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भारत

निर्भया कांड के 11 साल : चलती बस में हैवानियत,4 को फांसी और 1 ने दी जान


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नई दिल्लीः साल के आखरी महीने के दूसरे फखवाड़े का पहला दिन दिल्ली में एक युवती पर कहर बनकर टूटा। 16 दिसंबर 2012 को एक छात्रा के साथ उसके एक मित्र की मौजूदगी में चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया और उन दोनों को ठिठुरती सर्द रात में बस से बाहर फेंक दिया गया। बाद में इलाज के लिए सिंगापुर ले जाई गई पीड़िता ने वहीं दम तोड़ दिया था।

23 वर्षीय युवती के साथ हुआ गैंग रेप

इस मामले की 23 वर्षीय पीड़िता को ‘निर्भया’ नाम दिया गया और देश में उसके लिए न्याय की मांग ने आंदोलन का रूप ले लिया। इस मामले में मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह सहित छह व्यक्ति आरोपी बनाए गए। इनमें से एक नाबालिग था। मामले के एक आरोपी राम सिंह ने सुनवाई शुरू होने के बाद तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। नाबालिग को सुनवाई के बाद दोषी ठहराया गया और उसे सुधार गृह भेज दिया गया। तीन साल तक सुधार गृह में रहने के बाद उसे 2015 में रिहा कर दिया गया।लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार 20 मार्च 2020 को इस मामले के चार दोषियों को फांसी दी गई।

कैसे हुआ था निर्भया कांड

अगर इस घटना की बात करें तो 16 दिसंबर की रात निर्भया एक दोस्त के साथ फिल्म देखकर लौट रही थी. रास्ते में दोनों ने मुनिरका से एक बस ली. इस बस में उन दोनों के अलावा 6 और लोग थे. निर्भया के दोस्त को सभी 6 दोषियों ने पीटकर बेहोश कर दिया था. दिल्ली की सड़कों पर बस चलती रही और लड़की को बस में पीछे की तरफ ले जाकर बारी-बारी से लोगों ने दुष्कर्म किया। जब उसने विरोध किया तो उनमें से एक ने लड़की (निर्भया कांड) के प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड डाल दी। इससे उसकी आंते फट गईं। इस हैवानियत के बाद दोनों को बस से सड़क किनारे फेंक दिया गया।निर्भया को बाद में दिल्ली पुलिस ने पहले सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन आंतों और पूरे शरीर में गंभीर इंफेक्शन के बाद निर्भया को एयरलिफ्ट कर सिंगापुर के अस्पताल ले जाया गया, जहां 29 दिसंबर की देर रात उसने दम तोड़ दिया.

29 दिसंबर को निर्भया ने तोड़ा दम

जब एक राहगीर ने दोनों को देखा तो दिल्ली पुलिस को सूचना दी। इसके बाद लड़की को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया। लड़की की हालत बहुत ज्यादा गंभीर थी, उसके पूरे शरीर में इंफेक्शन फैल गया और उसे एयरलिफ्ट करके सिंगापुर इलाज के लिए ले जाया गया, जहां पर वह जिंदगी औ मौत से जूझते हुए 29 दिसबंर 2012 की रात को दम तोड़ दिया।

चार दोषियों को हुई थी फांसी

पकड़े गए आरोपियों में बस ड्राइवर राम सिंह, विनय गुप्ता, पवन गुप्ता, मुकेश सिंह, अक्षय ठाकुर और एक अन्य नाबालिग शामिल थे। बस ड्राइवर राम सिंह ने ट्रायल के दौरान तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली और नाबालिग को तीन साल की सजा हुई। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 20 मार्च 2020 को सुबह तड़के साढ़े पांच बजे निर्भया के चारों को दोषियों को फांसी दे दी गई।

निर्भया कांड का नाबालिग आरोपी कहां है?

दरअसल, यह ‘नाबालिग’ शख्स अकेला है, जिसका चेहरा ना तो दुनिया के सामने आया और न ही उसके परिवार वाले ने किसी को बताया. नाबालिग दोषी उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के एक गांव का रहने वाला है. घर की आर्थिक हालत पहले खराब थी, मगर पिछले कुछ सालों से कुछ सुधरी है. पिता मानसिक रूप से बीमार है. घर में मां-बाप के अलावा दो छोटी बहनें और दो भाई भी हैं. नाबालिग शख्स की भी शादी हो गई और उसके दोनों बहनों की भी शादी हो गई है.

