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बंगाल में दुर्गा पूजा में उमटी भीड़ के बाद पांच दिन के अंदर कोरोना के केस डबल


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कोलकाता – चतुर्थी के दिन से ही कोलकाता के साथ जिलों में दुर्गा पूजा पंडाल देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है। सोमवार को महाषष्ठी को तो कोलकाता की सड़कों पर जनसमुद्र उमड़ पड़ा। वह पर कोरोना महामारी से बचाव के सभी प्रोटोकॉल्स की ऐसी धजिया उडी की जैसे लग रहा था कोरोना महामारी जैसी कोई बीमारी देश में कभी आयी ही नहीं थी। देश में पिछले साल कोरोना का ऐसा कहर देखने को मिला था जिससे हर कोई खौफ से हचमचा जाये। लेकिन फ़िलहाल वो खौफ का मंजर लोग भूल ही गए है और अपनी जिंदगी ऐसे बिता रहे है जैसे कुछ कभी हुआ ही न हो।

तीसरी लहर की आशंका के बीच लोगों की चहल-पहल बढ़ने और पंडालों में उमड़ रही हजारों हजार की भीड़ से कोरोना प्रोटोकाल टूट गया है। राज्य सरकार की अपील के बावजूद पूजा में घूमने वाले अधिकतर लोग नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए बिना मास्क के घूम रहे है और शारीरिक दूरी तो दूर की बात हो गई है। रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक लगने वाले नाइट कर्फ्यू को दुर्गा पूजा के दौरान 10 दिनों के लिए हटा गया था। जिसके चलते पश्चिम बंगाल में बीते कुछ दिनों से एक बार फिर से संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। राज्य में पॉजिटिविटी रेट भी बढ़ता जा रहा है।

बता दे की 16 अक्टूबर को जहां बंगाल में कोरोना के 443 नए मामले आए थे तो वहीं पिछले पांच दिनों में यह आंकड़ा लगभग दोगुना हो गया है। बुधवार को बंगाल में कोविड-19 के 867 नए केस दर्ज किए है। बता दें कि दुर्गा पूजा का समापन 15 अक्टूबर को हुआ था। पॉजिटिविटी रेट में भी तेजी से उछाल देखा गया है। यह 20 अगस्त को जहां 1.6 फीसदी ही थी तो वहहहीं 20 सितंबर को 1.9 फीसदी और 20 अक्टूबर को 2.4 फीसदी तक पहुंच गया है।

ममता बनर्जी की बनाई एक्सपर्ट कमेटी के सदस्य सुकुमार मुखर्जी के मुताबिक अगले दो हफ्ते काफी अहम होने वाले है क्योंकि संक्रमण के केस बढ़ सकते है। इस साल हमने देखा कि कोरोना नियमों की लगातार धज्जियां उड़ाई गई। कई लोगों ने मास्क तक नहीं पहना, सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजिंग पर भी ध्यान नहीं दिया। पहली लहर में बंगाल के अंदर बीते साल 22 अक्टूबर को सबसे ज्यादा 4 हजार 157 केस दर्ज किए गए थे। वहीं, कोरोना की दूसरी लहर में बंगाल के अंदर सबसे ज्यादा 20 हजार 846 केस इस साल 14 मई को सामने आए थे।

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