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दो बूंद जिंदगी की : देशभर में आज प्लस पोलियो अभियान , जानें इसका महत्व

नई दिल्लीः मध्यप्रदेश में 10 दिसंबर को पल्स पोलियो अभियान शुरू होने जा रहा है। इस अभियान का मुख्या उदेश बच्चों को बीमारी से दूर रखा है। इस अभियान के चलते प्रदेश के 5 साल के करीबन 3 लाख बच्चों को मुफ्त पोलियो की दवाई पिलाई जाएगी। जिसके लिए राजधानी में करीबन 2893 बूथ बनाए गए हैं। इसी कड़ी में जागरूगता को बढ़ने के लिए भोपाल कलेक्टर आशीष सिंह ने जनता से खास अपील करते हुए बच्चों को दो बूंद ज़िंदगी पिलाने की अपील की है।पोलियो जल्दी से फैलने वाली एक बीमारी है. जो ज्यादातर छोटे बच्चों को ज्यादा प्रभावित करती है. यह एक जानलेवा बीमारी है जो बच्चों के सीधा नर्वस सिस्टम पर अटैक करती है. इसलिए पोलियो का टीकारण बेहद जरूरी है. 

पोलियो (पोलियोमाइलिटिस)

यह एक संक्रामक रोग है जो एक ऐसे वायरस से उत्‍पन्‍न होता है, जो गले तथा आंत में रहता है। पोलियोमाइलिटिस एक ग्रीक शब्‍द पोलियो से आया है जिसका अर्थ है ”भूरा”, माइलियोस का अर्थ है मेरु रज्‍जु और आइटिस का अर्थ है प्रज्‍जवलन। यह आम तौर पर एक व्‍यक्ति से दूसरे व्‍यक्ति में संक्रमित व्‍यक्ति के मल के माध्यम से फैलता है। यह नाक और मुंह के स्राव से भी फैलता है। हालाँकि, यह मुख्यतः एक से पाँच वर्ष की आयु के बच्चों को ही प्रभावित करता है, क्योंकि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह विकसित नहीं हुई होती है। पोलियो का पहला टीका जोनास सौल्क द्वारा विकसित किया गया था। गौरतलब है कि दक्षिण-पूर्व एशिया सहित भारत को वर्ष 2014 में पोलियो-मुक्त घोषित किया गया था। पोलियो-मुक्त होने के बावजूद भारतीय नीति-निर्माताओं द्वारा पोलियो पर इतना ध्यान इसलिये दिया जा रहा है क्योंकि पोलियो वायरस के भारत में वापस आने का खतरा है।

भारत में पल्स पोलियो अभियान की आवश्यकता

  • प्रमुखतया इसकी आवश्यकता इसलिये है क्योंकि पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अभी भी पोलियो वायरस सक्रिय है। यह पोलियो वायरस इन देशों से आने वाले वयस्कों के माध्यम से आसानी से भारत में प्रवेश कर सकता है।
  • WHO के मुताबिक, 2016 में पाकिस्तान ने 20 वन्य पोलियो वायरस के मामले दर्ज किये जबकि अफगानिस्तान में 13 मामले सामने आए थे। WHO ने यह भी कहा है कि अंतरराष्ट्रीय यात्रियों से वायरस फैलने का खतरा अधिक रहता है।
  • चीन के पोलियो मुक्त होने के 10 साल बाद 2011 में झिंजियांग प्रांत में लकवाग्रस्त पोलियो के 21 मामले और दो मौतों की खबरें सामने आई थी। अनुसंधान करने पर चीन में इस वायरस का प्रवेश पाकिस्तान से पाया गया।
  • 2009 में भारत से ताजिकिस्तान में इस वायरस के प्रवेश के कारण वहाँ पर पोलियो के 587 मामले सामने आए।
  • वर्तमान में अन्य देशों से पोलियो वायरस के खिलाफ भारत का एकमात्र बचाव इसका सशक्त और सुस्पष्ट टीकाकरण कार्यक्रम है। नवजात शिशुओं के बीच टीकाकरण का अल्प अंतराल भी भारत में इस विषाणु के प्रवेश के लिये पर्याप्त हो सकता है।
  • इसके अतिरिक्त पोलियो वायरस के वापस आने का दूसरा खतरा स्वयं OPV है। इस वैक्सीन में दुर्बल लेकिन जीवित पोलियो वायरस का प्रयोग किया जाता है जो दुर्लभ मामलों में लकवाग्रस्त पोलियो (Paralytic Polio) का कारण बन सकता है।
  • चूँकि टीका-जनित वायरस प्रतिरक्षित (Immunized) बच्चों द्वारा उत्सर्जित किया जाता है इसलिये यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है। इससे टीका-व्युत्पन्न पोलियोवायरस (vaccine-derived poliovirus-VDPV) का खतरा बढ़ जाता है।
  • बाह्य कारणों से होने वाले वन्य पोलियो (Wild Polio) की तरह ही VPDV भी कम प्रतिरक्षित (Under-Immunised) बच्चो को प्रभावित कर सकता है।
  • इसी कारण दुनिया भर में पोलियो का उन्मूलन करने के लिये ओपीवी को निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (Inactivated Polio Vaccine-IPV) से प्रतिस्थापित करना आवश्यक है।
  • IPV के कारण VPDV की समस्या नहीं होती और यह पोलियो वायरस के विरूद्ध बच्चों की समान रूप से प्रतिरक्षा करता है।

