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विज्ञान

भविष्य में मशीने ऐसे पैदा करेगी बच्चे,होगा कृत्रिम गर्भ का उपयोग


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नई दिल्ली – विज्ञान जगत कुछ अलग तरह के प्रयास कर रहा है, दुनिया भर के वैज्ञानिक कृत्रिम गर्भाशय (Artificial Uterus) बनाने के प्रयास कर रहे हैं जिससे भ्रूण (Embryo) मां के पेट से बाहर ही शिशु में विकसित होगा. बताया जा रहा है कि वैज्ञानिक इस नए आविष्कार के करीब भी पहुंच गए हैं. लेकिन क्या वाकई में अब महिलाओं को कभी गर्भवती होने की जरूरत नहीं होगी और कृत्रिम गर्भ (Artificial Womb) से एक साथ बहुत सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा.

किराए की कोख को समाज में काफी स्वीकार्यता मिल रही है. इस तकनीक से लाखों लोगों को संतान सुख मिल पा रहा है जो इससे पहले किसी वजह से नहीं मिल पा रहा था. कृत्रिम गर्भ प्रीमैच्योर बच्चों का जीवन बचाने का साधन बन सकता है. इससे कई दम्पत्तियों को माता पिता बनने का सौभाग्य मिल सकेंगा और वे किराए की कोख की झंझटों से मुक्त हो सकेंगे. कृत्रिम वातावरण बनाया जाएगा तो बिलकुल मां के गर्भ के समान ही होगा, लेकिन उसका वातावरण पूरी तरह से वही होगा जो किसी समान्य गर्भवती की गर्भ का होता है. इस वातावरण का नियंत्रण मशीनों के द्वारा होगा जिसमें इस कृत्रिम गर्भ का तापमान भी शामिल होगा. इस तकनीक एक बड़ा फायदा यह होगा कि बच्चे पैदा होते समय डॉक्टरों पर बच्चे और मां को एक साथ बचाए रखने का दबाव भी खत्म हो जाएगा.

आज के समय में महिलाओं के लिए बच्चों को जन्म देने की प्रक्रिया कष्टकारी होती जा रही है. साथ ही कई बार बच्चों का समय से काफी पहले जन्म हो जाता है. ऐसे में उनकी सेहत बहुत कमजोर होती है. उन्हें इन्क्यूबेटर में रखना पडता है. उनके कई अंग पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते हैं इसमें फेफड़े खास तौर पर शामिल हैं और उन्हें सांस लेने तक में समस्या होती है.

आज के समय में महिलाओं के लिए बच्चों को जन्म देने की प्रक्रिया कष्टकारी होती जा रही है. साथ ही कई बार बच्चों का समय से काफी पहले जन्म हो जाता है. ऐसे में उनकी सेहत बहुत कमजोर होती है. उन्हें इन्क्यूबेटर में रखना पडता है. उनके कई अंग पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते हैं इसमें फेफड़े खास तौर पर शामिल हैं और उन्हें सांस लेने तक में समस्या होती है.

कृत्रिम गर्भ में रख कर इन बच्चों को बचाने में आसानी हो सकती है. फिलहाल भेड़ों पर इस तरह का प्रयोग सफल हो चुका है. लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्हें मानवों को इसका प्रयोग करने अभी कम से कम दस साल का समय लगेगा. इससे पहले वैज्ञानिक चूहे के भ्रूण को कृत्रिम गर्भ में 11 दिनों तक सफलतापूर्वक पाल चुके हैं. गर्भ में भ्रूण और शिशु की वृद्धि का अवलोकन संभव नहीं हैं. वैसे तो अलग अलग चरणों में भ्रूण की सोनोग्राफी और अन्य तकनीकों की मदद से बच्चों के विकास को समझने में काफी मदद मिली है. लेकिन कृत्रिम गर्भ और गर्भायशय के लिए यह काफी नहीं है.

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