x
ट्रेंडिंगभारत

भारत-बांग्लादेश की दोस्ती दूसरे देशों के लिए एक मिसाल


सरकारी योजना के लिए जुड़े Join Now
खबरें Telegram पर पाने के लिए जुड़े Join Now

नई दिल्ली – आज ‘भारत-बांग्लादेश दोस्ती के 50 साल पूरे हो गए हैं. इसको लेकर दिल्ली में एक सेमिनार आयोजित किया गया. सेमिनार में बांग्लादेश के उच्चायुक्त मुहम्मद इमरान और भारतीय थल सेनाध्यक्ष एमएम नरवणे भी मौजूद थे. समारोह में बांग्लादेश के दूत मुहम्मद इमरान ने कहा, बांग्लादेश और भारत के बीच दोस्ती का सफर दूसरे देशों के लिए मिसाल कायम करता रहेगा. वहीं भारतीय थल सेनाध्यक्ष एमएम नरवणे ने इसको लेकर आगे कहा, बांग्लादेश और भारत ने एक लंबा सफर तय किया है, हमारी दोस्ती समय की कसौटी पर खरी उतरी है. समान जड़ों वाले पड़ोसियों के रूप में, हम एक साथ बढ़ते हैं और चुनौतियों, अवसरों और नियति को साझा करते हैं.

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि बांग्लादेश के साथ भारत के विशेष संबंध हैं और बांग्लादेश में करीब 10 अरब डॉलर्स के विकास कार्यों में भारत की भागीदारी है. उन्होंने कहा कि भारत अपने पड़ोसी देशों की सुरक्षा और विकास संबंधी चिंताओं को लेकर संवेदनशील है और अपने पड़ोसी देशों से भी उसी स्तर की संवेदनशीलता की उम्मीद करता है. राजनाथ सिंह का इशारा बांग्लादेश के इन्फ्रास्ट्र्क्चर समेत बाकी क्षेत्रों में चीन की बढ़ती मौजूदगी की तरफ था. कुछ साल पहले ही बांग्लादेश ने चीन से देश की पहली डीजल इलेक्ट्रिक परमाणु पनडुब्बी हासिल की थी. इसके बाद से भारत चीन के बढ़ते प्रभाव को काउंटर करने के लिए बांग्लादेश के साथ सैन्य संबंधों को मजबूत करने में जुट गया है.

वहीं पाकिस्तान को आतंकवाद पर कड़ी चेतावनी देने के बाद भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को नई दिल्ली स्थित बांग्लादेश के उच्चायोग पहुंचे. उन्होंने बांग्लादेश के आर्म्ड फोर्सेस डे में शिरकत की और भारत-बांग्लादेश के संबंधों पर बातचीत की. राजनाथ सिंह ने इस दौरान बांग्लादेश को चीन से करीबी को लेकर भी आगाह करने की कोशिश की.

राजनाथ सिंह ने इस मौके पर 1971 के युद्ध और बांग्लादेश की आजादी में भारत की सेना की भूमिका के बारे में भी विस्तार से बात की. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश मुक्ति संग्राम 20वीं सदी की एक अभूतपूर्व घटना थी क्योंकि यह अन्याय, अत्याचार और उत्पीड़न के खिलाफ एक नैतिक लड़ाई थी. 1971 में भारत गरीबी से जूझ रहा था लेकिन इसके बावजूद भारत ने मुक्ति-वाहिनी के साथ मिलकर पाकिस्तान से 13 दिनों तक युद्ध लड़ा और बांग्लादेश को पाकिस्तान के अत्याचार से निजात दिलाई थी.

Back to top button