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आप जानते है लड़कों से छोटी क्‍यों होती है लड़कियों के जींस की पॉकेट?


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मुंबई – आप अपनी जींस की पॉकेट में क्या-क्या सामान रख लेती है। एक मोबाइल और ज्यादा से ज्यादा एक पेन। क्या मोबाइल भी पूरी तरह पॉकेट में आ पाता है? गौर करेंगी तो मोबाइल आपकी पॉकेट से झांकता हुआ दिखाई देता है और दो मोबाइल रखने के बारे में तो आप सोच भी नहीं सकतीं। आपने कभी सोचा है की क्यों आपकी पॉकेट इतनी छोटी होती है?

अगर हम लड़कों की जींस की पॉकेट देखें तो उसका साइज इतना बड़ा होता है कि दो मोबाइल तक एक साथ आ जाते है। पीछे की पॉकेट में वो बड़ा सा पर्स भी रख लेते है। जबकि लड़कियों की जींस की पीछे की पॉकेट में कुछ पैसे रखने पर भी वो चलते-चलते खिसककर बाहर आने लगते है। इसके लिए लड़कियों को हमेशा एक बैग रखना पड़ता है जबकि लड़के बिना बैग के भी आराम से निकल पड़ते है।

लीवाइस, पेपे, एचएनएम, कैंटाबेल, फ्लाइंग मशीन और ली जैसे ब्रांड में लड़कियों के लिए जींस की अलग-अलग कैटेगरी होती है। किसी कैटेगरी में छोटी पॉकेट, किसी में फेक पॉकेट (पॉकेट दिखती है पर होती नहीं) तो किसी में पॉकेट ही नहीं होती। हमें हर जगह लड़कियों और लड़कों की जींस की पॉकेट में काफी अंतर मिला। लड़कियों की जींस की पॉकेट छोटी थी और लड़कों की बड़ी। ऐसे में लड़कियों के पास पॉकेट को लेकर विकल्प ही सीमित होते है। जींस की जरूरत लड़कों और लड़कियों दोनों को होती है। उनकी कीमत भी लगभग एक जैसी होती है। फिर दोनों की जींस की जेब में इतना अंतर क्यों होता है?

महिलाओं की जींस की पॉकेट मर्दों की जींस पॉकेट से छोटी होने की मुख्य वजह कॉस्ट कटिंग बताई गई है। 10 साल से फैशन इंडस्ट्री का हिस्सा रही फैशन डिजाइनर एमिली केलर ने बताया कि महिलाओं की जींस की पॉकेट इसलिए छोटी होती है ताकि कपड़ों को कम करने के लिए लागत में कटौती की जा सके। इसके अलावा ज्यादातर कंपनियां महिलाओं की जींस को छोटा रखने की योजना बनाती है क्योंकि वह कपड़े की बचत करती है। ताकि उनकी कंपनी को फायदा हो सके। बता दें कि छोटी पॉकेट बनाने से कंपिनयों का काफी फायदा होता है।

आमतौर पर देखा जाए तो बहुत कम ब्रांड्स और डिजाइनर लड़कियों के कपड़ों में पॉकेट देते है। क्योंकि उन्हें ये लगता है कि महिलाएं फिगर को लेकर ज्यादा चिंता करती है। अगर वो ट्राउजर्स में ज्यादा पॉकेट देंगे तो उनका वेस्ट एरिया (कमर के आसपास का हिस्सा) ज्यादा बड़ा लगेगा और महिलाएं इसे पसंद नहीं करेंगी। इस तरह के कपड़े डिजाइन करते वक़्त सोचा जाता है कि महिलाएं किसी कपड़े को इसलिए ज्यादा पसंद करेंगी क्योंकि उनका फिगर अच्छा दिखेगा। फिर सामान के लिए तो वो भारतीय परिधानों के साथ बैग रखती ही आई है। लड़कों के मामलों में उन्हें पॉकेट रखना बहुत जरूरी लगता है। हालांकि, अब महिलाओं के लिए भी पॉकेट वाले ड्रेस भी काफी आ रहे है।

महिलाओं की जींस के पॉकेट साइज को लेकर विदेशों में भी रिसर्च की गई है। पुडिंग डॉट कॉम वेबसाइट ने जींस के 20 अमरीकी ब्रांड्स पर शोध किया और उसने नतीजों में महिला और पुरुष की जींस की पॉकेट में अंतर पाया। इस शोध के मुताबिक़, महिलाओं की जींस की सिर्फ 40 प्रतिशत पॉकेट में ही तीन बड़े ब्रांड के मोबाइल आ पाए। आधी से भी कम फ्रंट पॉकेट्स में वो वॉलेट आ पाए जो फ्रंट पॉकेट्स के लिए ही बनाए गए थे। स्किनी जींस में महिला और पुरुष दोनों के लिए छोटी पॉकेट होती हैं। लेकिन, उसमें भी महिलाओं की पॉकेट 3.5 इंच (48%) छोटी और 0.3 इंच (6%) पतली होती है। इसी तरह स्ट्रेट जींस की पॉकेट 3.4 इंच (46%) छोटी और 0.6 इंच (10%) पतली होती है।

एक समय ऐसा था जब महिलाएं पैसों और अन्य जरूरतों के लिए अपने पति पर निर्भर रहती थीं। ज्यादातर पुरुष ही बाहर के काम संभालते थे। तब महिलाओं के लिए पॉकेट जरूरी नहीं समझी जाती थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अधिकतर मर्द युद्ध के लिए चले गए थे। तब महिलाओं पर घर और बाहर दोनों की जिम्मेदारियां आ गईं। ऐसे में महिलाओं को ट्राउजर्स पहनने के लिए प्रोत्साहित किया गया ताकि बाहर के कामों में वो पॉकेट्स इस्तेमाल कर सकें। लेकिन विश्वयुद्ध के बाद पुरुष घर आ गए और भूमिकाएं पहले की तरह बंट गईं। ज्यादा खूबसूरत और फिगर में दिखने के लिए महिलाओं के लिए टाइट फिटिंग कपड़ों का चलन शुरू हो गया और पॉकेट धीरे-धीरे गायब हो गई।

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