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World Teachers’ Day 2023: विश्व में 5 अक्‍टूबर को मनाया जाता है शिक्षक दिवस,जानें इतिहास और महत्व

नई दिल्लीः Happy Teacher’s Day 2023: भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जा चुका है. ये शिक्षक दिवस देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जो एक कुशल शिक्षक भी थे, उनके सम्‍मान में मनाया जाता है. लेकिन दुनिया में टीचर्स डे आज यानी 5 अक्‍टूबर को मनाया जाता है, इसलिए इस दिन को विश्‍व शिक्षक दिवस (World Teachers Day) के तौर पर मनाया जाता है. यूनिसेफ, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और एजुकेशन इंटरनेशनल (EI) हर साल शिक्षकों की मेहनत और शिक्षा के क्षेत्र में उनके महत्‍वपूर्ण योगदान के लिए सम्‍मानित करने के उद्देश्‍य से इस दिन का आयोजन करते हैं. आइए बताते हैं कि कैसे हुई इस दिन की शुरुआत.

आज World Teachers’ Day 2023 है

ये खास दिन उन सभी शिक्षकों को शुक्रिया अदा करने का दिन है, जो न सिर्फ हमारे जीवन, बल्कि हमारे भविष्य को आकार देने में हमारे सहायक रहे हैं. ये दिन उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण को याद करते हुए, उन्हें सम्मान देने का एक सुनहरा अवसर है. हालांकि भारत हर साल इसे एक ठीक एक महीने पहले, यानि 5 सितंबर को मनाता है, जबकि बाकि दुनिया इस अवसर को 5 अक्टूबर को मनाती है.आज दुनिया भर में वर्ल्ड टीचर्स डे बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। ‘शिक्षकों, प्रोफेसर और शोधकर्ताओं को सम्मान देने के लिए आज, 05 अक्टूबर, 2023 को दुनिया भर में विभिन्न प्रोगाम का आयोजन किया जा रहा है। इसमें टीचर्स से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा की जा रही है। बता दें कि देश में 5 सितंबर, 2023 को शिक्षक दिवस के आयोजन के ठीक एक महीने बाद यानी कि पांच अक्टूबर, 2023 को इंटरनेशनल या फिर विश्व शिक्षक दिवस का आयोजन पूरे वर्ल्ड में किया जाता है।सीमित संसाधन, नकारात्मक परिस्थितियां और ऐसी ही कई तमाम परेशानियों को सामना करते हुए, हमारे शिक्षक हमें भविष्य के लिए तैयार करते हैं. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि, आखिर क्यों मनाया जाता है 5 अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस?

पहली बार साल 1994 में मनाया गया था यह दिन

वर्षों से दुनिया भर में सेलिब्रेट होने वाला विश्व शिक्षक दिवस पहली बार साल 1994 में मनाया गया था। इस दिन ही इसे बतौर वर्ल्ड टीचर्स डे के रूप में मान्यता मिली थी। हालांकि, इस संबंध में कवायद लंबे समय से चल रही थी। ऐसा कहा जाता है कि साल 1966 में UNESCO और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की एक बैठक हुई थी, जिसमें टीचर्स के अधिकारों और उनसे जुड़े तमाम मुद्दों को लेकर एक गाइडलाइन बनाने की सिफारिश की गई थी। इसके साथ ही इस दिन को शिक्षकों को समर्पित करने के लिए वर्ल्ड टीचर्स डे के रूप में सेलिब्रेट करने की भी बात हुई थी। हालांकि, ऐसा होने में लंबा समय लग गया। 1966 के बाद 1994 में यह संभव हो पाया। इसके बाद से ही यह दिन बतौर इंटरनेशनल टीचर्स डे पूरी दुनिया में सेलिब्रेट किया जाता है।

भारत और बाकि देशों में शिक्षक दिवस की तारीख में अंतर क्यों?

दरअसल अगर भारत की बात करें तो, हम लोकतांत्रिक भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के तौर पर मनाते हैं, जबकि बाकि देश साल 1994 में यूनेस्को/आईएलओ अनुशंसा को अपनाने के सम्मान में 5 अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस मनाते हैं.

कहा जाता है कि शिक्षकों की तमाम परेशानियों के समाधान, उनके अधिकारों और दायित्‍वों आदि को लेकर साल 1966 में ‘टीचिंग इन फ्रीडम’ संधि को बनाया गया. इसमें दुनिया के शिक्षकों की स्थिति को सुधारने और उन्हें जागरूक करने के लिए एक समझौता पारित किया गया. 1994 में यूनिसेफ द्वारा समझौते में 100 देशों को शामिल किया गया और शिक्षकों के लिए कई कानून बनाए गए. इसी साल UNESCO ने 5 अक्‍टूबर को विश्‍व शिक्षक दिवस के तौर पर मान्‍यता दी. चूंकि 5 अक्टूबर 1966 में Teaching in Freedom संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे, इसलिए टीचर्स डे को सेलिब्रेट करने के लिए 5 अक्‍टूबर के दिन को ही चुना गया. साल 1994 से हर साल 5 अक्‍टूबर को विश्‍व शिक्षक दिवस मनाया जाता है.

विश्व शिक्षक दिवस का महत्व

यूनेस्को द्वारा इस खास दिन का मकसद, शिक्षा, रोजगार और भर्ती में शिक्षकों के अधिकारों और जिम्मेदारियों पर जोर देना था. ये दिन खासतौर पर हमारे समाज में शिक्षकों की स्थिति में सुधार और उन्हें बढ़ावा देना का निर्देश देता है. साथ ही इस दिन के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को भी बढ़ावा मिलता है.

विश्व शिक्षक दिवस 2023 थीम

बता दें कि हर साल ही, विश्व शिक्षक दिवस के अवसर पर नई थीम तय की जाती है, जो कि वर्तमान स्थिति में पेश आई चुनौतियों और उपलब्धियों को ध्यान में रखकर निश्चित की जाती है. इस साल World Teachers’ Day 2023 की थीम, “हमें जो शिक्षा चाहिए उसके लिए शिक्षकों की आवश्यकता है: शिक्षकों की कमी को दूर करने की वैश्विक अनिवार्यता” पर आधारित होगी.

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