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वन्यजीव तस्करी रोकने को साथ आए भारत समेत 5 देश, आर्थिक स्रोतों पर वार करना है लक्ष्य


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नई दिल्लीः हाल में सीबीआई और इंटरपोल ने विदेशी वन्य जीवों की तस्करी पर विशेषज्ञों की रीजनल इन्वेस्टिगेटिव एंड एनालिटिकल केस मीटिंग (आरआईएमसीएम) नाम से दो दिनी बैठक करवाई। इसमें सीबीआई के निदेशक प्रवीण सूद ने बताया कि विदेशी वन्यजीवों की तस्करी इनके अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा है। उन्हें बचाने के लिए मिले-जुले कदम उठाने की जरूरत है। वहीं बैठक में तय किया गया कि आने वाले समय में पांचों देश तस्करों से जब्त किए जा रहे वन्य जीवों के बारे में जानकारियां आपस में साझा करेंगे, अपराधों से जुड़ी सूचनाएं भी देंगे। इससे तस्करों, बिचौलियों और सरगनाओं तक पहुंचने व उन्हें पकड़ कर सजा दिलाने में मदद मिलेगी।

2022 में भारत ने 50 बार की कार्रवाई

वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो, रेवेन्यू इंटेलिजेंस सहित सीबीआई ने बताया कि भारत ने साल 2022 में कार्रवाई कर 50 बार विदेशी वन्य जीवों को तस्करों से अपने कब्जे में लिया। इनमें हुलॉक गिबन, विदेशी कछुए, बड़ी छिपकलियां, बीवर, मूर मकैक, बौने नेवले, पिग्मी मार्मोसेट बंदर, डस्की लीफी मंकी और बॉल पाइथन शामिल हैं। भारत को हवाईअड्डों पर सख्त जांच व निगरानी ने तस्करी पर रोक लगाने में मदद की है।

एग्जॉटिक वन्यजीव यानी विदेशी

विदेशी यानी एग्जॉटिक वन्य जीवों की तस्करी बैठक के केंद्र में थी। इसमें ऐसे जीव आते हैं जो किसी देश में स्थानीय जंगल में नहीं मिलते। उन्हें विदेशों से पकड़ कर लाया जाता है।

सीबीआइ और इंटरपोल की बैठक में हुई चर्चा

विदेशी प्रजातियों की तस्करी को रोकने के लिए आयोजित सीबीआइ और इंटरपोल की दो दिवसीय बैठक के दौरान वन्य जीवों के तस्करों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले तौर-तरीकों पर विचार विमर्श किया गया। अधिकारियों ने कहा कि हमें पता चला है कि अफ्रीका से दक्षिण पूर्व एशिया और फिर भारत और चीन तक विदेशी वन्यजीवों की तस्करी के लिए हवाई कार्गों का तस्कर इस्तेमाल करते हैं।

सामने आए तस्करी के रास्ते

  • बैठक में सामने आया कि वन्यजीवों की तस्करी के लिए वायु मार्ग प्रमुख माध्यम बन रहा है। जीवों को अफ्रीकी देशों से दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में लाया जा रहा है। वहां से इन्हें चीन व भारत में भेजा जा रहा है। विशेषज्ञों ने 4 प्रमुख रास्तों का उल्लेख किया जिनसे तस्करी हो रही है। इसे ऐसे अंजाम दिया जा रहा है –
  • तस्कर अफ्रीका से दक्षिण पूर्व एशिया और वहां से बांग्लादेश का रास्ता अपना रहे हैं। वन्य जीवों को वायु मार्ग से भेजा जा रहा है, कार्गो को ‘मिस-डिक्लेयर’ यानी गलत श्रेणी में दर्ज कराया जा रहा है।
  • मलयेशिया और इंडोनेशिया पहुंचाए गए वन्यजीवों की म्यांमार व थाईलैंड के जरिये चीन में जमीनी सीमा से तस्करी हो रही है। इन जीवों में सांप, कछुए, इग्वाना शामिल हैं।
  • मलयेशिया से ही यह जीव थाईलैंड और फिर वायु मार्ग से भारत भेजे जा रहे हैं। थाईलैंड से भारत में म्यांमार के जरिये जमीनी सीमा से यह जीव भी लाए जा रहे हैं।

पालतू न बनाएं विदेशी वन्य जीव

विशेषज्ञों ने सावधान किया कि विदेशी वन्य जीवों को पालतू न बनाएं। इनसे जूनोटिक यानी जानवरों से इंसान को होने वाली बीमारियों का खतरा होता है। विदेशी वन्य जीवों का स्थानीय पर्यावरण में घुसपैठ कर दूसरे जीवों को खत्म करने का खतरा भी बना रहता है। कई देशों में इसी वजह से स्थानीय वन्यजीव खत्म हो चुके हैं।

इस तरह की जाती है तस्करी

मलेशिया और इंडोनेशिया से थाईलैंड और म्यांमार के साथ भूमि सीमाओं के माध्यम से चीन तक, मलेशिया से सांप, कछुए और इगुआना जैसे सरीसृपों को थाईलैंड और फिर भारत ले जाया जाता है। उन्होंने कहा कि म्यांमार के साथ भूमि सीमाओं का इस्तेमाल करके थाईलैंड से भारत तक ये खेल चलता है।

एयरपो‌र्ट्स पर बढ़ाई गई तस्करी

बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल में वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो और राजस्व खुफिया निदेशालय के अलावा सीबीआइ के अधिकारी भी शामिल थे। इस दौरान चर्चा में अधिकारियों ने कहा कि एयरपो‌र्ट्स पर लगातार निगरानी के चलते भारत में विदेशी वन्यजीवों की तस्करी को रोका गया है।

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