इन जिलों में होगा टीकाकरण अभियान

बता दें कि प्रदेश के भिण्ड, भोपाल, छिंदवाड़ा, दतिया, ग्वालियर, इंदौर, कटनी, खरगौन, मंदसौर, नरसिंहपुर, नीमच, निवाड़ी, सतना, श्योपुर, टीकमगढ़ और विदिशा जिलों में अभियान संचालित होगा। इन जिलों में पोलियो दवाई पिलाने के लिये स्थानीय बूथ के साथ-साथ माइग्रेटरी पापुलेशन को कवर करने के लिये मोबाइल टीम भी गठित की जायेगी। बता दें कि पोलियो जल्दी से फैलने वाली एक बीमारी है. जो ज्यादातर छोटे बच्चों को ज्यादा प्रभावित करती है. यह एक जानलेवा बीमारी है जो बच्चों के सीधा नर्वस सिस्टम पर अटैक करती है. इसलिए पोलियो का टीकारण बेहद जरूरी है।

अभियान की शुरुआत

  • 1978 में वेल्लोर में एक प्रारंभिक प्रयोग से पता चला है कि टीके के अधिक प्रभावी नहीं होने के बावजूद इसने बच्चो की एक बड़ी संख्या को मज़बूत प्रतिरक्षा प्रदान की।
  • इसका प्रमुख कारण यह था कि वैक्सीन पल्सेज़ ने समुदाय में व्याप्त वन्य पोलियो वायरस को वैक्सीन-वायरस ने प्रतिस्थापित कर दिया।
  • वेल्लोर, पल्स रणनीति के ज़रिये पोलियो मुक्त बनने वाला पहला भारतीय शहर था और शेष भारत में इस रणनीति को 1995 में अपनाया गया।

पल्स पोलियो प्रतिरक्षण अभियान

  • भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन वैश्विक पोलियो उन्‍मूलन प्रयास के परिणामस्‍वरूप 1995 में पल्‍स पोलियो टीकाकरण (PPI) कार्यक्रम आरंभ किया।
  • इस कार्यक्रम के तहत 5 वर्ष से कम आयु के सभी बच्‍चों को पोलियो समाप्‍त होने तक हर वर्ष दिसम्‍बर और जनवरी माह में ओरल पोलियो टीके (OPV) की दो खुराकें दी जाती हैं।
  • यह अभियान सफल सिद्ध हुआ है और भारत में पोलियोमाइलिटिस की दर में काफी कमी आई है।
  • भारत के स्वास्थ्य मंत्रलय, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ और रोटरी इंटरनेशनल जैसी संस्थाओं ने इसकी सफलता में अहम भूमिका निभायीं।

टीकाकरण की शुरुआत 2 अक्टूबर 1995 में हुई

भारत में पल्स पोलियो टीकाकरण की शुरुआत 2 अक्टूबर 1995 में हुई. 27 मार्च 2014 को भारत को पोलियो मुक्त प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ. 13 जनवरी 2013 को पश्चिम बंगाल से आखिरी पोलियो का मामला आया था.हर साल 24 अक्टूबर को विश्व पोलियो दिवस मनाया जाता है.इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को पोलियो की वैक्सीनेशन के प्रति जागरुक करना है।

क्यों जरूरी है बच्चों के लिए पोलियो की बूंद

पोलियो जल्दी से फैलने वाली एक बीमारी है. जो ज्यादातर छोटे बच्चों को ज्यादा प्रभावित करती है. यह एक जानलेवा बीमारी है जो बच्चों के सीधा नर्वस सिस्टम पर अटैक करती है. इसलिए पोलियो का टीकारण बेहद जरूरी है.

स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर करेगी सर्वे

जीरो से पांच वर्ष तक के प्रत्येक बच्चों को दवा पिलाने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा। साथ ही इस दिन यदि कोई बच्चा मेहमान आया हो या अन्य राज्य का भी हो तो उसे बूथ पर पोलियो की दवा पिलाई जाएगी। कार्यवाहक आरसीएचओ डॉ राहुल डिंडोर ने बताया कि जिले में इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर सर्वे भी करेगी। लगभग 3 लाख 22 हजार 870 घरों में सर्वे भी की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग का उददेश्य यहीं है कि एक भी बच्चा पोलियो की दवा से न छूटे। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमों को सख्त निर्देश दिए है।

पल्स पोलियो अभियान 10 से 12 दिसंबर

20 नवम्बर 2023 को एनएचएम मुख्यालय में राज्य टास्क फोर्स की बैठक में बताया गया कि 10 से 12 दिसम्बर 2023 तक पल्स पोलियो अभियान के अतिरिक्त चरण में राज्य के 16 जिलों में लगभग 37 लाख 50 हजार बच्चों को शून्य से 5 वर्ष तक को पल्स पोलियो की खुराक दी जायेगी। पोलियो वैक्सीन की खुराक पिलाई जाएगी.

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