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हैप्पी बर्थडे रविंद्र जडेजा : ऐसे बने टीम इंडिया के ‘सर जडेजा’

नई दिल्लीः भारतीय क्रिकेट टीम के अहम खिलाड़ी रविंद्र जडेजा का आज जन्मदिन है. अपनी बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फील्डिंग से मैच में असर डालने वाले रविंद्र जडेजा को आज हर कोई सर जडेजा के नाम से जानता है लेकिन इस खिलाड़ी ने बचपन में मुसीबतों का पहाड़ झेला है. छोटी ही उम्र में जडेजा के सिर से मां का साया उठ गया था. क्रिकेट खेलने के लिए अनुकूल हालात नहीं थे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और ये कभी हार न मानने का जज्बा ही जडेजा को औरों से अलग कर गया.

साल 2009 में इंटरनेशनल क्रिकेट में अपना डेब्यू किया

भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा आज अपना 35वां जन्मदिन मना रहे हैं. जडेजा क्रिकेट जगत में गेंद-बल्ले और फील्डिंग तीनों में अपना लोहा मनवा चुके हैं. उनका जन्म 6 दिसंबर 1988 को सौराष्ट्र के नवगाम खेड में हुआ था. उन्होंने साल 2009 में इंटरनेशनल क्रिकेट में अपना डेब्यू किया था. जडेजा टीम इंडिया के तीनों फॉर्मेट में एक अहम खिलाड़ी हैं. उन्होंने कई मुश्किल घड़ी में टीम को अपने दम पर जीत दिलाई है.

ऑलराउंडर खिलाड़ी है रविंद्र जडेजा

जडेजा एक ऐसे भी खिलाड़ी है जो बल्ले और गेंद के अलावा अपनी फील्डिंग से भी टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका अदा करते हैं. जब मैदान पर वह फील्डिंग कर रहे होते हैं तो दुनिया का कोई बल्लेबाज सोच समझकर रन लेता है. जडेजा टीम इंडिया के लिए एक मैच विनर खिलाड़ी हैं.यह साल 2012 था, जब घरेलू क्रिकेट में सौराष्ट्र के लिए खेलने वाले जडेजा ने साल 2012 में रेलवे के खिलाफ प्रथम श्रेणी क्रिकेट में तिहरा शतक जमाया तो यह इस प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनका तीसरा तिहरा शतक था. इसके बाद से उन्हें साथी क्रिकेटर ‘सर’ पुकारने लगे. इसी साल उन्हें चेन्नई सुपर किंग्स ने अपनी टीम में खरीद लिया और उनके खेल से एमएस धोनी भी बहुत प्रभावित दिखे.

हादसे के बाद पिता को छोड़नी पड़ी थी नौकरी

रविंद्र जडेजा का जन्म 6 दिसंबर 1988 को गुजरात के जामनगर में हुआ था. उनके पिता अनिरुद्ध सिंह जडेजा भारतीय सेना में थे मगर एक हादसे में उन्हें कई चोटें आईं. इसके बाद उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी. वह एक सिक्योरिटी कंपनी में गार्ड की नौकरी करने लगे. वह बेटे को आर्मी में भेजना चाहते थे लेकिन जडेजा को क्रिकेट पसंद था. हालांकि मां लता जडेजा ने बेटे का साथ दिया.

एमएस धोनी ने ने दी सर’ की उपाधि

बता दें वैसे तो ‘सर’ की उपाधि एक खास उपमा है, जो ब्रिटेन के राजा या रानी देते हैं. ब्रिटेन के राजा या रानी जब भी किसी को नाइटहुड से नवाजते हैं तो वह शख्स अपने नाम के आगे ‘सर’ लगा सकते हैं. लेकिन रवींद्र जडेजा को यहां ऐसी कोई उपाधी नहीं मिली है. उन्हें तो बस साथी क्रिकेटर सर पुकारने लगे और इसके बाद एमएस धोनी ने इस नाम से फेमस कर दिया तो इसके बाद उन्हें सर जडेजा नाम से भी जाना जाता है.धोनी अकसर रवींद्र जडेजा को सर बुलाते थे और उन्होंने साल 2013 में सोशल मीडिया पर एक के बाद एक कई मजेदार ट्वीट्स (अब एक्स प्लेटफॉर्म) कर उनके सर जडेजा नाम पर मुहर लगा दी. धोनी अपने चुटीले अंदाज में जडेजा को सर लिखते थे और फिर क्या था पूरी क्रिकेट बिरादरी उन्हें सर पुकारने लगी.

