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ताइवान पर हमला कर सकता है चीन! क्वाड की चेतावनी, यूक्रेन जैसा नहीं होने देंगे हालात


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नई दिल्ली – क्वाड देशों अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने गुरुवार को कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र को यूक्रेन नहीं बनने दिया जाएगा। यह ऐलान ऐसे वक्त किया है, जब यूक्रेन की तर्ज पर ताइवान पर चीन के हमले की आशंका जताई जाने लगी है। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने कहा कि वर्चुअल बैठक में क्वाड के नेता इस बात पर सहमत हुए हैं कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यूक्रेन की स्थिति का कोई फायदा नहीं उठा सके।

इधर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने चेतावनी दी कि संभावित आक्रमण के लिए अगला देश ताइवान (Taiwan) हो सकता है. डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को फॉक्स बिजनेस के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि ताइवान अगला होने जा रहा है. बस ताइवान को देखें, चीन (China) के राष्ट्रपति इसे खुशी से देख रहे हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पर भी सीधा निशाना साधा. ट्रंप ने कहा कि उन्हें ताइवान के संभावित आक्रमण की उम्मीद है, क्योंकि अमेरिका को बेवकूफ लोग चला रहे हैं.

यूक्रेन पर रूस के हमले का जिक्र करते हुए किशिदा ने कहा, हम इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यथास्थिति में एकतरफा बदलाव की अनुमति किसी को नहीं दी जानी चाहिए। यह कदम स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की दिशा में महत्वपूर्ण है। हिंद-प्रशांत के लिए व्हाइट हाउस के समन्वयक कर्ट कैंपबेल ने सोमवार को कहा था कि यूक्रेन संकट के बावजूद अमेरिका भारत-प्रशांत क्षेत्र पर अपना ध्यान केंद्रित रखेगा।

इस वर्चुअल समिट में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा शआमिल हुए। बैठक में यूक्रेन मसले पर भी चर्चा की गई। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बातचीत के जरिए हर मुद्दे का समाधान किया जा सकता है। ऐसे में हमें हिंसा का रास्ता छोड़कर बातचीत और कूटनीति के जरिए संकट को खत्म करना चाहिए।

इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देते हुए कहा कि क्वाड को भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के अपने मूल उद्देश्य पर फोकस करना चाहिए। उन्होंने मानवीय और आपदा राहत, ऋण स्थिरता, आपूर्ति श्रृंखला, स्वच्छ ऊर्जा, कनेक्टिविटी और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में सहयोग के ठोस और व्यावहारिक कदम उठाने की अपील की। बैठक के दौरान नेताओं ने अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की।

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