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मणिपुर में कुकी उग्रवादियों ने सेंट्रल फोर्स की चौकी पर फेंका बम, दो जवान शहीद


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नई दिल्लीः मणिपुर में जारी हिंसा अभी थमती नहीं दिख रही है। लोकसभा चुनाव के एक दिन बाद ही यहां कुकी उग्रवादियों ने नारानसेना इलाके में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों पर हमला किया है। इस हमले में दो जवानों की मौत की भी खबर है। मणिपुर पुलिस ने इस बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि कुकी उग्रवादियों ने आधी रात 12.30 बजे सीआरपीएफ के कैंप पर हमला किया और यह 2.15 बजे तक जारी रहा। हमले में मारे गए जवान राज्य के बिष्णुपुर जिले के नारानसेना इलाके में तैनात सीआरपीएफ की 128वीं बटालियन के हैं।

मणिपुर में कुकी उग्रवादियों ने सेंट्रल फोर्स की चौकी पर फेंका बम

मणिपुर के नारानसेना इलाके में शुक्रवार आधी रात से शुरू हुए कुकी उग्रवादियों के हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के दो जवानों की जान चली गई। पुलिस के मुताबिक सीआरपीएफ जवानों पर कुकी उग्रवादियों ने आधी रात से लेकर सुबह 2.15 बजे तक हमला किया। जान गंवाने वाले जवान राज्य के बिष्णुपुर जिले के नारानसेना इलाके में तैनात सीआरपीएफ 128 बटालियन के हैं।

सीआरपीएफ के जवानों पर हमला

मणिपुर के सिनम कोम में दो गुटों के बीच गोलीबारी में एक की मौत दूसरी तरफ, मणिपुर के कांगपकोपी और इंफाल ईस्ट जिलों के बॉर्डर पर सिनम कोम गांव में भी शुक्रवार रात दो गुटों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें 33 साल एक विलेज वालंटियर की मौत हो गई।पुलिस ने बताया कि मृतक की पहचान लैशराम प्रेम के रूप में की गई है। गोलीबारी के बाद से लैशराम लापता था। शनिवार सुबह उसका शव बरामद किया गया।

शुक्रवार को हुई है वोटिंग

मणिपुर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी, प्रदीप कुमार झा ने शुक्रवार को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में बाहरी मणिपुर में अधिक मतदान और हिंसा की घटनाओं की जानकारी दी. मणिपुर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा, “लगभग एक घंटे पहले हमें मिली आखिरी रिपोर्ट तक, मतदान प्रतिशत 75 प्रतिशत के बीच था और कोई बड़ी गड़बड़ी की सूचना नहीं थी.”उन्होंने यह भी कहा कि दूसरे चरण के मतदान के दौरान लोग बड़ी संख्या में अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए निकले. एक मतदान केंद्र पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में खराबी की एक घटना सामने आई और कोई बड़ी गड़बड़ी की सूचना नहीं मिली.

मतदान शांतिपूर्ण रहा

“बाहरी मणिपुर संसदीय क्षेत्र, 13 विधानसभा क्षेत्र… मतदान शांतिपूर्ण रहा… ईवीएम को नुकसान पहुंचाने की एक घटना अब तक सामने आई है. झा ने आगे कहा कि बाहरी मणिपुर निर्वाचन क्षेत्र में 2019 के चुनाव की तुलना में मतदान अपेक्षाकृत अधिक शांतिपूर्ण रहा. “लोग भारी संख्या में आए हैं. पिछले चुनावों की तुलना में, बाहरी मणिपुर में चुनाव बहुत शांतिपूर्ण रहा है…एक या दो घटनाओं के बावजूद, कुछ भी बड़ा नहीं हुआ है और मतदान बहुत उत्साहजनक रहा है.”इससे पहले, 19 अप्रैल को पहले चरण के मतदान के दौरान हिंसा की कई घटनाएं सामने आने के बाद 22 अप्रैल को आंतरिक मणिपुर निर्वाचन क्षेत्र के 11 मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान हुआ था.

कुल मतदान 62 प्रतिशत से अधिक दर्ज किया गया

सात चरण के आम चुनावों के लिए पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 102 निर्वाचन क्षेत्रों में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया था. चुनाव आयोग के अनुसार, शुरुआती चरण में कुल मतदान 62 प्रतिशत से अधिक दर्ज किया गया. अगले दौर का मतदान 7 मई को होगा. वोटों की गिनती और नतीजे 4 जून को घोषित किए जाएंगे.

दूसरे चरण में 88 सीटों पर हुआ चुनाव

भारतीय चुनाव आयोग के वोटर टर्नआउट ऐप के मुताबिक, आखिरी रिपोर्ट तक 78.78 फीसदी वोट पड़े। इससे पहले, 19 अप्रैल को पहले चरण के मतदान के दौरान हिंसा की कई घटनाएं सामने आने के बाद 22 अप्रैल को आंतरिक मणिपुर निर्वाचन क्षेत्र के 11 मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान हुआ था। 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 88 सीटों पर दूसरे चरण का मतदान शाम 6 बजे समाप्त हो गया।

कैसे शुरू हुआ विवाद

मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है

मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं

बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं

मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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