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विज्ञान

पृथ्वी पर कैसे तूफान मचा सकते है ज्वालामुखी प्रस्फोट


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नई दिल्ली – यह विस्फोट इतना बड़ा था कि इसके झटके पूरी दुनिया में महसूस किए गए थे. इस ज्वालामुखी से प्रशांत महासागर में सुनामी आई और स्थानीय इलाकों की हवा में राख भर गई. ज्वालामुखी विस्फोट पूरे दुनिया के लिए विनाशकारी साबित हो सकते हैं यहां तक कि महाविनाश के हालात बना सकते हैं. नासा (NASA) के नए जलवायु सिम्यूलेशन ने खुलासा किया है कि चरम ज्वालामुखी प्रस्फोट कैसे पृथ्वी पर कयामत (Doom to Earth) लाने वाले साबित हो सकते हैं.

फ्लड बेसाल्ट प्रस्फुटन चरम ज्वालामुखी प्रस्फोट ही होते हैं जिनमें एक के बाद एक विस्फोटों की शृंखला चलती है जो लाखों सालों में होते हैं और कभी कभी सदियों तक चलते हैं. नासा का कहना है कि इन्हीं घटनाओं के आसपास ही महाविनाश भी देखने को मिले है और ये प्रस्फोट पृथ्वी के इतिहास के सबसे गर्म दौर से भी संबंध रखते हैं.

जियोफिजिलक रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुई है. इसके सिम्यूलेशन ने दर्शाया कि कैसे प्रस्फोट पहले ओजोन परत को नष्ट कर देंगे जो हमारे ग्रह की सतह को हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाती है. पिछले कुछ दशकों से इस परत पर बना छेद वैज्ञानिकों की चिंता का कारण बना हुआ है.

ज्वालामुखी प्रस्फोट पृथ्वी की ओजोन परत का नाश कर सकते हैं. ओजोन परत पृथ्वी के लिए एक ढाल की तरह काम करती है जिससे सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणें धरती तक नहीं पहुंच पाती हैं और पृथ्वी की जलवायु को गर्म रखने में भी सहायक होती हैं. यही वजह है कि पृथ्वी पर आज जीवन इतना समृद्ध हो सका है जबकि पृथ्वी जैसे दूसरे ग्रहों में ऐसा नहीं हो पाया.

चरम ज्वालामुखी विस्फोटों को फ्लड बेसाल्ट प्रस्फुटन भी कहा जाता है और माना जाता है कि इन्हीं की वजह से शुक्र और मंगल आज की स्थितियों में पहुंचे हैं. रोचक बात यह है कि इन नए जलवायु सिम्यूलेशन और इसके नतीजे पिछले अध्ययनों के उलट हैं जो यह बताते थे कि प्रस्फुटन जलवायु को ठंडा करने में सहायक होते हैं.

फ्लड बेसाल्ट प्रस्फुटन चरम ज्वालामुखी प्रस्फोट ही होते हैं जिनमें एक के बाद एक विस्फोटों की शृंखला चलती है जो लाखों सालों में होते हैं और कभी कभी सदियों तक चलते हैं. नासा का कहना है कि इन्हीं घटनाओं के आसपास ही महाविनाश भी देखने को मिले है और ये प्रस्फोट पृथ्वी के इतिहास के सबसे गर्म दौर से भी संबंध रखते हैं.

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