस अध्ययन में यह संख्या कुछ मालूम पड़ती दिख रही है.

चंद्रमा पर इतने टकराव हुए थे कि एक जगह हुए टकराव पिछले टकरावों के निशान मिटाते जा रहे थे. इस अध्ययन में वे यह जानने का प्रयास कर रहे थे कि टकराव ने पर्पटी में सरंध्रता कितनी बनाई जो दूसरे टकरावों से नष्ट नहीं हुई थी, जबकि टकरावों की संख्या से सही जानकारी नहीं मिल सकती थी. शोधकर्तोओं ने नासा के ग्रैविटी रिकवरी एंड इंटीरियर लैबोरेटरी (GRAIL) के आंकड़ों का उपयोग किया. इस अभियान के ग्रैविट नक्शों को पर्पटी के घनत्व के नक्शे में बदला और आज की सरंध्रता की जानकारी निकाल सके.

युवा क्रेटर के आस पास के इलाकों में सरंध्रता बहुत ज्यादा है, जबकि कम सरंध्रता वाले इलाके पुराने क्रेटरों के आसपास हैं. उन्होंने पता लगाया कि चंद्रमा की सरंध्रता पहले बड़े और फिर उसी जगह पर छोटे टकरावों से कैसे बदली. इससे वे चंद्रमा की सतह के शुरुआती हालात का अंदाजा लगा सके. इसी आधार पर वे इस नतीजे पर पहुंचे कि 4.3 अरब साल पहले पर्पटी में बहुत ही ज्यादा सरंध्रता थी, लेकिन 3.8 अरब साल पहले का समय आते आते यह सरंध्रता काफी कम हो गई थी जो आज करीब 10 प्रतिशत तक ही रह गई थी.

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