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विज्ञान

वैज्ञानिकों ने बताया, सिमटने लगेगा ब्रह्माण्ड


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नई दिल्ली – ब्रह्माण्ड का विस्तार (Expansion of Universe) ही हो रहा है. लेकिन यह विस्तार कब तक होता रहेगा इस बारे में वैज्ञानिक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे थे. नए अध्ययन में डार्क ऊर्जा (Dark Energy) की प्रकृति का अध्ययन करते हुए वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि खगोलीय काल पैमाने के अनुसार यह विस्तार जल्दी ही रुक जाएगा और इसकी उल्टी प्रक्रिया यानि संकुचन (Shrinking of Universe) की भी शुरुआत हो जाएगी.

डार्क मैटर की प्रकृति का प्रतिमान बनाने का प्रयास किया गया था. वैज्ञानिकों का काफी समय से यह मानना है कि ब्रह्माण्ड के विस्तार के लिए डार्क मैटर ही जिम्मार है. इस अध्ययन के प्रतिमान के अनुसार डार्क ऊर्जा एक प्रकृति का नियमित बल नहीं है, बल्कि क्विंटएसेंस नाम का ऐसा सारतत्व है जो समय के साथ खत्म होता जा रहा है.

अगले 10 करोड़ साल में पूरी तरह से बंद हो जाएगी और फिर संभावना है कि यह संकुचन के धीमे दौर में प्रवेश कर जाएगा जिससे अब से अरबों साल के बाद टाइम स्पेस की मौत हो जाएगी या फिर उसका पुनर्जन्म हो जाएगा. इस तरह की अंदेशा पहले भी कई वैज्ञानिक लगा चुके हैं.

ब्रह्माण्ड के भविष्य या अंत के बारे में कई मत प्रचलित है, लेकिन उनमें से एक मत यह भी है कि 13.8 अरब साल पहले शुरू हुए ब्रह्माण्ड का विस्तार एक सीमा के तक पहुंचकर रुक जाएगा और उसके बाद उल्टी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. प्रोसिडिसिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस में प्रकाशित इस अध्ययन में इसी के बारे में बताया है.

यह पूरी प्रक्रिया बहुत जल्द ही शुरू हो जाएगी क्योंकी खगोलवीय कालक्रम में 6.5 करोड़ साल बहुत छोटा समय है. लाइव साइंस की रिपोर्ट में उन्होंने बताया कि इस सिद्धांत में कुछ भी विवादास्पद या विरोधाभासी नहीं है, लेकिन चूंकि यह हाल के पिछले विस्तार के अवलकोन पर आधारित है, और डार्क ऊर्जा भी अभी बड़ा रहस्य है, इन अध्ययन के नतीजों का परीक्षण करना अभी संभव नहीं है.

वैज्ञानिक ब्रह्माण्ड की विस्तार की बढ़ती गति को समझने का प्रयास कर रहे हैं इसके पीछे काम कर रहे बल को वैज्ञानिकों ने डार्क ऊर्जा का नाम दिया था जो दिखाई ना देना वाला तत्व है लेकिन गुरुत्व के विरोध में काम करता है. ब्रह्माण्ड के कुल भार का 70 प्रतिशत हिस्सा इसी ऊर्जा का बताया जाता है. सत अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यही सवाल उठाया कि क्या विस्तार की गति ऐसे ही बढ़ती जाएगी? अगर नहीं तो क्या विकल्प है और कब बदलाव हो सकते हैं.

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