जानें क्या हैं रूस का वो Nord Stream 2 प्रोजेक्ट जिस पर जर्मनी ने यूक्रेन विवाद के बाद लगायी रोक
नई दिल्ली : रूस और यूक्रेन को लेकर बढ़ते तनाव के बीच जर्मनी ने नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी है।
जर्मनी के इस कदम को रूस के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी जवाबी कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है।
जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने इस प्रोजेक्ट पर रोक लगते हुए कहा है कि जर्मनी सरकार यूक्रेन में मास्को की कार्रवाई के जवाब में यह कदम उठा रही है।
स्कोल्ज ने बर्लिन में मीडिया से बात करते हुए कहा है कि उनकी सरकार ने पाइप लाइन के प्रमाणीकरण का ‘पुनर्मूल्यांकन’ करने का फैसला लिया है, जो अभी तक चालू नहीं हुआ है।
नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन क्या हैं –
1200 किलोमीटर लंबी यह पाइपलाइन पश्चिमी रूस से उत्तर-पूर्व जर्मनी तक जाती है। इस पाइपलाइन का करीब-करीब सभी काम पूरा किया जा चुका है। इस पर करीब 83 हजार करोड़ रुपये का खर्च आया है। हालंकि कुछ सरकारी मंजूरियों के कारण यह अब तक शुरू नहीं हो सकी है। इस पाइपलाइन के जरिए रूस जर्मनी को सप्लाई होने वाले नेचुरल गैस को दोगुना करने का लक्ष्य रखा हुआ है। इस पाइपलाइन का सारा कामकाज रूसी सरकारी कंपनी गाजप्रोम देख रही है।
रूस के साथ यूरोप का भी नुकसान?
एक्सपर्ट्स रूस के इस पाइपलाइन को मॉस्को के एक हथियार के तौर पर भी देख रहे हैं। अमेरिका सहित कई देश इस पाइपलाइन का विरोध करते रहे हैं। बता दें कि रूस यूरोपीय देशों को करीब 50 फीसद नेचुरल गैस की सप्लाई करता है।
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इस प्रोजेक्ट के रुकने से रूस का बड़ा नुकसान है। रूस की इकॉनमी का एक बड़ा हिस्सा तेल-गैस की सप्लाई से है। ऐसे में जर्मनी के इस कदम से रूस को झटका लग सकता है। इस प्रोजेक्ट पर रोक लगने से रूस पर तो असर पड़ेगा ही, साथ ही यूरोपीय देशों में भी गैस की किल्लत हो सकती है।
व्लादिमीर पुतिन द्वारा पूर्वी यूक्रेन के डोनेत्स्क और लुहांस्क को आजाद देश की मान्यता दिए जाने के बाद यूक्रेन और रूस के बीच विवाद और भड़क गया है। बता दें कि 15 फरवरी 2022 को रूसी संसद ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन के डोनेत्स्क और लुहांस्क को अलग देश की मान्यता देने का प्रस्ताव भेजा था। 21 फरवरी को पुतिन ने इस प्रस्ताव पर साइन किए हैं। उन्होंने दोनों देशों के साथ दोस्ती, सहयोग और सहायता को लेकर समझौते पर भी साइन किए।