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नगालैंड, असम और मणिपुर के काफी इलाकों से केंद्र सरकार ने AFSPA हटाया


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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने असम, नगालैंड और मणिपुर के पहले अशांत रहे कई इलाकों को अब शांत मानते हुए वहां से आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट (आफ्स्पा) हटाने का फैसला किया है। नरेंद्र मोदी सरकार का यह फैसला शुक्रवार से प्रभावी होगा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को ट्वीट करके बताया कि बेहतर सुरक्षा व्यवस्था, तेज विकास और लगातार प्रयास, कई समझौतों से शांति कायम करने में सफलता मिली है। शाह ने पूर्वोत्तर राज्यों के विकास और वहां शांति कायम करने के विजन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार भी जताया।

भारत सरकार ने दशकों बाद नगालैंड, असम और मणिपुर राज्यों में आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) के तहत अशांत क्षेत्रों का दायरा कम करने का फैसला किया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट में यह जानकारी दी है।

शाह ने लिखा- AFSPA के इलाकों का दायरा घटाने में सरकार के शांति लाने के लिए किए जा रहे प्रयास मददगार रहे हैं। इन इलाकों में उग्रवाद पर भी नियंत्रण बढ़ा है। कई समझौतों के कारण सुरक्षा के हालात और विकास ने भी कानून हटाने में मदद की।

पिछले साल दिसंबर में नगालैंड में सेना के हाथों 13 आम लोगों के मारे जाने और एक अन्य घटना में एक व्यक्ति के मारे जाने के बाद असम में अफ्सपा (सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम ) हटाने की मांग ने जोर पकड़ लिया था। यह एक्ट मणिपुर में (इंफाल नगर परिषद क्षेत्र को छोड़ कर), अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग, लोंगदिंग और तिरप जिलों में, असम से लगने वाले उसके सीमावर्ती जिलों के आठ पुलिस थाना क्षेत्रों के अलावा नगालैंड और असम में लागू है। केंद्र सरकार ने जनवरी की शुरुआत में नगालैंड में इसे छह महीने के लिए बढ़ा दिया था।

गृह मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक पूर्वोत्तर में विद्रोह की घटनाएं घटकर 2021 में केवल 209 रह गईं, जबकि 1999 में इनकी संख्या 1749 थी। 2019 से 2022 तक 6900 से ज्यादा उग्रवादियों ने 4800 हथियारों के साथ सरेंडर किया है।

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