छोटी उम्र में जडेजा के सिर से उठा मां का साया

मां नर्स थीं और वह बेटे के क्रिकेट खेलने के सपने को संजोने में मदद कर रही थीं लेकिन नियती को कुछ और मंजूर था. जब जडेजा 17 साल के थे तब उनकी मां की एक हादसे में मौत हो गई. इसके बाद जडेजा के लिए क्रिकेट खेलना मुश्किल हो गया. लेकिन जहां चाह होती है वहां राह भी निकल आती है. जडेजा की बहन नैना ने उनका साथ दिया और परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए नर्स का काम करने लगीं.

जडेजा ने मेहनत और प्रदर्शन के दम पर बनाया नाम

उधर जडेजा दिन दूनी रात चौगुनी मेहनत कर रहे थे और अपने सपने को साकार करने में लगे थे. जडेजा ने अपनी मेहनत और शानदार प्रदर्शन की बदौलत 2006 में अंडर 19 वर्ल्ड कप टीम में जगह बनाई. उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया. वह 2008 में भी अंडर 19 वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा बने. इस बार वह उपकप्तान थे. उन्होंने टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन किया और 2009 में वह भारतीय टीम के लिए चुने गए.

पिता चाहते थे कि वह आर्मी अफिसर बने

रवींद्र जडेजा ने आज क्रिकेट की दुनिया में एक बड़ा मुकाम हासिल किए हैं, लेकिन अगर बचपन में उनके पिता की चलती तो वह कभी क्रिकेटर नहीं बन पाते. दरअसल जडेजा के पिता चाहते थे कि वह आर्मी अफिसर बने, लेकिन वह टीम इंडिया की ‘सर जडेजा’ बन गए हैं. जामनगर के नवगाम घेड में जन्मे जडेजा के पिता अनिरुद्ध जडेजा एक सिक्योरिटी एजेंसी में चौकीदार थे और वो अपने बेटे को सेना में देखना चाहते थे. लेकिन बेटे के सिर पर तो क्रिकेट सवार था. लेकिन फिर एक ऐसा समय भी आया कि जडेजा क्रिकेट को छोड़ना चाहते थे. साल 2005 में अपनी मां के निधन के बाद जडेजा क्रिकेट छोड़ने को तैयार थे, लेकिन उनकी बहन ने ऐसा नहीं होने दिया.

मां का सपना पूरा किया

जडेजा की मां का सपना था कि उनका बेटा क्रिकेटर बने. उन्होंने अपने मां के सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की. हालांकि मां अपने बेटे को टीम इंडिया की जर्सी में देख नहीं सकीं. साल 2005 में कार दुर्घटना में उनका निधन हो गया था. तब रवींद्र जडेजा सिर्फ 17 साल के थे. लेकिन जडेजा ने हिम्मत नहीं हारी और कड़ी मेहनत करते रहे. आखिरकार उनका सपना पूरा हुआ. 10 फरवरी 2009 के दिन Ravindra Jadeja ने टीम इंडिया के लिए अपना डेब्यू किया.

पीएम मोदी ने भी कहा, सर जडेजा

इसके बाद रविंद्र जडेजा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. जडेजा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में अपनी छाप छोड़ी. यही नहीं आईपीएल में भी उन्होंने अपने बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर चेन्नई सुपरकिंग्स को खिताब जिताए. खुद पीएम मोदी ने रविंद्र जडेजा को सर जडेजा कहा.

रविंद्र जडेजा नेटवर्थ

जडेजा की निजी जिंदगी की बात करें तो उन्होंने 2016 में रिवाबा से शादी की. रिवाबा गुजरात जामनगर उत्तर विधानसभा सीजा की नेटवर्थ की बात करें तो मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी नेटवर्थ करीब 115 करोड़ रुपये है जबकि सालाना आय करीब 16 करोड़ रुपये है.

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