Close
विश्व

गाजा युद्ध की शुरुआत के बाद पहली बार अमेरिकी सैनिकों की मौत,क्या अब अमेरिका और ईरान में छिड़ेगी जंग?


सरकारी योजना के लिए जुड़े Join Now
खबरें Telegram पर पाने के लिए जुड़े Join Now

नई दिल्लीः जॉर्डन में सीरिया की सीमा के पास रविवार को एक हमले में तीन अमेरिकी सैनिक मारे गए और करीब 30 घायल हो गए हैं। गाजा युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिम एशिया में पहली बार अमेरिकी सैनिकों पर ऐसा हमला हुआ है, जिसमें मौतें हुई हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी इस हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इराक के इस्लामिक रेजिस्टेंस समूह ने इस घातक हमले की जिम्मेदारी ली है। इराक में इस्लामिक रेजिस्टेंस कोई एक ग्रुप नहीं है। इराक में कई संगठनों के एक गठबंधन को ये नाम दिया गया है, जिनको ईरान का समर्थन प्राप्त है।

जॉर्डन में अमेरिकी सैनिकों पर ईरान समर्थित समूहों द्वारा किया गया ड्रोन हमला

अमेरिका और ईरान के बीच एक बार तल्खियां बढ़ गई हैं। इसकी एक बढ़ी वजह बीती रात जॉर्डन में अमेरिकी सैनिकों पर ईरान समर्थित समूहों द्वारा किया गया ड्रोन हमला है। इस हमले में अमेरिका के तीन सैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी, जिसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने जॉर्डन में हुए हमले का बदला लेने की बात कही है।इस्लामिक रेजिस्टेंस ने अपने बयान में कहा कि उसके लड़ाकों ने इराक में अमेरिकी कब्जे वाली ताकतों का विरोध करने और गाजा में इजरायल के नरसंहार के जवाब में अपने प्रयासों के तहत रविवार की सुबह अमेरिकी ठिकानों पर ड्रोन हमले शुरू किए। इस्लामिक रेजिस्टेंस के लड़ाके इराक और सीरिया में सक्रिय हैं और इस गठबंधन में कई ग्रुप शामिल हैं। ऐसे यह तय करना मुश्किल हो सकता है कि अमेरिकी लक्ष्यों पर हमलों के लिए वास्तव में कौन सा संगठन जिम्मेदार है।

कब हुआ हमला?

ईरान समर्थित समूह ने जॉर्डन में स्थित अमेरिकी मिलिट्री बेस पर रविवार रात ड्रोन से हमला किया था। इस ड्रोन हमले में तीन अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई, जबकि कई सैनिक घायल हो गए। अमेरिकी मिलिट्री बेस ‘टॉवर 22’ को निशाना बनाया गया था। ईरान समर्थित आतंकवादी समूहों के एक संगठन इस्लामिक रेजिस्टेंस इन इराक ने जॉर्डन-सीरिया सीमा पर तीन ठिकानों पर हमले का दावा किया।

सैनिकों की मौत का बदला लेगा अमेरिका

अमेरिकी सैनिकों पर हुए हमले से अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडन ने ईरान समर्थित समूह को अंजाम भुगतने की चेतावनी दी। अमेरिकी सैनिकों की मौत के लिए बाइडन ने ईरान समर्थित मिलिशिया को जिम्मेदार ठहराया।

ईरान ने दिया ये जवाब

हालांकि, ईरान ने अमेरिकी मिलिट्री बेस पर हुए हमले में अपनी भूमिका से इनकार कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र में ईरान के मिशन ने एक बयान में कहा कि तेहरान इस हमले में शामिल नहीं था। हमारा इस हमले से कोई संबंध नहीं है। इस क्षेत्र में अमेरिकी बलों और प्रतिरोध समूहों के बीच संघर्ष है, जो जवाबी हमलों का जवाब देते हैं।

‘आईआरजीसी करती है सपोर्ट’

इस्लामिक रेजिस्टेंस को ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स-कुद्स फोर्स (आईआरजीसी-क्यूएफ) से मदद मिलने का दावा किया जाता रहा है। आईआरजीसी ही इस गठबंधन को संगठित करने और हथियार पहुंचाने में मदद करता है। वाशिंगटन इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट कहती है कि इन इराकी सशस्त्र समूहों की अपनी व्यक्तिगत पहचानऔर यहां तक कि एक ग्रुप के भी किसी हमले की जिम्मेदारी लेने की बजाय पूरे समूह की ओर से इसपर दावा करना बताया है कि कोई बड़ी ताकत उनमें समन्य करती है, जो निश्चित ही ईरान है।

ईरान समर्थित समूहों ने 150 बार किया हमला

इजरायल-हमास के बीच शुरू हुए युद्ध के बाद यह पहली बार है कि जब किसी हमले में अमेरिकी सैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इस हमले से मध्य पूर्व में व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष की आशंका बढ़ सकती है क्योंकि इजरायल-हमास युद्ध के शुरू होने के बाद से इराक और सीरिया में ईरान समर्थित समूहों द्वारा 150 से अधिक बार अमेरिकी सुरक्षा बलों पर हमला किया गया है। हालांकि, रविवार को हुए हमले से अमेरिका तिलमिला गया है। राष्ट्रपति जो बाइडन के बयान से आशंका जताई जा रही है कि अब अमेरिका इस हमले का तेजी से जवाब देगा।

कैसे हैं अमेरिका और ईरान के रिश्ते?

अमेरिका और ईरान के बीच संबंध अच्छे नहीं रहे हैं। पिछले कई सालों से अमेरिका और ईरान के संबंधों में खटास देखने को मिली है। इजरायल-हमास के बीच युद्ध शुरू होने के बाद भी दोनों देशों के बीच बयानबाजी हुई थी। ईरान ने जब हमास के समर्थन का एलान किया था तो अमेरिकी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। अमेरिका ने ईरान से इस विवाद से दूर रहने को कहा था।

अमेरिका और ईरान में छिड़ेगी जंग?

इजराइल पर हमास के घातक हमले के बाद अल-एलम अल हरबी या द वॉर मीडिया नाम के टेलीग्राम समूह पर इस्लामिक रेजिस्टेंस के कई हमलों के दावे प्रकाशित किए गए हैं। इसके बाद रविवार को उसने कहा कि जॉर्डन में टॉवर 22 पर हमला गाजा में इजरायल के चल रहे हमले के प्रतिशोध में था। इजराइल के समर्थन को देखते हुए यह अमेरिका को इसमें भागीदार मानता है। इन हमलों के साथ ही इस्लामिक रेजिस्टेंस एक तरह से सीधे तौर पर अमेरिका से भिड़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी इन हमलों का बदला लेने की बात कही है। उन्होंने कहा कि मरने वाले सौनिकों के सर्वोच्च बलिदान को हमारा देश कभी नहीं भूलेगा। हम उनकी जान लेने वाले सभी जिम्मेदार लोगों को जवाब देंगे।

Back to top button