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ब्रिटेन का बड़ा दावा: रूस ने चुराया कोविशील्‍ड का ब्‍लूप्रिंट


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नई दिल्ली – ब्रिटेन के सुरक्षा सूत्रों ने हालही में कोरोना वायरस की वेक्सीन कोविशील्‍ड को लेकर बड़ा दावा किया है। रूस ने ऑक्‍सफर्ड/ एस्‍ट्राजेनेका की कोविशील्‍ड वैक्‍सीन का ब्‍लूप्रिंट चुराया और इसके बाद अपनी स्‍पुतनिक कोरोना वैक्‍सीन का निर्माण किया। यही नहीं एक रूसी एजेंट वैक्‍सीन के विकास के दौरान मौजूद था। उसी ने ऑक्‍सफर्ड की वैक्‍सीन का डिजाइन रूस को दे दिया।

ब्रिटिश सुरक्षा सूत्रों ने देश के मंत्रियों को बताया है कि, उनके पास इस बात के सबूत हैं कि क्रेमलिन के लिए काम करने वाले जासूसों ने अपनी खुद की वैक्सीन डिजाइन करने के लिए बहुराष्ट्रीय दवा कंपनी से कोविड जैब का ब्लूप्रिंट चुराया था।
ब्रिटेन के द सन की रिपोर्ट के मुताबिक एक विदेशी एजेंट ने कोविशील्‍ड का ब्‍लूप्रिंट और जरूरी सूचना चुरा लिया। यह दावा ऐसे समय पर आया है जब कुछ महीने पहले ही रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने दावा किया था कि उन्‍होंने स्‍पुतनिक वी कोरोना वैक्‍सीन लगवाई है।

आपको बता दे की ये दावा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उस बयान के बाद किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वो रूस में बनी स्पुतनिक वैक्सीन की दोनों खुराक ले चुके हैं और उन्होंने रूस के लोगों से वैक्सीन लेने का आग्रह किया था। रूसी राष्ट्रपति ने दावा करते हुए कहा था कि, वैक्सीन की एक खुराक मैंने दिन के वक्त और दूसरी खुराक मैंने रात के वक्त ली थी, और देखिए मैं पूरी तरह से ठीक हूं। हालांकि, रूसी राष्ट्रपति के वैक्सीन लेने को लेकर कोई तस्वीर क्रेमलिन की तरफ से जारी नहीं किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया कि सितंबर में मॉस्‍को में हुए दो शुरुआती क्लिनिकल ट्रायल के नतीजे ब्रिटेन के प्रतिष्ठित जर्नल द लासेंट में प्रकाशित हुए थे। जिसमें बताया गया था कि रूसी वैज्ञानिकों ने आखिर किस तरह से स्पुतनिक वैक्सीन बनाई है, लेकिन मेडिकल जर्नल द लैसेंट में प्रकाशित रिपोर्ट ने ब्रिटिश वैज्ञानिकों को चौंका दिया। इसमें संकेत मिलता है कि रूसी वैक्‍सीन सुरक्षित और प्रभावी है। रूसी वैक्‍सीन स्‍पुतनिक में ठीक उसी तकनीक का प्रयोग किया गया है जो ऑक्‍सफर्ड की वैक्‍सीन में है।

रूस की तरफ से दावा किया गया था कि ये परीक्षण राजधामी मॉस्को के दो अस्पतालों में किए गये हैं और 18 से 60 साल की उम्र वाले लोगों पर इसका परीक्षण किया गया है। पत्रिका में रूस के वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि वैक्सीन टेस्ट करने के शुरूआती पहले चरण में उन्होंने परीक्षण में शामिल लोगों को वैक्सीन की एक छोटी खुराक दी थी। ‘द सन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को लेकर काफी झूठ फैलाया गया, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग स्पुतनिक वैक्सीन लें। इतना ही नहीं, ब्रिटिश खुफिया सूत्रों का मानना है कि रूस ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को लेकर भारत, ब्राजील, इंडोनेशिया और कनाडा में भी गलत प्रचार फैलाया, ताकि इन बाजारों में स्पुतनिक वैक्सीन अपनी पकड़ बना सके।

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