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Shaheed Diwas 2024: महात्मा गांधी की 76वी पुण्यतिथि आज,शहीद दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है?-जानें

नई दिल्लीः भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने में गांधी जी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने भारत की आजादी, विकास और समृद्धि के लिए अपना जीवन तक बलिदान कर दिया। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की गोली मार कर हत्या कर दी थी। गांधी जी के इस बलिदान की याद में और उन्हें सम्मान देने के लिए हर साल 30 जनवरी का दिन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन उन सभी शहीदों को भी याद किया जाता है जिन्होंने देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। आज बापू की वजह से ही हम सब आजाद हवा में सांस ले रहे हैं। गांधी जी के साधारण व्यक्तित्व और साधनापूर्ण जीवन ने सिर्फ भारत को ही नहीं बल्कि विश्व को शांति, अहिंसा और सद्भाव का रास्ता दिखाया।

आजादी की लड़ाई में प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक महात्मा गांधी

आजादी की लड़ाई में प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक महात्मा गांधी भी रहे। महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर उन्होंने अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। कोई उन्हें बापू कहता है तो कोई देश का राष्ट्रपिता। दोनों का अर्थ एक ही है, उन्हें हर भारतीय के पिता के रूप में देखा जाता है, जिन्होंने सही मार्ग पर चलकर आजादी की जंग लड़ी और भारतीयों का भी इस जंग में मार्गदर्शन किया।

30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन

आजादी मिलने के कुछ महीनों बाद 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन हो गया। उस शाम प्रार्थना के दौरान बिड़ला हाउस में गांधी स्मृति में नाथूराम गोडसे ने गांधीजी को गोली मार दी। इतिहास में 30 जनवरी का दिन गांधी जी की पुण्यतिथि के तौर पर हमेशा के लिए दर्ज हो गया। हर साल 30 जनवरी को गांधी जी की पुण्यतिथि के साथ ही शहीद दिवस भी मनाया जाता है।

शहीद दिवर (30 जनवरी) का इतिहास

30 जनवरी, 1948 को, महात्मा गांधी दिल्ली के बिड़ला भवन में एक शाम की प्रार्थना सभा को संबोधित करने जा रहे थे। उसी समय शाम के तकरीबन 5:17 बजे, नाथूराम गोडसे ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। अहिंसा के पुजारी गांधी जी के निधन के बाद हर साल उनकी पुण्यतिथि (30 जनवरी) को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। शहीद दिवस को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

30 जनवरी को शहीद दिवस

जिस दिन महात्मा गांधी का निधन हुआ था, उसे देशवासी शहीद दिवस के तौर पर मनाते हैं। बापू की पुण्यतिथि यानी 30 जनवरी को देश शहीद दिवस के रूप में मनाते हुए महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। इस मौके पर राजधानी दिल्ली के राजघाट स्थित गांधी जी की समाधि पर भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री पहुंचते हैं। गांधी जी को स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के लिए याद करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। इस मौके पर देश के सशस्त्र बलों के शहीदों को सलामी दी जाती है और बापू की याद व शहीदों के लिए दो मिनट का मौन रखा जाता है।

कैसे मनाया जाता है शहीद दिवस?

30 जनवरी को शहीद दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और तीनों सेना प्रमुख राजघाट स्थित महात्मा गांधी की समाधि पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। सेना के जवान भी इस अवसर पर राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने के लिए अपने हथियार झुकाते हैं। साथ ही देश के सभी शहीदों की याद में दो मिनट का मौन भी रखा जाता है। स्कूल, कॉलेज और दूसरे संस्थानों में महात्मा गांधी से जुड़े कई तरह के कार्यक्रम, भाषण का आयोजन होता है। बापू भले ही आज हम हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार आज भी हमारे जेहन में जिंदा हैं। गांधी जी का स्वच्छता का मंत्र आज जन-जन तक पहुंच चुका है। भारतवर्ष हमेशा उनके इस बलिदान को याद रखेगा।

साल में दो बार मनाया जाता है शहीद दिवस

भारत में शहीद दिवस दो बार मनाया जाता है। गांधी जी की पुण्यतिथि के मौके पर 30 जनवरी को शहीदों की याद में शहीद दिवस मनाते हैं। इसके अलावा 23 मार्च को भी शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। दो अलग तारीखों को शहीद दिवस मनाने को लेकर लोग असमंजस में रहते हैं। दोनों शहीद दिवस में अंतर है। 30 जनवरी को महात्मा गांधी की हत्या हुई थी और 23 मार्च 1931 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी। 23 मार्च को अमर शहीद दिवस मनाते हैं। इस दिन इन तीनों शहीदों की शहादत को याद किया जाता है।

शहीद दिवस का महत्व

महात्मा गांधी शांति और अहिंसा का पालन करने और लोगों को प्रेरणा देने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने भारत के साथ-साथ विदेशों में भी अहिंसा का परचम लहराया। अहिंसा और शांति का ‘स्कूल दिवस’ महात्मा गांधी की पुण्य तिथि (30 जनवरी) पर मनाया जाता है। यह दिन संघर्ष समाधान के शांतिपूर्ण तरीकों का पता लगाने के लिए स्कूलों में युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए समर्पित है।

नेता करते हैं राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि अर्पित

हर साल शहीद दिवस पर भारत न केवल गांधी बल्कि उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को भी याद करता है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। नेता दिल्ली में गांधी जी के स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करते हैं और 2 मिनट का मौन रखते हैं। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री महात्मा गांधी की समाधि पर राजघाट पर एकत्रित होकर बापू की प्रतिमा पर फूल माला चढ़ाते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

एकता और सद्भाव का प्रतीक

गांधी जी ने सामाजिक न्याय और सांप्रदायिक सद्भाव का समर्थन किया। उन्होंने अछूतों सहित हाशिए पर रहने वाले समुदायों के अधिकारों की वकालत की। साथ ही हिंदुओं और मुसलमानों के बीच भाईचारा बढ़ाने के अथक प्रयास किए। समावेशी भारत के उनके दृष्टिकोण ने उनके हर कार्य का मार्गदर्शन किया। बापू ने गरीबी को कम करने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार करने, जातीय सद्भाव का निर्माण करने और जाति व्यवस्था के अन्याय को खत्म करने के अभियानों का नेतृत्व किया।

30 जनवरी का इतिहास

1530 : मेवाड़ के राणा संग्राम सिंह का निधन।
1903 : लार्ड कर्जन ने कलकत्ता की इंपीरियल लाइब्रेरी का उद्घाटन किया था, आजादी के बाद इसका नाम बदलकर नेशनल लाइब्रेरी कर दिया गया था।
1948 : महात्मा गांधी की हत्या।
1971 : भारतीय एयरलाइंस के फोक्कर मैत्री विमान का लाहौर से अपहरण कर उसे नष्ट कर दिया गया था।
1985 : लोकसभा ने दल बदल विरोधी कानून पारित किया था।
2007 : अंतरराष्ट्रीय सौदे में भारत की दिग्गज कंपनी टाटा ने एंग्लो डच स्टील निर्माता कंपनी कोरस ग्रुप को 12 अरब डॉलर से अधिक में खरीदा था।

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