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विज्ञान

जाने गुरु ग्रह के निर्माण के बारे में जानकारी

नई दिल्ली – साल 2016 में नासा का जूनो अंतरिक्ष यान गुरु ग्रह (Jupiter) के पास तक पहुंचा था जिसने उसकी नजदीक की तस्वीरें भेजी थीं. इन्हीं तस्वीरों में गुरु ग्रह के मशहूर लाल धब्बे के अलावा जगह जगह फैले हुए तूफानों का ऐसा नजारा दिखाई दिया जो किसी रहस्यमयी पेंटिंग की तरह लगता था. अब जूनो के अवलोकनों और कई संख्यात्मक प्रतिमानों के आधार पर पता लगाया है कि गुरु ग्रह के गैसीय आवरण में पदार्थों का समान वितरण नहीं (Inhomogeneous Distribution) है. इस अध्ययन से उन्हें गुरु की उत्पत्ति के बारे में नई जानकारी भी निकाली.

गैसीय ग्रह गुरु में पदार्थों का अनियमित वितरण की अहम जानकारी निकाली है. उन्होंने पाया है कि गुरु के आंतरिक हिस्से में बाहरी हिस्से की तुलना में धातु की मात्रा कहीं ज्यादा है. इस हिस्से का भार पृथ्वी के भार से 11 से 30 गुना ज्यादा है जो गुरु ग्रह के कुल भार का करीब 3 से 9 प्रतिशत हिस्सा है. इतनी धात्विकता यह नतीजा निकालने के लिए पर्याप्त है कि एक किलोमीटर के आकार टुकड़ों या ग्रहाणुओं (planetesimals) ने गुरु ग्रह के निर्माण में भूमिका जरूर निभाई होगी. SRON/लेडन वेधशाला के यामिला मिगेल की अगुआई में हुए यह अध्ययन एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स में प्रकाशित हुआ है.

इसी वितरणसे गुरु ग्रह के निर्माण की भी जानकारी मिली. धातु का वितरण आंतरिक हिस्सों में ज्यादा है और बाहरी हिस्से में कम है. उनके मुताबिक गुरु ग्रह के निर्माण के दौरान दो प्रणालियों से धातुएं उसमें पहुंची. एक तो छोटे पत्थरों से की अभिवृद्धि (Accretion) प्रक्रिया से और दूसरे विशाल ग्रहाणुओं से.

गुरु ग्रह में संवहन की प्रक्रिया चलती है जिससे यहां पदार्थों का समान मिश्रण और वितरण होता है. लेकिन इस अध्ययन के नतीजे कुछ और ही बता रहे है. यह पहली बार है कि गैसीय आवरण के पदार्थों के वितरण का इस तरह का अध्ययन क्षैतिज रूप से ना हो कर गहराई के लिहाज से किया जा सका है. जब नवजात ग्रह बड़े होते हैं तो वे छोटे पत्थरों क फेंकना शुरू कर देते हैं. लेकिन गुरु ग्रह पर इस वजह से धातुओं का सम्पन्नता संभव नहीं है. जब ग्रहाणुओं को रोकना बहुत मुश्किल होता है इसलिए उनकी जरूर इसमें कोई भूमिका होती है. अंदर के हिस्सों में ज्यादा धातु होने का मतलब है कि ऊंचाई के साथ प्रचुरता में कमी आ रही है.

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