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इमरान खान के ‘विदेशी साजिशों’ के आरोप को अमेरिका ने नकारा


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नई दिल्ली: पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के ‘विदेशी साजिश’ के आरोपों को अमेरिका ने खारिज कर दिया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि इमरान खान के आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। दरअसल, राजनीतिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने संबोधन में धमकी वाले पत्र के लिए अमेरिका का नाम लिया, जिसे उन्होंने अपनी सरकार को बेदखल करने की साजिश के कथित ‘सबूत’ के तौर पर पेश किया है।

गुरुवार को अपने जनता के नाम संबोधन में इमरान खान ने कहा, ‘संयुक्त राज्य अमेरिका ने हमे खत भेजा’। फिर अपनी गलती मानते हुए इमरान खान ने कहा कि अमेरिका नहीं एक बाहरी मुल्क ने एक संदेश भेजा था, जो पाकिस्तान राष्ट्र के खिलाफ था।

इमरान खान के आरोपों पर अब अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। हम पाकिस्तान के घटनाक्रम पर बारिकी से नजर बनाए हुए हैं। हम पाकिस्तान की संवैधानिक प्रक्रिया और कानून के शासन का सम्मान और समर्थन करते हैं।”

बुधवार को, खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेतृत्व वाली सरकार ने पुष्टि की कि ‘विदेशी साजिश’ के बारे में उसका आरोप विदेश में स्थित उसके दूतावासों में से एक से प्राप्त एक राजनयिक संदेश पर आधारित था। इस्लामाबाद में रविवार को आयोजित एक विशाल जनसभा में, खान ने अपनी जेब से कागज का एक टुकड़ा निकाला था और भीड़ के सामने इसे लहराते हुए दावा किया कि यह उनकी सरकार को गिराने के लिए रची गई ”अंतरराष्ट्रीय साजिश” का सबूत है।

खान ने अपने संबोधन में कहा कि यह पत्र सरकार के खिलाफ नहीं उनके खिलाफ था। खान ने कहा, ‘इस पत्र में कहा गया है कि अगर अविश्वास प्रस्ताव पारित होता है तो पाकिस्तान को माफ कर दिया जाएगा, अगर ऐसा नहीं किया गया तो परिणाम भुगतने होंगे।’ खान ने कहा कि यह एक ‘आधिकारिक पत्र’ था जिसे पाकिस्तान के राजदूत को भेजा गया था, जो बैठक के दौरान (नोट) टिप्पणी लिख रहे थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राजदूत को बताया गया था कि अगर इमरान खान सत्ता में बने रहते हैं तो पाकिस्तान को ‘कठिनाइयों’ का सामना करना पड़ेगा। खान ने कहा, ”मैं आज अपने राष्ट्र से कह रहा हूं कि यह हमारी हालत है। हम 22 करोड़ आबादी वाला देश हैं और दूसरा देश…वे (धमकी देने का) कोई कारण नहीं बता रहे हैं। उन्होंने कहा है कि इमरान खान ने अपने दम पर रूस जाने का फैसला किया, भले ही विदेश कार्यालय और सैन्य नेतृत्व से सलाह ली गई हो।”

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