मुंबई – रानी मुखर्जी को शुरुआती करियर के समय छोटे कद और रंग की वजह से घबराहट होती थी। उन्हें लगता था कि भला उन्हें कौन ही हीरोइन बनाएगा। मगर उनके टेलेंट की कद्र इंडस्ट्री ने मानी। वह बैक टू बै शानदार फिल्मों में नजर आईं। आज भी वह विमुन सेंट्रिक फिल्मों के जरिए छाप छोड़ती हैं।’कुछ कुछ होता है’ की ‘टीना’, ‘बादल’ की ‘रानी’, ‘हद कर दी आपने’ की ‘अंजलि’, ‘मर्दानी’ की ‘शिवानी’ से लेकर ‘हिचकी’ की ‘नैना माथुर’ तक… हर किरदार में रानी मुखर्जी ने खास छाप छोड़ी है। 27 साल के करियर में उन्होंने कई धमाकेदार फिल्में की। न सिर्फ कमर्शियल हिट बल्कि कल्ट फिल्में भी की।
Rani Mukerji ने करियर की शुरुआत बंगाली फिल्म ‘बियेर फूल’ से की थी। उस फिल्म में उनकी एक्टिंग देखकर उन्हें बॉलीवुड फिल्मों के ऑफर आने लगे थे। फिर जब उन्होंने पहली बॉलीवुड फिल्म ‘राजा की आएगी बारात’ में ‘माला’ का किरदार निभाया, तो हर कोई समझ गया था कि ये लड़की आगे तक जाएगी।उनकी दमदार एक्टिंग के तो करण जौहर से लेकर आदित्य चोपड़ा जैसे बड़े बड़े डायरेक्टर भी कायल रहे हैं। उनका दमदार अभिनय ही था, जिसने उन्हें सफल बनाया। वरना एक वक्त तो ऐसा था, जब रानी मुखर्जी को लगता था कि वह हीरोइन बनने लायक नहीं है। उनकी हाइट भी कम है, आवाज भी भारी हैं और रंग भी सांवला है। तो भला उन्हें कौन ही हीरोइन बनाएगा।
करण जौहर ने रानी मुखर्जी को लेकर साफ साफ कह दिया था कि ये उनके रोल के लिए फिट नहीं हैं। मगर आदित्य चोपड़ा के कहने पर उन्होंने रानी को ही चुन लिया। फिर धीरे-धीरे करण जौहर भी समझ गए थे कि रानी मुखर्जी कितनी टेलेंटिड एक्ट्रेस हैं। आज के समय में दोनों अच्छे दोस्त हैं।रानी मुखर्जी ने कहा था, ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं हीरोइन वाली कैटगरी में फिट हो भी सकती हूं। मुझे लगता था कि मैं तो हीरोइन के बिल्कुल अपोजिट लगती हूं। मेरी हाइट भी कम है, मेरी आवाज भी हीरोइनों जैसी फ्रैंडली नहीं है। मेरा रंग भी गेंहूआ है। जब मैंने शुरुआत की, तो मुझे लगा ही नहीं था कि मैं एक्ट्रेस बन सकती हूं। मैं श्रीदेवी, जूही चावला, माधुरी दीक्षित और रेखा जी को देखकर बड़ी हुई हूं। मैं बिल्कुल भी खुद को इनके जैसा नहीं समझ सकती थी।’रानी मुखर्जी को कमल हासन ने दी थी सीख,कमल हासन की दी हुई सीख के बाद ही रानी मुखर्जी का वो स्टोरीयोटाइप टूटे थे।