एनजीओ ने ऐसे मदद पहुंचाई

दिल्ली-एनसीआर के एक बड़े एनजीओ ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नाबालिग शख्स इस वक्त साउथ के एक बड़े शहर में रह रहा है. रिहाई के वक्त दिल्ली सरकार ने नाबालिग दोषी को 10 हजार रुपए दिए थे, ताकि वह टेलरिंग का काम कर सके. इसके अलावा और संगठनों से भी मदद पहुंचाई गई और सिलाई मशीनें उपलब्ध कराईं गईं. एनजीओ की मानें तो शख्स ने कुछ और काम शुरू कर दिया है.

2013 में निर्भयना को मरणोपरांत अंतर्राष्ट्रीय साहस महिला पुरस्कार से सम्मानित किया था

भारत में दुष्कर्म से जुड़े कानून के चलते पीड़िता के नाम के उजागर करने की अनुमति नहीं, इसलिए, अलग-अलग मीडिया संस्थानों की ओर से उसे अलग-अलग नाम दिए। इनमें एक निर्भया नाम से पूरे कांड को जाना जाता है। 2013 में निर्भयना को मरणोपरांत अमेरिकी विदेश विभाग से अंतर्राष्ट्रीय साहस महिला पुरस्कार से सम्मानित किया था।

देशभर में हुआ था विरोध-प्रदर्शन

इस घटना के बाद देशभर में लोगों ने जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन किया। उस लड़की (निर्भया) को इंसाफ दिलाने के लिए देशभर के लोगों ने सड़कों पर उतरकर आवाज उठाई। पुलिस ने निर्भया कांड में बड़ी कार्रवाई करते हुए 17 दिसंबर 2012 को मुख्य आरोपी और बस चालक राम सिंह सहित चार लोगों को पकड़ा।

संसद में नया जुवेनाइल जस्टिस बिल पास हुआ

इस घटना के बाद सरकार ने कानूनी सुधार और यौन हिंसा को कम करने के अन्य तरीकों की सिफारिश करने के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक पैनल का गठन किया। जस्टिस वर्मा समिति को 80,000 सिफ़ारिशें प्राप्त हुईं, व्यापक विचार-विमर्श किया गया और दुनिया भर के कानूनों और शोधों का हवाला दिया गया। इस घटना के बाद छेड़छाड़ और दूसरे तरीकों से यौन शोषण को भी दुष्कर्म में शामिल किया गया। संसद में नया जुवेनाइल जस्टिस बिल पास हुआ।

जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशों से बदल गई रेप की कानूनी परिभाषा, और क्या बदला

निर्भया गैंगरेप कांड के बाद हुए आंदोलनों और जस्टिस जेएस वर्मा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने के बाद देश में रेप की कानूनी परिभाषा बदल दी गई. कानून के मुताबिक पहले सेक्सुअल पेनिट्रेशन को रेप माना जाता था. निर्भया कांड के बाद छेड़छाड़ और दूसरे तरीकों से यौन शोषण को भी रेप की परिभाषा में शामिल किया गया. संसद में नया जुवेनाइल जस्टिस बिल पास हुआ. इसके तहत बलात्कार, हत्या और एसिड अटैक जैसे क्रूरतम अपराधों में 16 से 18 साल के नाबालिग आरोपियों पर भी वयस्क कानून के तहत आम अदालतों में केस चलाया जा सकता है. नए जुवेनाइल जस्टिस लॉ के तहत 16 से 18 साल के नाबालिग दोषियों को संगीन अपराधों के लिए बाल संरक्षण गृह में रखा जाने के बदले सीधे सजा हो सकती है. हालांकि, दोषियों को अधिकतम 10 साल की सजा ही दी जा सकती है और इस एक्ट के तहत नाबालिग दोषियों को फांसी या उम्रकैद की सजा नहीं दी जा सकती है.

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