मुंबई – पेंडेमिक के दौरान ओटीटी जब सिनेमा के नए सलीके के रूप में उभरा तो अभिनय का पावर हाउस कहलाने वालीं एक्ट्रेस विद्या बालन भी इस प्लैटफॉर्म पर अपना प्रभाव जमाने में सफल रहीं। ‘शाकुंतला देवी’, ‘शेरनी’ और ‘जलसा’ जैसी फिल्मों से उन्होंने दर्शकों का अच्छा मनोरंजन किया। विद्या बालन की गिनती देश की उन चुनिंदा अभिनेत्रियों में होती रही है जिन्होंने सिर्फ अपनी जिद और अपने किरदारों के प्रति अपने समर्पण से हिंदी सिनेमा में महिला प्रधान भूमिकाओँ वाला पूरा एक अलहदा सिनेमा खड़ा कर दिया।
ये कहानी है एक मर्डर की. बिजनेसमैन आशीष कपूर यानि राम कपूर अपने करीबी दोस्तों को अपने बर्थडे की पार्टी में बुलाते हैं. ये पार्टी स्कॉटलैंड में समंदर किनारे बने एक विला में है लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आता है जो आशीष कपूर का मर्डर हो जाता है. सीबीआई अफसर बनी विद्या बालन यानि मीरा राव इसकी जांच करती हैं. फिर क्या होता है…ये तो आपको थिएटर जाकर देखना होगा क्योंकि मर्डर मिस्ट्री में इससे ज्यादा चीजें नहीं बताई जा सकती.सच ये भी है कि विद्या बालन की ही फिल्मों ने इस तरह के सिनेमा से दर्शकों को दूर करना भी शुरू किया। अब हालत ये है कि ऐसी फिल्मों को सिनेमाघर मिलना दूभर रहा है। कोरोना काल खत्म होने के बाद भी ऐसी फिल्में सिर्फ ओटीटी पर रिलीज होती रही हैं।
‘वेटिंग’ और ‘शाकुंतला देवी’ जैसी फिल्मों की निर्देशक अनु मेनन ने पहली बार मर्डर मिस्ट्री जॉनर में हाथ आजमाया है। मर्डर मिस्ट्री का सबसे स्ट्रॉन्ग पॉइंट होता है, उसकी कहानी और टर्न एंड ट्विस्ट, मगर गिरवानी ध्यानी, अनु मेनन, अद्वैत काला और प्रिया वेंकटरमन जैसे लेखकों की मजबूत टीम मिलकर भी कहानी को बांधने में कमजोर साबित होती है। फिल्म के पहले भाग में किरदारों को स्थापित करने में काफी समय जाया किया गया है. अब जब चार साल के बाद विद्या की फिल्म ‘नीयत’ से सिनेमा हॉल में आ रही है तो ऑडियंस बेहतर कॉन्टेंट की उम्मीद करना स्वाभाविक था, मगर इस मामले में निराशा हाथ लगती है।कुछ कुछ चीजें बचकानी सी भी लगती हैं लेकिन कुल मिलाकर ये फिल्म ऐसी है कि इसे आप एक बार तो देख सकते हैं और विद्या बालन के लिए तो ये फिल्म जरूर देखनी जानी चाहिए.